Main Vivekanand Bol Raha Hoon
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- ISBN13: 9789350480717
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
भारतीय आध्यात्मिक चेतना के सिरमौर स्वामी विवेकानंद अद्भुत मेधा के स्वामी थे। उन्होंने कहा था कि सारे अनर्थों की जड़ है हमारी गरीबी। स्वामीजी दरिद्रनारायण के दुखों से द्रवित और दलितवर्ग के प्रति किए जानेवाले अन्याय से व्यथित थे। वे जाति-पाँति के घोर विरोधी थे और इसे सामाजिक जीवन का घोर कलंक मानते थे। स्वामीजी का विश्वास था कि प्रत्येक राष्ट्र को अपनी नारी-जाति का सम्मान करना चाहिए। उनकी मान्यता थी कि भारत के सर्वसाधारण में यदि धर्म का संचार हो जाए, तो हम छोटी-छोटी समस्याओं से सहज में ही मुक्त हो जाएँगे।
स्वामीजी धर्मपुरुष थे और भारतीय संस्कृति के सजग प्रहरी। वे कट्टर राष्ट्रवादी थे, किंतु उनका राष्ट्रवाद मानवता का पोषक था। स्वामीजी ने धर्म और संस्कृति का निदान करते हुए सोए हुए भारत को उसके गौरवशाली अतीत से परिचित कराया। वेदों और उपनिषदों के प्राचीन आत्मज्ञान के संदेश को पाश्चात्य देशों तक गुंजारित किया।
वेदांत के अद्वितीय प्रचारक, भारतीय संस्कृति के विशिष्ट उद्घोषक, मानवता के महान् पोषक, दूरदर्शी विचारक स्वामी विवेकानंद के विचार देश की भावी युवा पीढ़ी के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य करेंगे। इसी भावना और शुभ संकल्प के साथ स्वामीजी के विचारों का यह संकलन प्रस्तुत है।
स्वामीजी धर्मपुरुष थे और भारतीय संस्कृति के सजग प्रहरी। वे कट्टर राष्ट्रवादी थे, किंतु उनका राष्ट्रवाद मानवता का पोषक था। स्वामीजी ने धर्म और संस्कृति का निदान करते हुए सोए हुए भारत को उसके गौरवशाली अतीत से परिचित कराया। वेदों और उपनिषदों के प्राचीन आत्मज्ञान के संदेश को पाश्चात्य देशों तक गुंजारित किया।
वेदांत के अद्वितीय प्रचारक, भारतीय संस्कृति के विशिष्ट उद्घोषक, मानवता के महान् पोषक, दूरदर्शी विचारक स्वामी विवेकानंद के विचार देश की भावी युवा पीढ़ी के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य करेंगे। इसी भावना और शुभ संकल्प के साथ स्वामीजी के विचारों का यह संकलन प्रस्तुत है।
डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल
जन्म : 14 जुलाई, 1944 को संभल (मुरादाबाद) उ.प्र. में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (हिंदी), आगरा विश्वविद्यालय।
प्रधान संपादक ‘शोध दिशा’ (त्रैमासिक); सचिव, हिंदी साहित्य निकेतन; पूर्व मंडलाध्यक्ष, रोटरी अंतरराष्ट्रीय मंडल 3100; सदस्य, भारतीय हिंदी परिषद् इलाहाबाद; सदस्य, अखिल भारतीय हिंदी प्रकाशक संघ, दिल्ली।
कृतित्व : हिंदी में मौलिक एवं संपादित शताधिक पुस्तकें प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : उ.प्र. युवा साहित्यकार संघ द्वारा ‘सरस्वतीश्री’; तुलसी पीठ कासगंज द्वारा ‘विद्यावारिधि’; विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ गांधीनगर द्वारा ‘विद्यासागर’; ‘बाबू झोलानाथ’ कृति पर उ.प्र. हिंदी संस्थान का अनुशंसा पुरस्कार; श्रीमती रतन शर्मा बाल साहित्य पुरस्कार; ‘मानवाधिकार : दशा और दिशा’ पुस्तक पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली का प्रथम पुरस्कार; ‘राजनीति में गिरगिटवाद’ पर उ.प्र. हिंदी संस्थान का अनुशंसा पुरस्कार, ‘आओ अतीत में चलें’ पर सूर-पुरस्कार एवं ‘साहित्यभूषण’; केंद्रीय हिंदी निदेशालय का ‘शिक्षा पुरस्कार’।
जन्म : 14 जुलाई, 1944 को संभल (मुरादाबाद) उ.प्र. में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (हिंदी), आगरा विश्वविद्यालय।
प्रधान संपादक ‘शोध दिशा’ (त्रैमासिक); सचिव, हिंदी साहित्य निकेतन; पूर्व मंडलाध्यक्ष, रोटरी अंतरराष्ट्रीय मंडल 3100; सदस्य, भारतीय हिंदी परिषद् इलाहाबाद; सदस्य, अखिल भारतीय हिंदी प्रकाशक संघ, दिल्ली।
कृतित्व : हिंदी में मौलिक एवं संपादित शताधिक पुस्तकें प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : उ.प्र. युवा साहित्यकार संघ द्वारा ‘सरस्वतीश्री’; तुलसी पीठ कासगंज द्वारा ‘विद्यावारिधि’; विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ गांधीनगर द्वारा ‘विद्यासागर’; ‘बाबू झोलानाथ’ कृति पर उ.प्र. हिंदी संस्थान का अनुशंसा पुरस्कार; श्रीमती रतन शर्मा बाल साहित्य पुरस्कार; ‘मानवाधिकार : दशा और दिशा’ पुस्तक पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली का प्रथम पुरस्कार; ‘राजनीति में गिरगिटवाद’ पर उ.प्र. हिंदी संस्थान का अनुशंसा पुरस्कार, ‘आओ अतीत में चलें’ पर सूर-पुरस्कार एवं ‘साहित्यभूषण’; केंद्रीय हिंदी निदेशालय का ‘शिक्षा पुरस्कार’।