Mahabharat Novel Book By Suryakant Tripathi Nirala in Hindi
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- ISBN13: 9789390825660
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने महाभारत पर आधारित एक उपन्यास लिखा, जिसे वे भारतीय महाकाव्य महाभारत की गहरी समझ और दृष्टि से प्रस्तुत करते हैं। इस काव्यात्मक उपन्यास में निराला ने महाभारत की घटनाओं और पात्रों को नए दृष्टिकोण से चित्रित किया है और उसके मूल तत्वों को अपने समय के संदर्भ में समझने का प्रयास किया है।
महाभारत भारतीय इतिहास और संस्कृति का सबसे बड़ा महाकाव्य है, जिसमें कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं का विवरण है। निराला ने इस उपन्यास में महाभारत की कथाओं को न केवल एक ऐतिहासिक या युद्धकथा के रूप में प्रस्तुत किया है, बल्कि उन्होंने इसे मानवता, नैतिकता, धर्म, और सामाजिक मूल्यों की गहरी परीक्षा के रूप में चित्रित किया है।
इस उपन्यास के माध्यम से निराला ने यह बताया कि महाभारत का युद्ध केवल बाहरी संघर्ष नहीं, बल्कि एक आंतरिक और मानसिक युद्ध भी है, जिसमें हर व्यक्ति को अपने धर्म और कर्म का पालन करना होता है।
महाभारत भारतीय इतिहास और संस्कृति का सबसे बड़ा महाकाव्य है, जिसमें कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं का विवरण है। निराला ने इस उपन्यास में महाभारत की कथाओं को न केवल एक ऐतिहासिक या युद्धकथा के रूप में प्रस्तुत किया है, बल्कि उन्होंने इसे मानवता, नैतिकता, धर्म, और सामाजिक मूल्यों की गहरी परीक्षा के रूप में चित्रित किया है।
इस उपन्यास के माध्यम से निराला ने यह बताया कि महाभारत का युद्ध केवल बाहरी संघर्ष नहीं, बल्कि एक आंतरिक और मानसिक युद्ध भी है, जिसमें हर व्यक्ति को अपने धर्म और कर्म का पालन करना होता है।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
जन्म : वसंत पंचमी, 1896। व्यक्तित्व में कबीर जैसा फक्खड़पन, काव्य-चेतना में तुलसी की-सी सांस्कृतिक निष्ठा, सूर की मधुर श्रृंगारिकता, प्रज्ञा में शंकर-विवेकानंद का तत्त्व-मंथन तथा कला-पक्ष में केशव की दुरूहता लेकर पं. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने हिंदी-जगत् में पदार्पण किया। बचपन से ही संकटों से संघर्ष करते हुए निराला ने अपने दृढ़ व्यक्तित्व का निर्माण किया। उनके विद्रोही व्यक्तित्व की भाँति ही उनकी कविताओं का स्वर मानवीय संवेदना से मुखर हुआ।
उनकी कविताओं में निराशा की उदासी, प्यार की बोझिल प्यास, जीवन में किसी से चिर-मिलन की आकांक्षा से टकराकर संगीत के स्वतंत्र आरोहण- अवरोहण के स्वर ध्वनित-प्रतिध्वनित होते हैं, साथ ही प्रकृति, प्रेम-सौंदर्य की वाणी भी गुंजित होती है। निस्संदेह महाप्राण निराला आधुनिक कविता-युग के प्रवर्तक हैं। उनकी रचनाधर्मिता सर्वतोमुखी है। उन्होंने विपुल साहित्य, यानी उपन्यास, कविता, कहानी, निबंध और जीवनियाँ लिखकर हिंदी साहित्यिक जगत् को समृद्ध किया और अपनी प्रखर लेखनी से अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया।
स्मृतिशेष : 15 अक्तूबर, 1961
जन्म : वसंत पंचमी, 1896। व्यक्तित्व में कबीर जैसा फक्खड़पन, काव्य-चेतना में तुलसी की-सी सांस्कृतिक निष्ठा, सूर की मधुर श्रृंगारिकता, प्रज्ञा में शंकर-विवेकानंद का तत्त्व-मंथन तथा कला-पक्ष में केशव की दुरूहता लेकर पं. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने हिंदी-जगत् में पदार्पण किया। बचपन से ही संकटों से संघर्ष करते हुए निराला ने अपने दृढ़ व्यक्तित्व का निर्माण किया। उनके विद्रोही व्यक्तित्व की भाँति ही उनकी कविताओं का स्वर मानवीय संवेदना से मुखर हुआ।
उनकी कविताओं में निराशा की उदासी, प्यार की बोझिल प्यास, जीवन में किसी से चिर-मिलन की आकांक्षा से टकराकर संगीत के स्वतंत्र आरोहण- अवरोहण के स्वर ध्वनित-प्रतिध्वनित होते हैं, साथ ही प्रकृति, प्रेम-सौंदर्य की वाणी भी गुंजित होती है। निस्संदेह महाप्राण निराला आधुनिक कविता-युग के प्रवर्तक हैं। उनकी रचनाधर्मिता सर्वतोमुखी है। उन्होंने विपुल साहित्य, यानी उपन्यास, कविता, कहानी, निबंध और जीवनियाँ लिखकर हिंदी साहित्यिक जगत् को समृद्ध किया और अपनी प्रखर लेखनी से अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया।
स्मृतिशेष : 15 अक्तूबर, 1961