Lottery Ticket Evam Anya Kahaniyan Stories Book
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- ISBN13: 9789355717894
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
कहानियों के माध्यम से जीवन के अनेक अनोखे पहलुओं को नाटकीय और रोचक ढंग से प्रस्तुत करना लेखक के लिए एक सुखद अनुभव होता है। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें सोचने-समझने के लिए प्रेरित भी करती हैं। इस संग्रह की कई कहानियाँ विशिष्ट अनुभूतियाँ प्रदान करती हैं। वे कभी मानव जीवन के विविध रूपों को उजागर करती हैं तो कभी हमारे आसपास की दुनिया के रहस्यों की झलक दिखाती हैं।
हर कहानी अपने आप में विशिष्ट है- चाहे वह किसी अप्रत्याशित मोड़ की बात हो, किसी गहरी व्यक्तिगत अंतर्दृष्टि का खुलासा हो या फिर ऐसी दुनिया की झलक हो, जिसकी हमने कल्पना तक न की हो।
जैसे-जैसे आप 'लॉटरी टिकट एवं अन्य कहानियाँ' के इस संग्रह में यात्रा करेंगे, जीवन के आपको विविध रंगों का दिग्दर्शन होगा। आशा है, ये कहानियाँ आपके हृदय से संवाद करेंगी और अंतिम पृष्ठ पलटने के बाद भी आपके मन पर गहरी छाप छोड़ेंगी। संभव है कि इनमें आपको ऐसे पात्र मिलें, जो आपको स्वयं की या किसी ऐसे व्यक्ति की याद दिलाएँ, जिन्हें आप जानते हैं।
हर कहानी अपने आप में विशिष्ट है- चाहे वह किसी अप्रत्याशित मोड़ की बात हो, किसी गहरी व्यक्तिगत अंतर्दृष्टि का खुलासा हो या फिर ऐसी दुनिया की झलक हो, जिसकी हमने कल्पना तक न की हो।
जैसे-जैसे आप 'लॉटरी टिकट एवं अन्य कहानियाँ' के इस संग्रह में यात्रा करेंगे, जीवन के आपको विविध रंगों का दिग्दर्शन होगा। आशा है, ये कहानियाँ आपके हृदय से संवाद करेंगी और अंतिम पृष्ठ पलटने के बाद भी आपके मन पर गहरी छाप छोड़ेंगी। संभव है कि इनमें आपको ऐसे पात्र मिलें, जो आपको स्वयं की या किसी ऐसे व्यक्ति की याद दिलाएँ, जिन्हें आप जानते हैं।
महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर में जनमे और पले-बढ़े अरुण श्यामराव रोहनकर ने अपने 27 वर्षों के बैंकिंग कॅरियर में 25 वर्ष भारतीय स्टेट बैंक में विभिन्न प्रबंधकीय पदों पर कार्य किया और 2 वर्ष भारतीय स्टेट बैंक की समूह कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट के रूप में अपनी सेवाएँ दीं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के पश्चात् उन्होंने कई वर्षों तक मुंबई में स्वतंत्र वित्तीय सलाहकार के रूप में कार्य किया।
बाद में नागपुर लौटकर उन्होंने कुछ समय तक नागपुर हाई कोर्ट में वकालत भी की। 65 वर्ष की आयु में उन्होंने लेखन के क्षेत्र में कदम रखा। जीवन के गहन अनुभवों और अपनी आध्यात्मिक यात्रा में गुरुदेव की कृपा से प्राप्त शिक्षाओं ने उनके लेखन को विशेष रूप से समृद्ध किया। इन विस्तृत दृष्टिकोणों ने उनकी पुस्तकों में संकलित लघु कहानियों को गहराई और अर्थ प्रदान किया। उनकी लेखन शैली की विशेषता यह है कि वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में समान सरलता और प्रवाह के साथ लिखते हैं।
बाद में नागपुर लौटकर उन्होंने कुछ समय तक नागपुर हाई कोर्ट में वकालत भी की। 65 वर्ष की आयु में उन्होंने लेखन के क्षेत्र में कदम रखा। जीवन के गहन अनुभवों और अपनी आध्यात्मिक यात्रा में गुरुदेव की कृपा से प्राप्त शिक्षाओं ने उनके लेखन को विशेष रूप से समृद्ध किया। इन विस्तृत दृष्टिकोणों ने उनकी पुस्तकों में संकलित लघु कहानियों को गहराई और अर्थ प्रदान किया। उनकी लेखन शैली की विशेषता यह है कि वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में समान सरलता और प्रवाह के साथ लिखते हैं।