Mahayug Upanyias Trayi-2 : Himyug Mein Prem (Duniya Ki Paheli Premkatha)

Mahayug Upanyias Trayi-2 : Himyug Mein Prem (Duniya Ki Paheli Premkatha)

by Ratneshwar Kumar Singh

₹400.00 ₹340.00 15% OFF

Ships in 1 - 2 Days

Secure Payment Methods at Checkout

  • ISBN13: 9789355214911
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
जिन्दा रहने के संघर्ष के साथ 32000 साल पहले मनुष्य के होंठों ने खाने और बोलने केअलावा होंठ-चुंबन किया। सहवास की अवधारणा के साथ संसार का पहला प्रेम और पहले परिवार की परिकल्पना भी शुरू हुई। संसार के पहले राज्य जंबू की स्थापना हुई और संसार को पहला सम्राटद्वय मिला।

इसके राज गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) की गहराइयों में आज भी छुपे हुए हैं, जहाँ हिमयुग में नगर होने के संकेत मिले हैं। संसार में अब तक मिली नगरीय सभ्यताओं में यह सबसे पुराना नगर होने का अनुमान है। विज्ञानियों-पुराविदों के नवीन शोध और खोज को केंद्र में रखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखा गया है। ‘हिमयुग में प्रेम’ तीन उपन्यासों की शृंखला का दूसरा उपन्यास है।

होमो इरेक्टस और अन्य प्रजातियों के संघर्ष के बीच उन दिनों संसार में सांस्कृतिक विकास केे साथ कई नवीन प्रयोग हुए। इन्हीं लोगों ने पहली बार पालनौका, हिमवाहन और चक्के के साथ विविध अस्त्रों का निर्माण किया।

परग्रहियों ने होमो सेपियंस के डीएनए का पुनर्लेखन किया। क्रोनोवाइजर सिद्धांत के आधार पर कुछ विज्ञानियों और पुराविदों ने समुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड में संरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उसे फिल्टर किया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा को डिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्रा कंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकी आवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले भारत के प्रथम ज्ञात पूर्वज की पूरी कहानी सामने आई।
पर्यावरण पर केंद्रित बहुचर्चित और बेस्टसेलर उपन्यास ‘रेखना मेरी जान’ के लेखक रत्नेश्वर पाँचवीं कक्षा से ही अपने स्कूल सर गणेश दत्त पाटलिपुत्र, पटना में ‘स्टोरी मास्टर’ के नाम से पुकारे जाने लगे थे। 20 अक्तूबर, 1967 को अपने ननिहाल महरथ (वारिसलीगंज) में जनमे रत्नेश्वर ने बचपन से ही संघर्षपूर्ण जीवन जिया। अपने पैतृक गाँव बड़हिया से एक किसान के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत की।

आज रत्नेश्वर भारत के जाने-माने लेखक हैं। पत्रकारिता साहित्य के लिए उन्हें प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1998 में भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने 1988 में नवभारत नागपुर से पत्रकारिता की शुरुआत की। स्टार वन पर मानो या ना मानो का स्क्रिप्ट-लेखन किया, साथ ही प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक प्रकाश झा के नेतृत्व में मौर्य टी.वी. के डिप्टी एडिटर भी रहे। अब तक 15 से भी अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें जीत का जादू (व्यक्तित्व विकास), मीडिया लाइव (पत्रकारिता), लेफ्टिनेंट हडसन, सिम्मड़ सफेद (कहानी-संग्रह), रेखना मेरी जान, एक लडक़ी पानी-पानी, महायुग उपन्यास त्रयी-1 32000 साल पहले (उपन्यास), सफल हिंदी निबंध (निबंध-संग्रह) प्रमुख हैं।

इ मेल : ratneshwar1967@yahoo.co.in

Trusted for over 24 years

Family Owned Company

Secure Payment

All Major Credit Cards/Debit Cards/UPI & More Accepted

New & Authentic Products

India's Largest Distributor

Need Support?

Whatsapp Us

You May Also Like

Recently Viewed