MAHAKUMBHA: Sanatan Sanskriti ki Ajasra Chetna | Eternal Consciousness of Eternal Culture Book in Hindi
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- ISBN13: 9789355626103
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
कुंभ भारतीय समाज का ऐसा पर्व है, जिसमें हमें एक ही स्थान पर पूरे भारत के दर्शन होते हैं। हर बारह वर्ष बाद शंकराचार्यों के नेतृत्व में हमारे मनीषी देश की नीति और नियम तय कर समाज को संचालित करते थे। ये नियम सनातन परंपरा को अक्षुण्ण रखने के साथ-साथ समय की माँग के अनुसार भी बनते थे।
कुंभ पर्व के दौरान माँ गंगा में स्नान का महत्त्व भी पुण्यफल देने वाला है। केवल स्नान कर लेने से कुंभ पर्व का उद्देश्य पूरा नहीं होता, जब तक वैचारिक आदान-प्रदान न हो और देश के विभिन्न प्रांतों से विविध भाषा-भाषी आध्यात्मिक उन्नयन, देश के उत्थान की चर्चा, धर्म की चर्चा, अपनी पुरातन संस्कृति को कैसे जीवित रखा जाए तथा समाज को नई दृष्टि देकर उसका मार्गदर्शन कैसे किया जाए आदि पर चर्चा न करें।
आज जिस तरह राष्ट्रीय एकता और भावनात्मक एकता का प्रचार हो रहा है, वैसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। साथ ही वर्तमान गंगा में जिस प्रकार से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, वह चिंतनीय है। अगर आज हम गंगा की पवित्रता व निर्मलता बनाए रखेंगे, तभी हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इस दिव्य-पावन 'कुंभ' का अनुष्ठान कर अपनी आध्यात्मिक, धार्मिक, सभ्यता व संस्कृति को बचा पाएँगी।
इसी प्रयास के साथ जनमानस में सामाजिक-नैतिक चेतना जाग्रत् करने वाले सांस्कृतिक अनुष्ठान 'कुंभ' पर एक संपूर्ण सांगोपांग विमर्श है यह पुस्तक, जो सनातन संस्कृति की अजस्र चेतना की वाहक बनेगी।
कुंभ पर्व के दौरान माँ गंगा में स्नान का महत्त्व भी पुण्यफल देने वाला है। केवल स्नान कर लेने से कुंभ पर्व का उद्देश्य पूरा नहीं होता, जब तक वैचारिक आदान-प्रदान न हो और देश के विभिन्न प्रांतों से विविध भाषा-भाषी आध्यात्मिक उन्नयन, देश के उत्थान की चर्चा, धर्म की चर्चा, अपनी पुरातन संस्कृति को कैसे जीवित रखा जाए तथा समाज को नई दृष्टि देकर उसका मार्गदर्शन कैसे किया जाए आदि पर चर्चा न करें।
आज जिस तरह राष्ट्रीय एकता और भावनात्मक एकता का प्रचार हो रहा है, वैसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। साथ ही वर्तमान गंगा में जिस प्रकार से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, वह चिंतनीय है। अगर आज हम गंगा की पवित्रता व निर्मलता बनाए रखेंगे, तभी हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इस दिव्य-पावन 'कुंभ' का अनुष्ठान कर अपनी आध्यात्मिक, धार्मिक, सभ्यता व संस्कृति को बचा पाएँगी।
इसी प्रयास के साथ जनमानस में सामाजिक-नैतिक चेतना जाग्रत् करने वाले सांस्कृतिक अनुष्ठान 'कुंभ' पर एक संपूर्ण सांगोपांग विमर्श है यह पुस्तक, जो सनातन संस्कृति की अजस्र चेतना की वाहक बनेगी।
संजय चतुर्वेदी
शिक्षा : एल.एल.बी. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) ।
कृतित्व : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के अनेक दायित्वों का निर्वहन । विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी में सक्रिय भूमिका।
अध्यक्ष, डिवाइन कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, हरिद्वार; प्रबंध निदेशक, डिवाइन इंटरनेशनल फाउंडेशन (मानवीय कौशल विकास, पर्यावरण एवं राष्ट्रवादी वैचारिक अधिष्ठान को समर्पित) ।
संप्रति : राष्ट्रीय संयोजक, दिव्य प्रेम सेवा मिशन ।
संपर्क : सेवा कुंज, दिव्य प्रेम सेवा मिशन, चंडीघाट, हरिद्वार-249408 (उत्तराखंड) ।
मो. : 9837088910
इ-मेल : sanjayprem03@gmail.com
web : www.divyaprem.co.in
शिक्षा : एल.एल.बी. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) ।
कृतित्व : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के अनेक दायित्वों का निर्वहन । विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी में सक्रिय भूमिका।
अध्यक्ष, डिवाइन कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, हरिद्वार; प्रबंध निदेशक, डिवाइन इंटरनेशनल फाउंडेशन (मानवीय कौशल विकास, पर्यावरण एवं राष्ट्रवादी वैचारिक अधिष्ठान को समर्पित) ।
संप्रति : राष्ट्रीय संयोजक, दिव्य प्रेम सेवा मिशन ।
संपर्क : सेवा कुंज, दिव्य प्रेम सेवा मिशन, चंडीघाट, हरिद्वार-249408 (उत्तराखंड) ।
मो. : 9837088910
इ-मेल : sanjayprem03@gmail.com
web : www.divyaprem.co.in