Pariwar Manika
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- ISBN13: 9789355219404
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Sociology
भारत में सामाजिक मूल्यों और सनातन संस्कृति की विरासत को सहेजने में परिवार-व्यवस्था ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परिवार की आधारशिला नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि सृजन की शक्ति व सहनशीलता की प्रतिमूर्ति है। जीवन की अनंत चुनौतियों के मध्य उसका संघर्ष और संकल्प अडिग है।
युवाओं में अथाह ऊर्जा का संचार भारत को विकसित भारत की ओर अग्रसर कर रहा है। वहीं आज के बच्चे, जो कल का भविष्य हैं, जो हमारी विरासत को सँजोकर रखेंगे और इसके ध्वजवाहक बनेंगे, किंतु परिवार की इन सभी इकाइयों के सामने तीव्र गति से बढ़ती तकनीकी ने अवसरों के साथ असंभावित चुनौतियाँ भी दी हैं।
'परिवार मणिका' पुस्तक हमें सांस्कृतिक मूल्यों की ओर लेकर जाती है, लेकिन मूल्यों पर आघात हमारे 'स्व' की सबसे बड़ी चुनौती है। इस पुस्तक में आधुनिक समाज की चुनौतियों के साथ भारतीय जीवन-मूल्यों का सम्यक् परिचय कराया गया है।
युवाओं में अथाह ऊर्जा का संचार भारत को विकसित भारत की ओर अग्रसर कर रहा है। वहीं आज के बच्चे, जो कल का भविष्य हैं, जो हमारी विरासत को सँजोकर रखेंगे और इसके ध्वजवाहक बनेंगे, किंतु परिवार की इन सभी इकाइयों के सामने तीव्र गति से बढ़ती तकनीकी ने अवसरों के साथ असंभावित चुनौतियाँ भी दी हैं।
'परिवार मणिका' पुस्तक हमें सांस्कृतिक मूल्यों की ओर लेकर जाती है, लेकिन मूल्यों पर आघात हमारे 'स्व' की सबसे बड़ी चुनौती है। इस पुस्तक में आधुनिक समाज की चुनौतियों के साथ भारतीय जीवन-मूल्यों का सम्यक् परिचय कराया गया है।
डॉ. नीलम यादव राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ कस्बे की रहने वाली हैं। श्रीमती नारायणी देवी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय की अध्यक्ष एवं प्राचार्य हैं। उनकी स्नातक की शिक्षा महारानी कॉलेज जयपुर, स्नातकोत्तर व एम.फिल. समाजशास्त्र विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से हुई। वर्ष 2006 में एम.ए. समाजशास्त्र विषय में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर राजस्थान विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ।
वर्ष 2007 में यूजीसी नेट उत्तीर्ण करने के पश्चात् वर्ष 2011 में राजस्थान विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग से 'परिवार, मीडिया एवं समाज एक समाजशात्रीय अध्ययन' विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा की मुहिम को घर-घर तक पहुँचाने के लिए वर्ष 2004 से श्रीमती नारायणी देवी महिला महाविद्यालय की स्थापना कर सरकार के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान में सहभागी बनकर बहरोड़ क्षेत्र में आर्थिक रूप से निर्धन परिवार की बेटियों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए संकल्पित हैं। विभिन्न समसामयिक विषयों पर उनका लेखन पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता है।
वर्ष 2007 में यूजीसी नेट उत्तीर्ण करने के पश्चात् वर्ष 2011 में राजस्थान विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग से 'परिवार, मीडिया एवं समाज एक समाजशात्रीय अध्ययन' विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा की मुहिम को घर-घर तक पहुँचाने के लिए वर्ष 2004 से श्रीमती नारायणी देवी महिला महाविद्यालय की स्थापना कर सरकार के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान में सहभागी बनकर बहरोड़ क्षेत्र में आर्थिक रूप से निर्धन परिवार की बेटियों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए संकल्पित हैं। विभिन्न समसामयिक विषयों पर उनका लेखन पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता है।