Ravindra Kavyanjali
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- ISBN13: 9789355625984
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature & Fiction
कलाकार यद्यपि ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा लेकर जन्म लेता है, तथापि उस प्रतिभा को सर्वव्यापी और जन-जन के मन तक पहुँचाना एक बड़ी चुनौती होती है। सुप्रसिद्ध गीतकार, संगीतकार व गायक रवीन्द्र जैनजी के सामने तो यह चुनौती दोहरी थी, तथापि उन्होंने हर चुनौती को स्वीकारते और मात देते हुए स्वयं को स्थापित-प्रमाणित किया। रवीन्द्र जैनजी रचनात्मकता के एक ऐसे गागरस्वरूप रहे हैं, जिनमें कलारूपी अथाह सागर के लगभग सभी रत्न समाहित थे। गीत हो, गजल हो, भजन हो, कविता हो या तात्कालिक रचना हो, कोई भी विषय हो, कैसी भी परिस्थितियाँ हों, वे उसे काव्यरूप देने, संगीत से सजाने और स्वर देने में सहज समर्थ रहे।
रवीन्द्र जैनजी ने फिल्मों में गीत-संगीत का जो सम्मानजनक स्तर बनाए रखा, वह सराहनीय है। उनकी हर रचना में जीवन से जुड़ी बातें झलकती हैं, उनके शब्द, भाव, विचार मन में गहरे उतर जाते हैं; उनकी रचनाधर्मिता और सृजनशीलता सकारात्मकता से अनुप्राणित है, जो निराशा के गह्वर में डूबे व्यक्ति को भी उदात्तता के सागर में अवगाहन करवा देती है।
ऐसी अनेकानेक रचनाएँ हैं, जो उनका मन तो जीत ही लेती हैं, जिनके लिए लिखी गई हैं; लेकिन ये उनके मन को भी प्रभावित किए बिना नहीं रहतीं, जो इन्हें पढ़ता है अथवा सुनता है।
गीत-संगीत-कला जगत् के अपने समय के अप्रतिम हस्ताक्षर श्री रवीन्द्र जैन की सुंदर, मोहक, कर्णप्रिय गीत-कविताओं का पठनीय संकलन ।
रवीन्द्र जैनजी ने फिल्मों में गीत-संगीत का जो सम्मानजनक स्तर बनाए रखा, वह सराहनीय है। उनकी हर रचना में जीवन से जुड़ी बातें झलकती हैं, उनके शब्द, भाव, विचार मन में गहरे उतर जाते हैं; उनकी रचनाधर्मिता और सृजनशीलता सकारात्मकता से अनुप्राणित है, जो निराशा के गह्वर में डूबे व्यक्ति को भी उदात्तता के सागर में अवगाहन करवा देती है।
ऐसी अनेकानेक रचनाएँ हैं, जो उनका मन तो जीत ही लेती हैं, जिनके लिए लिखी गई हैं; लेकिन ये उनके मन को भी प्रभावित किए बिना नहीं रहतीं, जो इन्हें पढ़ता है अथवा सुनता है।
गीत-संगीत-कला जगत् के अपने समय के अप्रतिम हस्ताक्षर श्री रवीन्द्र जैन की सुंदर, मोहक, कर्णप्रिय गीत-कविताओं का पठनीय संकलन ।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री रवीन्द्र जैन विश्वप्रसिद्ध गीतकार, संगीतकार तथा गायक थे। उन्होंने अपने कृतित्व से भारतीय साहित्य और संगीत को बहुत समृद्ध किया। उनकी अधिकांश फिल्मों ने रजत जयंती तथा स्वर्ण जयंती मनाई, जिनमें कुछ प्रमुख हैं- 'सौदागर', 'चोर मचाए शोर', 'गीत गाता चल', 'फकीरा', 'अँखियों के झरोंखों से', 'दुल्हन वही जो पिया मन भाए', 'चितचोर', 'नदिया के पार', 'ब्रजभूमि', 'राम तेरी गंगा मैली', 'हिना', 'विवाह' आदि। रामायण, श्री कृष्ण, जय हनुमान, साईं बाबा जैसे अनेक ऐतिहासिक धारावाहिकों में भी उनका ही गीत-संगीत है।
साहित्य और संगीत की सेवा करते हुए उन्हें अनेक महत्त्वपूर्ण तथा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानों से विभूषित किया गया, जिसमें कुछ उल्लेखनीय हैं- फिल्म फेयर अवार्ड, दादा साहेब फाल्के अवार्ड, लता मंगेशकर अवार्ड, स्वामी हरिदास, संगीत सम्राट् ।
रामायण का उनके द्वारा किया पद्यानुवाद 'रवीन्द्र रामायण' अत्यंत लोकप्रिय हुआ। अपने जीवन पर आधारित पुस्तक 'सुनहरे पल' तथा गजल-संग्रह 'दिल की नजर से' प्रकाशित । कुरान शरीफ का अरबी भाषा से सरल उर्दू में अनुवाद भी किया है। जैन धर्म के 'बालबोध' का पद्यानुवाद किया।
स्मृतिशेष : 9 अक्तूबर, 2015
साहित्य और संगीत की सेवा करते हुए उन्हें अनेक महत्त्वपूर्ण तथा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानों से विभूषित किया गया, जिसमें कुछ उल्लेखनीय हैं- फिल्म फेयर अवार्ड, दादा साहेब फाल्के अवार्ड, लता मंगेशकर अवार्ड, स्वामी हरिदास, संगीत सम्राट् ।
रामायण का उनके द्वारा किया पद्यानुवाद 'रवीन्द्र रामायण' अत्यंत लोकप्रिय हुआ। अपने जीवन पर आधारित पुस्तक 'सुनहरे पल' तथा गजल-संग्रह 'दिल की नजर से' प्रकाशित । कुरान शरीफ का अरबी भाषा से सरल उर्दू में अनुवाद भी किया है। जैन धर्म के 'बालबोध' का पद्यानुवाद किया।
स्मृतिशेष : 9 अक्तूबर, 2015