Pahali Chingari Novel | Based On The First People's Revolution Of Santhal
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- ISBN13: 9789392573965
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
कहा जाता है कि संथाल परगना की धरती पर स्थित राजमहल की पहाड़ी ने एक अरब साठ करोड़ वर्ष पूर्व सूरज-चाँद के प्रथम दर्शन किए थे। इसी पुरातन धरती पर महात्मा गांधी के 'भारत छोड़ो' आंदोलन से 87 वर्ष 1 महीना 10 दिन पूर्व संथाल नेता सिदो ने अंग्रेजों से अपनी धरती छोड़ने को कहा था और 'करो या मरो' का मंत्र जनता को दिया था।
भोगनाडीह के शेर सिदो, कान्हू और भैरों द्वारा छेड़ी गई क्रांति पर केंद्रित यह उपन्यास 'पहली चिनगारी' संथाल जन-क्रांति की प्रथम लहर सा है। अपनी मिट्टी की स्वाधीनता हेतु समाज व धार्मिक अस्तित्व तथा शोषण-उत्पीड़न से लोगों को बचाने के लिए तथा राजनैतिक बदलाव हेतु सिदो, कान्हू, चाँद और भैरों ने जो जुझारूपन दिखलाया था, वह स्तुत्य है। उन स्वाधीनता सेनानियों ने अपनी गरीबी तथा सीमित साधनों में भी जो वीरता दिखलाई थी, वह जन-चेतना ही तो थी। तभी तो दस हजार संथालों ने अपनी एकता तथा जुझारूपन दिखलाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। न केवल संथाल, बल्कि इतर लोगों ने भी सिदो, कान्हू, चाँद और भैरों को अपना हरसंभव सहयोग दिया था, ताकि वे विजयी हों।
'पहली चिनगारी' पुस्तक अत्यंत रोचक और सुरुचिपूर्ण है। सामान्य पाठकों तथा इतिहास के छात्रों के लिए आदिवासी जीवन में क्रांति की शुरुआत की अच्छी जानकारी इस पुस्तक में उपलब्ध है।
भोगनाडीह के शेर सिदो, कान्हू और भैरों द्वारा छेड़ी गई क्रांति पर केंद्रित यह उपन्यास 'पहली चिनगारी' संथाल जन-क्रांति की प्रथम लहर सा है। अपनी मिट्टी की स्वाधीनता हेतु समाज व धार्मिक अस्तित्व तथा शोषण-उत्पीड़न से लोगों को बचाने के लिए तथा राजनैतिक बदलाव हेतु सिदो, कान्हू, चाँद और भैरों ने जो जुझारूपन दिखलाया था, वह स्तुत्य है। उन स्वाधीनता सेनानियों ने अपनी गरीबी तथा सीमित साधनों में भी जो वीरता दिखलाई थी, वह जन-चेतना ही तो थी। तभी तो दस हजार संथालों ने अपनी एकता तथा जुझारूपन दिखलाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। न केवल संथाल, बल्कि इतर लोगों ने भी सिदो, कान्हू, चाँद और भैरों को अपना हरसंभव सहयोग दिया था, ताकि वे विजयी हों।
'पहली चिनगारी' पुस्तक अत्यंत रोचक और सुरुचिपूर्ण है। सामान्य पाठकों तथा इतिहास के छात्रों के लिए आदिवासी जीवन में क्रांति की शुरुआत की अच्छी जानकारी इस पुस्तक में उपलब्ध है।
भूजेंद्र आरत
जन्म : 9 जनवरी, 1940 को ग्राम सारठ, जिला देवघर (अब झारखंड) में।
साहित्य-सृजन : अनेक पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें संथाल जनक्रांति 1855 पर आधारित 'पहली चिनगारी' उपन्यास, संथाल जनजीवन पर आधारित 'कगारों का मिलन', 'आनेवाला कल' चर्चित रहीं।
सम्मान : भारतीय साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, South Asia Pub. Co., Delhi तथा REFACIMENTO International, New Delhi द्वारा प्रकाशित साहित्यकारों की निर्देशकों में जीवनवृत्त संकलित। साहित्य के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए 'विश्व सहस्राब्दी हिंदी सेवी सम्मान-2000', जैमिनी अकादमी, पानीपत द्वारा 'पद्मश्री स्व. लक्ष्मीनारायण दूबे स्मृति सम्मान-2001' तथा 'सुभद्रा कुमारी चौहान शतवार्षिकी स्मृति सम्मान-2004' एवं 'अखड़ा साहित्य सम्मान-2017'।
12 जनवरी, 2003 (सोसाइटीज रजिस्टेशन ऐक्ट के अंतर्गत निबंधित संस्था) को जामताड़ा जिले के स्थापित साहित्यकारों के सान्निध्य में 'साहित्यकार परिषद्' स्थापित की।
स्मृतिशेष : 26 अक्तूबर, 2020।
जन्म : 9 जनवरी, 1940 को ग्राम सारठ, जिला देवघर (अब झारखंड) में।
साहित्य-सृजन : अनेक पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें संथाल जनक्रांति 1855 पर आधारित 'पहली चिनगारी' उपन्यास, संथाल जनजीवन पर आधारित 'कगारों का मिलन', 'आनेवाला कल' चर्चित रहीं।
सम्मान : भारतीय साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, South Asia Pub. Co., Delhi तथा REFACIMENTO International, New Delhi द्वारा प्रकाशित साहित्यकारों की निर्देशकों में जीवनवृत्त संकलित। साहित्य के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए 'विश्व सहस्राब्दी हिंदी सेवी सम्मान-2000', जैमिनी अकादमी, पानीपत द्वारा 'पद्मश्री स्व. लक्ष्मीनारायण दूबे स्मृति सम्मान-2001' तथा 'सुभद्रा कुमारी चौहान शतवार्षिकी स्मृति सम्मान-2004' एवं 'अखड़ा साहित्य सम्मान-2017'।
12 जनवरी, 2003 (सोसाइटीज रजिस्टेशन ऐक्ट के अंतर्गत निबंधित संस्था) को जामताड़ा जिले के स्थापित साहित्यकारों के सान्निध्य में 'साहित्यकार परिषद्' स्थापित की।
स्मृतिशेष : 26 अक्तूबर, 2020।