Parakram 1971 | Heroes of 1971 | Bravery Stories of Great Warriors of Bangladesh War Book In Hindi
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- ISBN13: 9789355621450
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
पराक्रम 1971' उन निर्भीक योद्धाओं की कहानी है, जिन्होंने बांग्ला-देश को स्वतंत्र कराने के लिए वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी और दक्षिण एशिया के मानचित्र को पुनः चित्रित किया। इसे आज भी समकालीन इतिहास में एक 'न्यायपूर्ण युद्ध' में सबसे निर्णायक सैन्य विजय माना जाता है।
युद्ध के चार परमवीर चक्र और छिहत्तर महावीर चक्र विजेताओं के सम्मान में तीनों सेनाओं के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों तथा पत्रकारों द्वारा लिखी गई इस पुस्तक के निबंध पहली बार 'द ट्रिब्यून' में प्रकाशित हुए थे। श्रीनगर एयरफील्ड में 'फ्लाइंग बुलेट्स' के साथ ऊँची उड़ान भरने वाले फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों के कारनामों से लेकर ब्रिगेडियर आनंद सरूप की 'किलो फोर्स' द्वारा फौजदाहाट में युद्धबंदियों को पकड़ने तक यह पुस्तक सभी को सूचीबद्ध करती है। दिग्गजों, शीर्ष नौकरशाहों और पत्रकारों द्वारा किए गए विश्लेषण परिदृश्य को स्थापित करने और पाठकों को युद्ध को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं।
युद्ध के चार परमवीर चक्र और छिहत्तर महावीर चक्र विजेताओं के सम्मान में तीनों सेनाओं के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों तथा पत्रकारों द्वारा लिखी गई इस पुस्तक के निबंध पहली बार 'द ट्रिब्यून' में प्रकाशित हुए थे। श्रीनगर एयरफील्ड में 'फ्लाइंग बुलेट्स' के साथ ऊँची उड़ान भरने वाले फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों के कारनामों से लेकर ब्रिगेडियर आनंद सरूप की 'किलो फोर्स' द्वारा फौजदाहाट में युद्धबंदियों को पकड़ने तक यह पुस्तक सभी को सूचीबद्ध करती है। दिग्गजों, शीर्ष नौकरशाहों और पत्रकारों द्वारा किए गए विश्लेषण परिदृश्य को स्थापित करने और पाठकों को युद्ध को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं।
राजेश रामचंद्रन देश के सबसे पुराने अखबारों में से एक 'द ट्रिब्यून' के संपादक हैं। वे 'आउटलुक' के एडिटर-इन-चीफ रहे। तीन दशकों से भी अधिक समय से उन्होंने देश के सबसे बड़े प्रकाशनों में से कुछ के एवं एक टी.वी. चैनल के साथ काम किया है तथा युद्ध और विद्रोह पर रिपोर्टिंग करते रहे हैं। राजनीति और राजनीतिक अर्थव्यवस्था, सरकारी मामलों और टकरावों पर लिखते रहे हैं। निबंधों और अभिलेखीय सामग्री की संपादित पुस्तक 'मार्टरडम टु फ्रीडम : 100 ईयर्स ऑफ जलियाँवाला बाग' पहली पुस्तक 2019 में प्रकाशित ।