Manas Madhu

Manas Madhu

by Ashok Sharma

₹300.00 ₹255.00 15% OFF

Ships in 1 - 2 Days

Secure Payment Methods at Checkout

  • ISBN13: 9789355627155
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
रामचरितमानस 'सत्यं शिवं सुन्दरम्' उपवन है, जिसके पुष्पों में सत्य की सुगंध के साथ भक्ति का शिवामृत और शब्द, छंद एवं रूपकों का त्रिगुण सौंदर्य है। मानस-पुष्पों से रस संग्रहीत कर निजानंद लेने के साथ समाज-जीवन को पुष्ट करने का विनम्र उद्देश्य है। लेखक ने अपने अनुभव के साथ आर्ष रामायण, गीता, वेदांत और योगदर्शन के अभ्यास को मिलाकर जीवन-पाथेय के रूप में 'मानस मधु' को परोसा है।

मानस का प्रधान रस शांत है, किंतु सुंदरकांड में वीर, अद्भुत, करुणा और रौद्र रस का सुंदर सम्मिश्रण है। इस कांड के नायक श्रीहनुमानजी महाराज का पराक्रम और ऐश्वर्य अप्रतिम है; संवाद-कला अद्भुत है और दूतकर्म बहुआयामी है। समुद्र लाँघकर माँ सीता को खोज निकाला, रावण से निर्भीक संवाद किया, लंका को जलाकर राक्षसों के मनोबल को खंडित किया और विभीषण से मैत्री-सेतु बाँधकर सामरिक कौशल्य दिखाया। इतना सब करने के बाद भी नम्रता से कहते हैं, 'सो सब तव प्रताप रघुराई'! यह गीता के ज्ञान, कर्म और भक्ति के समन्वय का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

'मानस मधु' सबके लिए दिव्य सौगात है-युवा विद्यार्थी के लिए संवाद और तप-सेवा, व्यवसायी के लिए मैत्रीविद्या और साहस, प्रशासक के लिए दक्षतापूर्ण कर्मयोग, जिज्ञासु के लिए दिव्य रसकुंभ, वैयक्तिक और सामाजिक जीवन में सुख- सौहार्द, इत्यादि। राष्ट्र-निर्माण में जुड़े हर युवा के लिए श्रीहनुमानजी परम गुरु हैं। आज जब भारत एक युवा राष्ट्र के स्वरूप में उभर रहा है, तब 'मानस मधु' बड़ा ही उपकारक है।
अशोक शर्मा भारतीय प्रशासनिक सेवा के कर्मयोगी हैं। उन्होंने बचपन से ही पूज्य पिताश्री वैद्यराज मदनगोपालजी शर्मा और माताश्री चंद्रमणिबहन शर्मा से अध्यात्म और संस्कृति की शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की है। श्री शर्मा ने डेयरी टेक्नोलॉजी और बिजनेस मैनेजमेंट में अनुस्नातक किया है। साढ़े चार साल के अध्यापन कार्य के पश्चात् बत्तीस साल से जनसेवा में कार्यरत हैं; संप्रति गुजरात के माननीय राज्यपाल के अग्र सचिव हैं।

भारतीय दर्शन और विज्ञान के समन्वय तथा जनसेवा के जीवन ध्येय के साथ लेखक की शब्दयात्रा के अंतर्गत वेदांत, योगदर्शन, श्रीमद्भागवत, रामायण और श्रीमद्भगवद्गीतापरक बीस पुस्तकों का सर्जन हुआ है। गुजरात के प्रमुख अखबारों में स्तंभ भी लिखते रहे हैं। जूनागढ़- सोमनाथ और पोरबंदर की सांस्कृतिक परंपरा पर आधारित दो नाट्यकृतियाँ 'जय गिरनार जय सोमनाथ' और 'मोहन से मोहन' एवं जीवनगीता, अध्यात्मगीता, राष्ट्रगीता, विश्वगीता, मैनेजमेंट गीता और मानवगीता लोकप्रिय कृतियाँ हैं।

Trusted for over 24 years

Family Owned Company

Secure Payment

All Major Credit Cards/Debit Cards/UPI & More Accepted

New & Authentic Products

India's Largest Distributor

Need Support?

Whatsapp Us

You May Also Like

Recently Viewed