Main Ram Bol Raha Hoon
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- ISBN13: 9789383111374
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
राम का जीवन भारतीयों के लिए एक आदर्श जीवन है। जन्म से लेकर अंत तक राम का चरित्र एक दीप-स्तंभ है। ऐसे सार्वकालिक राष्ट्रीय नायक का कथानक किसी भी कृति को गौरवान्वित करता है।
‘रामचरितमानस’ के धीरोदात्त नायक राम कथनी से अधिक करनी में विश्वास रखते थे। अतः उनके जो भी कथन उपलब्ध हैं, वे भारतीय संस्कृति की महत्त्वपूर्ण धरोहर हैं।
राम के प्रस्तुत उद्घोष तुलसीकृत रामचरितमानस एवं लेखक की समांतर कृति ‘रामचरितमानस ः नाट्य रूप’ से उद्धृत किए गए हैं।
विश्वास है, सुधी पाठक प्रस्तुत कृति से प्रेरणा ग्रहण करके अपने जीवन को सफल बनाएँगे और भारतीय तथा विश्व-समाज को समुन्नत करने में योगदान देंगे।
‘रामचरितमानस’ के धीरोदात्त नायक राम कथनी से अधिक करनी में विश्वास रखते थे। अतः उनके जो भी कथन उपलब्ध हैं, वे भारतीय संस्कृति की महत्त्वपूर्ण धरोहर हैं।
राम के प्रस्तुत उद्घोष तुलसीकृत रामचरितमानस एवं लेखक की समांतर कृति ‘रामचरितमानस ः नाट्य रूप’ से उद्धृत किए गए हैं।
विश्वास है, सुधी पाठक प्रस्तुत कृति से प्रेरणा ग्रहण करके अपने जीवन को सफल बनाएँगे और भारतीय तथा विश्व-समाज को समुन्नत करने में योगदान देंगे।
भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् साहित्य-रचना के माध्यम से समाज के उत्थान के कार्य हेतु समर्पित। हिंदी व अंग्रेजी में लगभग 50 पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें उनके तीन खंडों में प्रकाशित एक दर्जन उपन्यास भी सम्मिलित। भूमि-सुधारों पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विचारक।
कर्मयोग पर ‘भगवद्गीता : नाट्य रूप’ शीर्षक से गीता पर उनका भाष्य, राजधर्म को केंद्रबिंदु बनाकर उनके द्वारा लिखित ‘चित्रकूट में राम-भरत मिलाप’, भारतीयता की परिचायक कृति ‘भारतीय सोच’ तथा तुलसीकृत ‘रामचरितमानस’ को यथार्थ व नाट्य रूप में प्रस्तुत करनेवाली कृति ‘रामचरितमानस : नाट्य रूप’ भारतीय संस्कृति के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण पड़ाव हैं।
संप्रति भारत के अग्रणी विधि प्रतिष्ठान ‘खेतान एंड कंपनी’, नई दिल्ली में प्रमुख सलाहकार।
स्थायी संपर्क सूत्र—105, चौक बाजार, बरुआ सागर, झाँसी-284201 (उ.प्र.)
इ-मेल: pk_usha@rediffmail.com
कर्मयोग पर ‘भगवद्गीता : नाट्य रूप’ शीर्षक से गीता पर उनका भाष्य, राजधर्म को केंद्रबिंदु बनाकर उनके द्वारा लिखित ‘चित्रकूट में राम-भरत मिलाप’, भारतीयता की परिचायक कृति ‘भारतीय सोच’ तथा तुलसीकृत ‘रामचरितमानस’ को यथार्थ व नाट्य रूप में प्रस्तुत करनेवाली कृति ‘रामचरितमानस : नाट्य रूप’ भारतीय संस्कृति के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण पड़ाव हैं।
संप्रति भारत के अग्रणी विधि प्रतिष्ठान ‘खेतान एंड कंपनी’, नई दिल्ली में प्रमुख सलाहकार।
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