Maharaja Chhatrasal
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- ISBN13: 9789348957023
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
शौर्य, पुरुषार्थ और मानवीय मूल्यों के किस्सों से बुना ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित उपन्यास है, 'महाराजा छत्रसाल'! यह कहानी इतिहास के उस कालखंड की है, जब भारतवर्ष पर विदेशी आक्रांताओं की कुत्सित दृष्टि पड़ी और उन्होंने आक्रमण कर इस समर्थ राष्ट्र को खूब लूटा। मुगल भारत आए और यहाँ की एकता-अखंडता की जड़ों को खोखला करने लगे। इनके शासनकाल में आमजन समुदाय पर अत्याचार बढ़ने लगे और लोगों के बीच भय, अनिश्चितता और निराशा पनपने लगी। समृद्ध भारत को दासता की बेड़ियों में जकड़ने का प्रयास जारी था।
इन्हीं परिस्थितियों में बुंदेलखंड की धरती से विलक्षण प्रतिभा संपन्न अप्रतिम योद्धा 'छत्रसाल' अपने बाहुबल से परिवर्तन की गाथा लिख रहे थे। उन्हें अपने माता-पिता से देशभक्ति और वीरता, विरासत में मिली थी। कलम और तलवार, दोनों की साधना करते हुए इस विरले राष्ट्रभक्त ने मातृभूमि की संस्कृति और स्वाभिमान को बचाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। 82 वर्ष की आयु में उस रणबाँकुरे ने 62 वर्ष रणभूमि में बिताए।
अपने आत्मबल से उन्होंने मुगलों के सबसे क्रूर और शक्तिशाली शासक औरंगजेब का बुंदेलखंड जीतने का स्वप्न कभी पूरा नहीं होने दिया। संकट में धैर्य को परखने का नाम है, 'छत्रसाल'। अपूर्व शौर्य और पराक्रम का पर्याय है, 'छत्रसाल' और अपनी अस्मिता के रक्षार्थ शत्रुओं को धूल में मिलाने का सामर्थ्य है 'छत्रसाल'। राष्ट्रभक्ति, पराक्रम, शूरवीरता और समर्पण के प्रतीक 'महाराजा छत्रसाल' की प्रेरक यशोगाथा ।
इन्हीं परिस्थितियों में बुंदेलखंड की धरती से विलक्षण प्रतिभा संपन्न अप्रतिम योद्धा 'छत्रसाल' अपने बाहुबल से परिवर्तन की गाथा लिख रहे थे। उन्हें अपने माता-पिता से देशभक्ति और वीरता, विरासत में मिली थी। कलम और तलवार, दोनों की साधना करते हुए इस विरले राष्ट्रभक्त ने मातृभूमि की संस्कृति और स्वाभिमान को बचाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। 82 वर्ष की आयु में उस रणबाँकुरे ने 62 वर्ष रणभूमि में बिताए।
अपने आत्मबल से उन्होंने मुगलों के सबसे क्रूर और शक्तिशाली शासक औरंगजेब का बुंदेलखंड जीतने का स्वप्न कभी पूरा नहीं होने दिया। संकट में धैर्य को परखने का नाम है, 'छत्रसाल'। अपूर्व शौर्य और पराक्रम का पर्याय है, 'छत्रसाल' और अपनी अस्मिता के रक्षार्थ शत्रुओं को धूल में मिलाने का सामर्थ्य है 'छत्रसाल'। राष्ट्रभक्ति, पराक्रम, शूरवीरता और समर्पण के प्रतीक 'महाराजा छत्रसाल' की प्रेरक यशोगाथा ।
विद्या चौहान
शैक्षणिक योग्यता : बी.एससी., बी.एड. । हिंदी, अंग्रेजी और बुंदेली में गद्य और पद्य विधाओं में लेखन; गीत, गजल, दोहे, हाइकू, कुंडलियाँ आदि काव्य विधाओं में सृजन। प्रकाशित कृतियाँ : 'A Journey through persever-ance (non fiction novel)'. 'दहलीज' (उपन्यास) वर्ष 2020 में महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। काव्य-संग्रह 'गीत गुलमोहर के' मध्य प्रदेश हिंदी लेखिका संघ, भोपाल द्वारा वर्ष 2022 में तथा साहित्य अर्चन मंच द्वारा वर्ष 2024 में अखिल भारतीय साहित्य सम्मान से सम्मानित ।
फोन : 8368167340
इ-मेल : vkmschouhan@gmail.com
शैक्षणिक योग्यता : बी.एससी., बी.एड. । हिंदी, अंग्रेजी और बुंदेली में गद्य और पद्य विधाओं में लेखन; गीत, गजल, दोहे, हाइकू, कुंडलियाँ आदि काव्य विधाओं में सृजन। प्रकाशित कृतियाँ : 'A Journey through persever-ance (non fiction novel)'. 'दहलीज' (उपन्यास) वर्ष 2020 में महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। काव्य-संग्रह 'गीत गुलमोहर के' मध्य प्रदेश हिंदी लेखिका संघ, भोपाल द्वारा वर्ष 2022 में तथा साहित्य अर्चन मंच द्वारा वर्ष 2024 में अखिल भारतीय साहित्य सम्मान से सम्मानित ।
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