Mahilaon Mein Motapa | Important Facts And Management Measures For Women
₹500.00
₹425.00
15% OFF
Ships in 1 - 2 Days
Secure Payment Methods at Checkout
- ISBN13: 9789355621344
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Health & Yoga
महिलाओं में मोटापा' एम्स-डी.एस.टी. पहल के अंतर्गत एक सामूहिक प्रयास है, जो महिलाओं के जीवन के विभिन्न चरणों में मोटापे की जटिल समस्या को गहराई से समझने और विश्लेषण करने का प्रयास करता है। यह पुस्तक केवल साक्ष्य-आधारित चिकित्सा पद्धतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें चिकित्सा, मनोविज्ञान और पोषण जैसे विविध क्षेत्रों के दृष्टिकोण को भी शामिल किया गया है। यह मोटापे के कारणों, प्रभावों और प्रबंधन की रणनीतियों को व्यापक रूप से प्रस्तुत करती है।
आज के समय में, जब विशेष रूप से महिलाओं में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, यह पुस्तक अत्यधिक प्रासंगिक हो जाती है। यह मोटापे के बहुआयामी स्वरूप को उजागर करती है, जिसमें शारीरिक प्रभावों के साथ-साथ मानसिक और पोषण संबंधी पहलू भी शामिल हैं।
यह पुस्तक साक्ष्य-आधारित जानकारी और व्यावहारिक सुझावों के माध्यम से पाठकों को अपने स्वास्थ्य और जीवनशैली से जुड़े बेहतर निर्णय लेने में सहायता करती है। यह पुस्तक मोटापे की महामारी से निपटने और उसे नियंत्रित करने के प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण पथ-प्रदर्शक के रूप में उभरती है। यह न केवल आम लोगों के लिए, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, नीति-निर्माताओं और शोधकर्ताओं के लिए भी उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान करती है।
इसका उद्देश्य महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करके मोटापे से जुड़ी बीमारियों एवं जटिलताओं के खतरे को कम करना है। इस पुस्तक में वैज्ञानिक जानकारी को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों और आम लोगों की समझ के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके। यह महिलाओं को अपने शारारिक वजन पर नियंत्रण पाने और मोटापे से प्रभावी रूप से निपटने के लिए प्रेरित करती है, जिससे वे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें।
आज के समय में, जब विशेष रूप से महिलाओं में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, यह पुस्तक अत्यधिक प्रासंगिक हो जाती है। यह मोटापे के बहुआयामी स्वरूप को उजागर करती है, जिसमें शारीरिक प्रभावों के साथ-साथ मानसिक और पोषण संबंधी पहलू भी शामिल हैं।
यह पुस्तक साक्ष्य-आधारित जानकारी और व्यावहारिक सुझावों के माध्यम से पाठकों को अपने स्वास्थ्य और जीवनशैली से जुड़े बेहतर निर्णय लेने में सहायता करती है। यह पुस्तक मोटापे की महामारी से निपटने और उसे नियंत्रित करने के प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण पथ-प्रदर्शक के रूप में उभरती है। यह न केवल आम लोगों के लिए, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, नीति-निर्माताओं और शोधकर्ताओं के लिए भी उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान करती है।
इसका उद्देश्य महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करके मोटापे से जुड़ी बीमारियों एवं जटिलताओं के खतरे को कम करना है। इस पुस्तक में वैज्ञानिक जानकारी को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों और आम लोगों की समझ के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके। यह महिलाओं को अपने शारारिक वजन पर नियंत्रण पाने और मोटापे से प्रभावी रूप से निपटने के लिए प्रेरित करती है, जिससे वे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें।
डॉ. पीयूष रंजन, एम.डी., FICP वर्तमान में एम्स, नई दिल्ली के चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। मोटापा, चयापचय संबंधित विकार (Metabolism related disorders) और जीवनशैली से संबंधित रोगों के व्यवहारगत पहलुओं में उनकी गहरी रुचि है और वह इस क्षेत्र में एक प्रमुख विशेषज्ञ के रूप में स्थापित हैं। उनके नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने प्रसवोत्तर (Postpartum) और मध्य आयु (Midlife) की महिलाओं में मोटापा और अधिक वजन की समस्याओं के समाधान हेतु व्यावहारिक नैदानिक अभ्यास दिशानिर्देश (Clinical Practice Guidelines) विकसित किए हैं।
उन्होंने मोटापा, चयापचय संबंधित विकार, अस्पष्ट शारीरिक लक्षणों (Medically Unexplained Physical Symptoms) और संक्रामक रोगों से जुड़ी कई शोध परियोजनाओं में भाग लिया है और इस विषय पर कई शोध-पत्र भी प्रकाशित किए हैं। ये परियोजनाएँ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST), स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR), और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (ICMR) जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थाओं से वित्त पोषित हैं। इन शोधों ने मोटापे की समझ और प्रबंधन में उल्लेखनीय योगदान दिया है, जिससे वे शैक्षणिक और चिकित्सा जगत में एक महत्त्वपूर्ण विशेषज्ञ के रूप में उभरे हैं।
उन्होंने मोटापा, चयापचय संबंधित विकार, अस्पष्ट शारीरिक लक्षणों (Medically Unexplained Physical Symptoms) और संक्रामक रोगों से जुड़ी कई शोध परियोजनाओं में भाग लिया है और इस विषय पर कई शोध-पत्र भी प्रकाशित किए हैं। ये परियोजनाएँ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST), स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR), और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (ICMR) जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थाओं से वित्त पोषित हैं। इन शोधों ने मोटापे की समझ और प्रबंधन में उल्लेखनीय योगदान दिया है, जिससे वे शैक्षणिक और चिकित्सा जगत में एक महत्त्वपूर्ण विशेषज्ञ के रूप में उभरे हैं।