Rangeya Raghav Ki Lokpriya Kahaniyan
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- ISBN13: 9789349116436
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
रंगेया राघव की लोकप्रिय कहानियाँ में सामाजिक मुद्दों के साथ-साथ मानवता, संघर्ष, प्रेम और नैतिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी प्रकाश डाला गया है। उनकी कहानियाँ उन समयों की सच्चाईयों और लोगों की मानसिकता को सामने लाती हैं, जब समाज में ढेर सारी कुरीतियाँ फैली हुई थीं।
इस संकलन में शामिल कुछ प्रमुख कहानियाँ आम आदमी की जिंदगी, उसकी मुश्किलों, और उसकी उम्मीदों पर आधारित हैं, जो पाठकों को न केवल सोचने पर मजबूर करती हैं, बल्कि उन्हें अपने जीवन और समाज के प्रति एक नई जागरूकता भी प्रदान करती हैं। रंगेया राघव के लेखन में गहरी संवेदनाएँ और समाज की असमानताओं के प्रति एक तीखा दृष्टिकोण देखने को मिलता है।
इस संकलन में शामिल कुछ प्रमुख कहानियाँ आम आदमी की जिंदगी, उसकी मुश्किलों, और उसकी उम्मीदों पर आधारित हैं, जो पाठकों को न केवल सोचने पर मजबूर करती हैं, बल्कि उन्हें अपने जीवन और समाज के प्रति एक नई जागरूकता भी प्रदान करती हैं। रंगेया राघव के लेखन में गहरी संवेदनाएँ और समाज की असमानताओं के प्रति एक तीखा दृष्टिकोण देखने को मिलता है।
रांगेय राघव
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।