Raja Chakradhar singh Kathak Nartya Parneta Evam Sangrakshak
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- ISBN13: 9789355628657
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
कथक नृत्य के क्षेत्र में घराना एक व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है। घरानेदार गुरुओं ने इस नृत्य के विकास और संवर्धन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रायगढ़ भी कथक नृत्य का एक ऐसा ही घराना है, जिसके संस्थापक राजा चक्रधर सिंह ने न केवल कथक नृत्य और कलाकारों को संरक्षण प्रदान किया, अपितु इस नृत्य से संबंधित सैद्धांतिक और प्रायोगिक पक्ष में परंपरागत तत्त्वों को यथावत् रखते हुए रचनात्मकता के शिखर पर ले जाने का सार्थक प्रयास किया। सामान्यजन तक कथक नृत्य की शिक्षा को सुलभ बनाने का श्रेय भी राजा साहब को ही प्राप्त है।
यह पुस्तक राजा चक्रधर सिंह द्वारा कथक नृत्य के क्षेत्र में किए गए उनके योगदान का सारगर्भित स्वरूप है, जो निस्संदेह इस नृत्य के विद्यार्थियों और कलामर्मज्ञों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।
यह पुस्तक राजा चक्रधर सिंह द्वारा कथक नृत्य के क्षेत्र में किए गए उनके योगदान का सारगर्भित स्वरूप है, जो निस्संदेह इस नृत्य के विद्यार्थियों और कलामर्मज्ञों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।
नृत्यजगत् में साधनारत डॉ. यास्मीन सिंह छत्तीसगढ़ के रायगढ़ घराने से संबद्ध नई पीढ़ी की नृत्यांगनाओं में एक प्रतिनिधि नाम है। मूल घराना रायगढ़ से संबद्ध होते हुए भी अपने प्रगतिशील दृष्टिकोण के चलते लखनऊ घराने का अध्ययन किया। मिश्रित शैली में कथक प्रस्तुत करते हुए कलासमीक्षकों एवं कलारसिकों को प्रभावित करने में सक्षम हैं।
राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर से कथक नृत्य पर 'पीएच.डी.' की उपाधि प्राप्त की है। साथ ही संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा कथक नृत्य में शोध हेतु 'सीनियर फैलोशिप सम्मान' 201819; आई.सी.सी.आर. की पंजीकृत कलाकार तथा उत्कृष्ट श्रेणी की सूचीबद्ध कलाकार हैं। देश के लगभग सभी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रायगढ़ घराने की नृत्यसंरचनाओं की प्रस्तुतियाँ दी हैं। देश का प्रमुख शोध पत्रिकाओं में अनेक शोधपत्र भी प्रकाशित हुए हैं।
संप्रति कथक नृत्य के रायगढ़ घराने के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देने हेतु संकल्पित हैं।
राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर से कथक नृत्य पर 'पीएच.डी.' की उपाधि प्राप्त की है। साथ ही संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा कथक नृत्य में शोध हेतु 'सीनियर फैलोशिप सम्मान' 201819; आई.सी.सी.आर. की पंजीकृत कलाकार तथा उत्कृष्ट श्रेणी की सूचीबद्ध कलाकार हैं। देश के लगभग सभी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रायगढ़ घराने की नृत्यसंरचनाओं की प्रस्तुतियाँ दी हैं। देश का प्रमुख शोध पत्रिकाओं में अनेक शोधपत्र भी प्रकाशित हुए हैं।
संप्रति कथक नृत्य के रायगढ़ घराने के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देने हेतु संकल्पित हैं।