Radhakrishna Ki Kahaniyan

Radhakrishna Ki Kahaniyan

by Radhakrishna

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  • ISBN13: 9788199205437
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
आठ दहाई से भी अधिक कहानियाँ लिखने वाले राधाकृष्ण कथित हिंदी की मुख्यधारा से अनजान ही हैं। अपने पत्रों का और राँची से आदिवासी पत्रिका का लंबे समय तक संपादन करने के बावजूद हिंदी ने वह मान व सम्मान नहीं दिया, जिसके वे हकदार थे। 45 साल पहले राँची के अपने खपरैल के मकान में अंतिम साँस लेने वाले इस कथाकार की 2011 में जन्मशताब्दी स्थनीय स्तर पर मनाई गई। हंस, कथादेश व एकाध लघुतर पत्रिकाओं ने इस मौके पर प्रयास भर याद करने की रस्म अदायगी जरूर की।

राँची दूरदर्शन ने जरूर काफी पैसा खर्च कर उन्हें याद किया। जिन वक्ताओं ने इस मौके पर बोलने की जहमत उठाई, जिसके लिए दूरदर्शन ने उनके कठिन परिश्रम का काफी मोटा पारिश्रमिक चुकाया, फिर कभी उन्होंने याद किया हो, ऐसा दिखा नहीं। दरअसल, इन वक्ताओं में बहुतेरे ऐसे थे, जिन्होंने इस अवसर पर बोलने के लिए ही कुछ उनका यहाँ-वहाँ से पढ़ा था। हमारे शहर के महान् व बड़े आलोचकों की नजर में राधाकृष्ण उनकी आलोचकीय परिधि में समाने योग्य कभी रहे ही नहीं।
राधाकृष्ण

प्रकाशन : पाँच कहानी संग्रह, पाँच उपन्यास, एक व्यंग्य-संग्रह, दो नाटक, एक एकांकी साहित कुल 21 बालोपयोगी पुस्तकें प्रकाशित । संपादित पुस्तकें - एकादशी, साहित्य मधुकरी, साहित्य श्री। पहली कहानी 'सिन्हा साहब' मार्च 1929 में प्रकाशित, प्रेमचंद द्वारा संपादित 'हंस' में अनेक कहानियाँ प्रकाशित, प्रेमचंद के अनुसार हिंदी के पाँच उत्कृष्ट कथाशिल्पियों में, हिंदी की सभी पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। घोष-बोस-बनर्जी-चटर्जी नाम से हास्य-व्यंग्य की रचनाएँ लिखीं।

फिल्मों में कहानियाँ और संवाद लिखने बंबई भी गए। महावीर, संदेश, माया, हंस, कहानी, स्वाभिमान आदि पत्रिकाओं के अलावा साप्ताहिक पत्र 'आदिवासी' का 23 वर्ष तक संपादन किया। कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन (मार्च 1940) के प्रचार में प्रमुख; जयप्रकाश नारायण के आंदोलन (1974-75) के समर्थक। आकाशवाणी, पटना में कुछ समय तक ड्रामा प्रोड्यूसर। राँची केंद्र की स्थापना (27 जुलाई, 1957) के बाद राँची आकाशवाणी में कार्य। 'एक पुस्तक छपी है' (1978) उनकी अंतिम रचना है।

स्मृतिशेष : 3 फरवरी, 1979।

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