Rishi Intelligence
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- ISBN13: 9789349116870
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
यह पुस्तक भारत की प्राचीन ऋषि-परंपरा और उनके अद्वितीय ज्ञान को आधुनिक संदर्भ में पुनर्स्थापित करने का प्रयास है। इसमें यह दरशाया गया है कि कैसे ऋषियों ने न केवल मंत्रों का दर्शन किया, बल्कि उन्होंने विज्ञान, तर्कशास्त्र, तत्त्वमीमांसा और आत्मज्ञान की ऐसी गहराई में प्रवेश किया, जिसे आज का विज्ञान भी पूरी तरह नहीं समझ पाया है।
यह केवल एक ऐतिहासिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक आह्वान है कि हम भारतीय ज्ञान-परंपरा को पुनर्जीवित करें, अपने मूल को जानें और ज्ञान का पुनर्जागरण करें। यह पुस्तक उनके लिए है, जो भारतीय ज्ञान की जड़ों को वैज्ञानिक, दार्शनिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझना चाहते हैं।
यह केवल एक ऐतिहासिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक आह्वान है कि हम भारतीय ज्ञान-परंपरा को पुनर्जीवित करें, अपने मूल को जानें और ज्ञान का पुनर्जागरण करें। यह पुस्तक उनके लिए है, जो भारतीय ज्ञान की जड़ों को वैज्ञानिक, दार्शनिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझना चाहते हैं।
रवि सिंह चौधरी धनबाद में जनमे, बोकारो में पले एक बहुआयामी विचारक, लेखक और प्रशिक्षक हैं। उन्होंने BIT सिंदरी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और एच.ई.सी. तथा वेदांता जैसी कंपनियों में कार्यानुभव प्राप्त किया। वृक्षायुर्वेद, वैदिक गौपालन और प्राकृतिक कृषि में विशेषज्ञता रखते हुए वे धन्वंतरि नेचुरल फाउंडेशन के निदेशक हैं।
उन्होंने 'Rishi Intelligence' और 'Chanakya's Intelligence' जैसी पुस्तकों के माध्यम से भारतीय ज्ञान-परंपरा को पुनर्जीवित किया है। TVS मोटर्स जैसी संस्थाओं के लिए तर्कशास्त्र पर आधारित कॉरपोरेट प्रशिक्षण मॉडल बनाना उनका नवीनतम कार्य है। वे विश्व वृक्षायुर्वेद कांग्रेस के संयोजक भी रह चुके हैं।
उन्होंने 'Rishi Intelligence' और 'Chanakya's Intelligence' जैसी पुस्तकों के माध्यम से भारतीय ज्ञान-परंपरा को पुनर्जीवित किया है। TVS मोटर्स जैसी संस्थाओं के लिए तर्कशास्त्र पर आधारित कॉरपोरेट प्रशिक्षण मॉडल बनाना उनका नवीनतम कार्य है। वे विश्व वृक्षायुर्वेद कांग्रेस के संयोजक भी रह चुके हैं।