Maj Chint Singh: The Man Who Should Have Died | Indian Warriors Who Got A Second Life In World War 2 Book in Hindi
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- ISBN13: 9789355625717
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान न्यू गिनी • के घने जंगलों में ऑस्ट्रेलियाई सेना द्वारा बचाए गए एक भारतीय युद्धबंदी की रोमांचक और सच्ची कहानी, जो 2400 से अधिक सैनिकों में अकेला जीवित बचा और ऑस्ट्रेलियाई युद्ध अपराध आयोग में मुख्य गवाह बना।
'मेजर चिंत सिंह' एक प्रेरक कहानी है, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एक भारतीय अधिकारी के जीवित रहने, उनके अदम्य साहस, धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा का वर्णन करती है।
1942 में सिंगापुर के पतन के बाद लगभग 2400 भारतीय युद्धबंदियों को श्रमिक के रूप में पापुआ न्यू गिनी भेजा गया। दो वर्षों में ही अधिकांश सैनिक जंगली बुखार और घातक बीमारियों, कुपोषण, जापानी सेना की क्रूर यातनाओं या मित्र देशों की बमबारी में मारे गए। मेजर चिंत सिंह उन ग्यारह जीवित सैनिकों में से थे, जिन्हें ऑस्ट्रेलियाई सेना ने बचाया था। दुर्भाग्यवश, उनके दस साथी एक विमान दुर्घटना में तब मारे गए, जब वे स्वदेश लौट रहे थे। इस तरह मेजर चिंत सिंह लगभग 2400 युद्धबंदियों में से अकेले जीवित बचने वाले सैनिक बन गए।
सबसे दिलचस्प सवाल: मेजर चिंत सिंह कैसे बच पाए ? जापानी कैद में रहते हुए उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा ? ऑस्ट्रेलिया में जापानियों के खिलाफ युद्ध-अपराधों की सुनवाई में उन्हें मुख्य गवाह क्यों बनाया गया ?
जवाब जानने के लिए मेजर चिंत सिंह की यह अनोखी सच्ची कहानी पढ़ें!
'मेजर चिंत सिंह' एक प्रेरक कहानी है, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एक भारतीय अधिकारी के जीवित रहने, उनके अदम्य साहस, धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा का वर्णन करती है।
1942 में सिंगापुर के पतन के बाद लगभग 2400 भारतीय युद्धबंदियों को श्रमिक के रूप में पापुआ न्यू गिनी भेजा गया। दो वर्षों में ही अधिकांश सैनिक जंगली बुखार और घातक बीमारियों, कुपोषण, जापानी सेना की क्रूर यातनाओं या मित्र देशों की बमबारी में मारे गए। मेजर चिंत सिंह उन ग्यारह जीवित सैनिकों में से थे, जिन्हें ऑस्ट्रेलियाई सेना ने बचाया था। दुर्भाग्यवश, उनके दस साथी एक विमान दुर्घटना में तब मारे गए, जब वे स्वदेश लौट रहे थे। इस तरह मेजर चिंत सिंह लगभग 2400 युद्धबंदियों में से अकेले जीवित बचने वाले सैनिक बन गए।
सबसे दिलचस्प सवाल: मेजर चिंत सिंह कैसे बच पाए ? जापानी कैद में रहते हुए उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा ? ऑस्ट्रेलिया में जापानियों के खिलाफ युद्ध-अपराधों की सुनवाई में उन्हें मुख्य गवाह क्यों बनाया गया ?
जवाब जानने के लिए मेजर चिंत सिंह की यह अनोखी सच्ची कहानी पढ़ें!
नरिंदर सिंह परमार एक कॅरियर सलाहकार, शिक्षक, लेखक और विश्व-प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता हैं, जो 1989 से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हैं। उन्होंने उन ऑस्ट्रेलियाई लोगों की खोज की और उनसे संपर्क किया, जिनसे उनके पिता मेजर चिंत सिंह ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संबंध मजबूत किए थे।
इसके अलावा उन्होंने मेजर चिंत सिंह की डायरियों और फोटो-एलबम से जानकारी एकत्र की तथा अपनी और अपने साथियों की कहानी दुनिया को बताई। वे सेल्फ-हेल्प बुक, 'टर्निंग पॉइंट : हाउ टु क्रिएट अ विनिंग माइंडसेट' के लेखक भी हैं।
इसके अलावा उन्होंने मेजर चिंत सिंह की डायरियों और फोटो-एलबम से जानकारी एकत्र की तथा अपनी और अपने साथियों की कहानी दुनिया को बताई। वे सेल्फ-हेल्प बुक, 'टर्निंग पॉइंट : हाउ टु क्रिएट अ विनिंग माइंडसेट' के लेखक भी हैं।