Pakistan Ya Bharat Ka Vibhajan | Hindi Translation of Pakistan Or The Partition of India
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- ISBN13: 9789355628640
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
श्री रहमत अली ने सन् 1933 में पाकिस्तानी आंदोलन की नींव डाली। उन्होंने भारत को दो भागों, अर्थात् पाकिस्तान और हिंदुस्तान, में विभाजित किया। उनके पाकिस्तान में पंजाब, उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत, कश्मीर, सिंध और बलूचिस्तान शामिल थे। उनकी राय में शेष भाग हिंदुस्तान था। उनका विचार था कि उत्तर में पाँच मुसलिम प्रांतों को मिलाकर एक 'स्वतंत्र और पृथक् पाकिस्तान के रूप में स्वतंत्र राज्य हो।
क्या पाकिस्तान इसलिए बनना चाहिए, क्योंकि हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक तनातनी है ? इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि इनके बीच तनातनी है। प्रश्न केवल यह है कि क्या यह तनातनी इतनी प्रबल है कि वे एक देश में एक संविधान के अंतर्गत नहीं रह सकते ? निश्चित रूप से एक साथ रहने की यह इच्छा वर्ष 1937 तक उनमें नहीं थी। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट-1935 के निर्माण के समय हिंदुओं व मुसलमानों ने एक देश में एक संविधान के अंतर्गत रहना पसंद किया था और उक्त एक्ट के पारित होने के पूर्व उस पर हुई चर्चा में भाग लिया था।
भारतरत्न बाबासाहब डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के भारत विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण पर बेबाक राय और सुस्पष्ट चिंतन की प्रतिध्वनि है यह पुस्तक। अपने धारदार तर्कों और दृढ़ विचारों से उन्होंने उन तत्कालीन परिस्थितियों पर एक समग्र दृष्टि प्रस्तुत की है।
क्या पाकिस्तान इसलिए बनना चाहिए, क्योंकि हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक तनातनी है ? इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि इनके बीच तनातनी है। प्रश्न केवल यह है कि क्या यह तनातनी इतनी प्रबल है कि वे एक देश में एक संविधान के अंतर्गत नहीं रह सकते ? निश्चित रूप से एक साथ रहने की यह इच्छा वर्ष 1937 तक उनमें नहीं थी। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट-1935 के निर्माण के समय हिंदुओं व मुसलमानों ने एक देश में एक संविधान के अंतर्गत रहना पसंद किया था और उक्त एक्ट के पारित होने के पूर्व उस पर हुई चर्चा में भाग लिया था।
भारतरत्न बाबासाहब डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के भारत विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण पर बेबाक राय और सुस्पष्ट चिंतन की प्रतिध्वनि है यह पुस्तक। अपने धारदार तर्कों और दृढ़ विचारों से उन्होंने उन तत्कालीन परिस्थितियों पर एक समग्र दृष्टि प्रस्तुत की है।
भीमराव रामजी आंबेडकर
उपाख्य डॉ. बाबासाहब आंबेडकर (14 अप्रैल, 1891) प्रसिद्ध भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज-सुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था; श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।
भारतीय संविधान के शिल्पकार, आधुनिक भारतीय चिंतक, समाज-सुधारक भारतरत्न से सम्मानित बाबासाहब भीमराव आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को हुआ। डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए सामाजिक योगदान और उनकी उपलब्धियों को स्मरण करने के लिए हर वर्ष 6 दिसंबर को 'महापरिनिर्वाण दिवस' मनाया जाता है।
उपाख्य डॉ. बाबासाहब आंबेडकर (14 अप्रैल, 1891) प्रसिद्ध भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज-सुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था; श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।
भारतीय संविधान के शिल्पकार, आधुनिक भारतीय चिंतक, समाज-सुधारक भारतरत्न से सम्मानित बाबासाहब भीमराव आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को हुआ। डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए सामाजिक योगदान और उनकी उपलब्धियों को स्मरण करने के लिए हर वर्ष 6 दिसंबर को 'महापरिनिर्वाण दिवस' मनाया जाता है।