Parikrama | Essence of Grace
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- ISBN13: 9789355623225
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
Parikrama – Kripa Saar एक प्रेरणादायी और आध्यात्मिक पुस्तक है, जिसे पाँच बार सांसद, तीन बार केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार के श्रम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने लिखा है।
यह पुस्तक उनकी दो नंगे पाँव नर्मदा परिक्रमाओं पर आधारित है—पहली (1994–1996) अपने आराध्य गुरुदेव श्रीश्री बाबाश्री जी के सान्निध्य में और दूसरी (2005) धर्मपत्नी के साथ। इन यात्राओं का मुख्य उद्देश्य था पर्यावरण संरक्षण और जीवनदायिनी नदियों के प्रति जनजागरण।
पुस्तक केवल धार्मिक यात्रा का वर्णन नहीं करती, बल्कि इसमें जीवन-दर्शन, आत्मअनुशासन और युवा पीढ़ी के लिए स्पष्ट प्रेरणा है। यह युवाओं को महान धनुर्धर अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहने, व्यसनों और नकारात्मक विचारों से दूर रहकर निर्विकार पथ अपनाने का मार्ग दिखाती है।
परिक्रमा – कृपा सार एक सशक्त Motivational Book है जो सरल उदाहरणों से आध्यात्मिक जीवन प्रबंधन (Life Management) सिखाती है और हर पाठक को स्पष्टता, आत्मबल और सकारात्मकता की ओर ले जाती है।
यह पुस्तक उनकी दो नंगे पाँव नर्मदा परिक्रमाओं पर आधारित है—पहली (1994–1996) अपने आराध्य गुरुदेव श्रीश्री बाबाश्री जी के सान्निध्य में और दूसरी (2005) धर्मपत्नी के साथ। इन यात्राओं का मुख्य उद्देश्य था पर्यावरण संरक्षण और जीवनदायिनी नदियों के प्रति जनजागरण।
पुस्तक केवल धार्मिक यात्रा का वर्णन नहीं करती, बल्कि इसमें जीवन-दर्शन, आत्मअनुशासन और युवा पीढ़ी के लिए स्पष्ट प्रेरणा है। यह युवाओं को महान धनुर्धर अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहने, व्यसनों और नकारात्मक विचारों से दूर रहकर निर्विकार पथ अपनाने का मार्ग दिखाती है।
परिक्रमा – कृपा सार एक सशक्त Motivational Book है जो सरल उदाहरणों से आध्यात्मिक जीवन प्रबंधन (Life Management) सिखाती है और हर पाठक को स्पष्टता, आत्मबल और सकारात्मकता की ओर ले जाती है।
प्रहलाद सिंह पटेल पाँच बार सांसद रहे हैं और तीन बार भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। वर्तमान में वे मध्य प्रदेश सरकार में श्रम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री हैं।
एक पथिक और साधक के रूप में उन्होंने माँ नर्मदा की दो बार नंगे पाँव परिक्रमा की है—पहली (1994–1996) अपने आराध्य गुरु श्रीश्री बाबाश्री जी के सान्निध्य में और दूसरी (2005) धर्मपत्नी के साथ। इन यात्राओं का उद्देश्य था पर्यावरण संरक्षण और जीवनदायिनी नदियों के प्रति जनजागरण।
उनकी पुस्तक परिक्रमा – कृपा सार जीवन-दर्शन, आध्यात्मिकता और युवाओं के लिए प्रेरणा का अद्भुत संगम है, जो हर पाठक को निर्विकार पथ अपनाने की प्रेरणा देती है।
वे अपने लेखन, विचारों और जनसेवा से देशभर में लोगों को प्रेरित करते रहते हैं।
एक पथिक और साधक के रूप में उन्होंने माँ नर्मदा की दो बार नंगे पाँव परिक्रमा की है—पहली (1994–1996) अपने आराध्य गुरु श्रीश्री बाबाश्री जी के सान्निध्य में और दूसरी (2005) धर्मपत्नी के साथ। इन यात्राओं का उद्देश्य था पर्यावरण संरक्षण और जीवनदायिनी नदियों के प्रति जनजागरण।
उनकी पुस्तक परिक्रमा – कृपा सार जीवन-दर्शन, आध्यात्मिकता और युवाओं के लिए प्रेरणा का अद्भुत संगम है, जो हर पाठक को निर्विकार पथ अपनाने की प्रेरणा देती है।
वे अपने लेखन, विचारों और जनसेवा से देशभर में लोगों को प्रेरित करते रहते हैं।