Raai Aur Parvat Novel By Rangeya Raghav
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- ISBN13: 9789349116061
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
कहानी का केंद्रीय विचार यह है कि कैसे एक छोटी सी राई (एक छोटा सा और साधारण सा तत्व) भी एक विशाल पर्वत (एक बड़े और शक्तिशाली तत्व) का रूप धारण कर सकती है। उपन्यास का नाम राई और पर्वत इस विचार को व्यक्त करता है कि जो बातें मामूली लगती हैं, वे कभी-कभी बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण हो सकती हैं, यदि उनका सही तरीके से विश्लेषण किया जाए।
इस उपन्यास में रंगेय राघव ने उन असंख्य संघर्षों को चित्रित किया है, जो व्यक्ति समाज और अपने आसपास के परिवेश से करता है। यह उपन्यास एक सामान्य व्यक्ति के जीवन के छोटे-छोटे पहलुओं से शुरुआत करता है और फिर उन्हें बड़े सामाजिक और मानसिक पहलुओं में बदलता है। यह हमें यह समझाने की कोशिश करता है कि व्यक्ति की छोटी-सी बात या कार्य भी समाज पर गहरा असर डाल सकते हैं।
इस उपन्यास में रंगेय राघव ने उन असंख्य संघर्षों को चित्रित किया है, जो व्यक्ति समाज और अपने आसपास के परिवेश से करता है। यह उपन्यास एक सामान्य व्यक्ति के जीवन के छोटे-छोटे पहलुओं से शुरुआत करता है और फिर उन्हें बड़े सामाजिक और मानसिक पहलुओं में बदलता है। यह हमें यह समझाने की कोशिश करता है कि व्यक्ति की छोटी-सी बात या कार्य भी समाज पर गहरा असर डाल सकते हैं।
रांगेय राघव
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।