Man on Mission Maharashtra
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- ISBN13: 9789353226275
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
नागपुर महापालिका में सबसे युवा मेयर चुने जाने के बाद से महाराष्ट्र राज्य के 18वें मुख्यमंत्री बनने तक का श्री देवेंद्र गंगाधरराव फडणवीस का राजनीतिक सफर तेजस्वी, निष्कलंक एवं प्रेरणाप्रद ही रहा है। उनका व्यक्तित्व राजसत्ता, जनप्रियता और अहंकारमुक्तता का संगम है। इसलिए वह अपनी मेहनत, कुशलता और राजनीतिक चतुरता से शासन-प्रशासन-पार्टी को सक्षम नेतृत्व देने में सफल रहे हैं। अपनी मधुर वाणी, सौम्यता और सादगीपूर्ण व्यवहार से वह लोगों का दिल जीतते आए हैं। राजनीति में आवश्यक संयम और आक्रामकता इन दोनों गुणों का संगम उनमें हुआ है।
केवल महाराष्ट्र का विकास और यहाँ की जनता का चहुँमुखी उन्नयन करने निकल पड़ें वे ‘मैन ऑन मिशन महाराष्ट्र’ हैं। गत पाँच साल में ग्रामीण विकास, किसान और खे ती , आरोग्य, महि ला विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि क्षेत्रों में उनके द्वारा लाए गए नए-नए प्रकल्प और साकार कल्पनाएँ इस बात की साक्षी हैं। उन्हीं के कार्य काल में जलयु क्त शिवार, चाहे इसे खेत में जलसरोवर, माँगे बिजली जैसी कई योजनाएँ सफलतापूर्वक कार्यान्वित हुईं। मुख्यमंत्री सहायता निधि द्वारा कई निर्धन रोगियों को आरोग्य मिला। फेरहिस्त लंबी है, लेकिन जनता ने अनुभव किया है कि यह मुख्यमंत्री महाराष्ट्र का भला करना चाहते हैं।
ऐसे भले व्यक्ति के कार्य का पूरा लेखा-जोखा तो नहीं, लेकिन कुछ कर दिखाने की उनकी ललक की एक झलक का स्वरूप यह पुस्तक प्रस्तुत करती है।
मैं फिर आऊँगा!
मैं फिर आऊँगा!
मेरे किसान भाइयों को चिंता से मुक्ति दिलाने मेरे माता-बहनों को स्वयं पूर्ण-सक्षम करने
मैं फिर आऊँगा—
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मेरे युवा मित्रों को नवाचार से सक्षम करने,
गाँव-गाँव में, बिंदु-बिंदु बचाकर उसे जलयुक्त बनाने ग्रामीण महाराष्ट्र की तसवीर बदलने,
मैं फिर आऊँगा—
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मैं फिर आऊँगा!
शहरों में आमूलचूल परिवर्तन लाने समूचे महाराष्ट्र को अकाल से मुक्ति दिलाने
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मैं फिर आऊँगा—इसी निर्धार से, इसी भूमिका में इसी जगह!
राज्य के हर व्यक्ति का साथ लेने उन सबका हाथ अपने हाथ में लेने
मैं फिर आऊँगा—
मैं फिर आऊँगा—
मेरे अपने महाराष्ट्र को नई आभा देने नव महाराष्ट्र का निर्माण करने
इसी जगह! इसी निर्धार से,
इसी भूमिका में—
मै फिर आऊँगा
(महाराष्ट्र विधानसभा के अंतिम सत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक कविता से अपने भाषण का समापन किया; यह उसका हिंदी में मुक्तानुवाद है।)
केवल महाराष्ट्र का विकास और यहाँ की जनता का चहुँमुखी उन्नयन करने निकल पड़ें वे ‘मैन ऑन मिशन महाराष्ट्र’ हैं। गत पाँच साल में ग्रामीण विकास, किसान और खे ती , आरोग्य, महि ला विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि क्षेत्रों में उनके द्वारा लाए गए नए-नए प्रकल्प और साकार कल्पनाएँ इस बात की साक्षी हैं। उन्हीं के कार्य काल में जलयु क्त शिवार, चाहे इसे खेत में जलसरोवर, माँगे बिजली जैसी कई योजनाएँ सफलतापूर्वक कार्यान्वित हुईं। मुख्यमंत्री सहायता निधि द्वारा कई निर्धन रोगियों को आरोग्य मिला। फेरहिस्त लंबी है, लेकिन जनता ने अनुभव किया है कि यह मुख्यमंत्री महाराष्ट्र का भला करना चाहते हैं।
ऐसे भले व्यक्ति के कार्य का पूरा लेखा-जोखा तो नहीं, लेकिन कुछ कर दिखाने की उनकी ललक की एक झलक का स्वरूप यह पुस्तक प्रस्तुत करती है।
मैं फिर आऊँगा!
मैं फिर आऊँगा!
मेरे किसान भाइयों को चिंता से मुक्ति दिलाने मेरे माता-बहनों को स्वयं पूर्ण-सक्षम करने
मैं फिर आऊँगा—
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मेरे युवा मित्रों को नवाचार से सक्षम करने,
गाँव-गाँव में, बिंदु-बिंदु बचाकर उसे जलयुक्त बनाने ग्रामीण महाराष्ट्र की तसवीर बदलने,
मैं फिर आऊँगा—
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मैं फिर आऊँगा!
शहरों में आमूलचूल परिवर्तन लाने समूचे महाराष्ट्र को अकाल से मुक्ति दिलाने
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मैं फिर आऊँगा—इसी निर्धार से, इसी भूमिका में इसी जगह!
राज्य के हर व्यक्ति का साथ लेने उन सबका हाथ अपने हाथ में लेने
मैं फिर आऊँगा—
मैं फिर आऊँगा—
मेरे अपने महाराष्ट्र को नई आभा देने नव महाराष्ट्र का निर्माण करने
इसी जगह! इसी निर्धार से,
इसी भूमिका में—
मै फिर आऊँगा
(महाराष्ट्र विधानसभा के अंतिम सत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक कविता से अपने भाषण का समापन किया; यह उसका हिंदी में मुक्तानुवाद है।)
आशिष चांदोरकर
विगत अठारह वर्षों से पत्रकारिता में एवं बीस से अधिक वर्ष विविधांगी सामाजिक उपक्रमों में सक्रिय रहे आशिष अरविंद चांदोरकरजी पुणे-महाराष्ट्र स्थित सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के सुवर्ण-पुरस्कार प्राप्त छात्र हैं। उन्होंने पुणे, मुंबई तथा हैदराबाद के परिसरों में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं ऑनलाइन—इन तीनों प्रसार-संचार माध्यमों द्वारा अपने व्यक्तित्व की मुद्रा अंकित करते-करते स्वयं की पत्रकारस्वरूप आजीविका निर्मित की। राजनीति, क्रीड़ा, समाजशास्त्र एवं खाद्य-संस्कृति, उनकी विशेष अभिरुचि के विषय हैं।
आशिष ने चुनाव काल में केवल महाराष्ट्र एवं गोवा में ही नहीं, वरन् साथसाथ गुजरात, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों का भी गहन अध्ययन व विश्लेषण किया।
आशिष ने यशस्विता के साथ सोशल मीडिया के विभिन्न आयामों में भी अपार ख्याति प्राप्त की है। विविध विषयों से संबंधित उनके ब्लॉग भी सदैव चर्चा का विषय बनते हैं। उन्होंने सन् 2018 में सोशल मीडिया पर आधारित लेखन के लिए महाराष्ट्र शासन द्वारा पुरस्कार प्राप्त किया।
विगत अठारह वर्षों से पत्रकारिता में एवं बीस से अधिक वर्ष विविधांगी सामाजिक उपक्रमों में सक्रिय रहे आशिष अरविंद चांदोरकरजी पुणे-महाराष्ट्र स्थित सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के सुवर्ण-पुरस्कार प्राप्त छात्र हैं। उन्होंने पुणे, मुंबई तथा हैदराबाद के परिसरों में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं ऑनलाइन—इन तीनों प्रसार-संचार माध्यमों द्वारा अपने व्यक्तित्व की मुद्रा अंकित करते-करते स्वयं की पत्रकारस्वरूप आजीविका निर्मित की। राजनीति, क्रीड़ा, समाजशास्त्र एवं खाद्य-संस्कृति, उनकी विशेष अभिरुचि के विषय हैं।
आशिष ने चुनाव काल में केवल महाराष्ट्र एवं गोवा में ही नहीं, वरन् साथसाथ गुजरात, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों का भी गहन अध्ययन व विश्लेषण किया।
आशिष ने यशस्विता के साथ सोशल मीडिया के विभिन्न आयामों में भी अपार ख्याति प्राप्त की है। विविध विषयों से संबंधित उनके ब्लॉग भी सदैव चर्चा का विषय बनते हैं। उन्होंने सन् 2018 में सोशल मीडिया पर आधारित लेखन के लिए महाराष्ट्र शासन द्वारा पुरस्कार प्राप्त किया।