Lal Samadhi
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- ISBN13: 9789355621511
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
लाल समाधि' देश को मिली स्वाधीनता से पहले भारत में जिस कम्युनिस्ट पार्टी का उदय हुआ, उसकी मजबूती से लेकर उसके टूटने और बिखराव का प्रामाणिक दस्तावेज है। इस पुस्तक में लेखक के पत्रकारीय अनुभव का गहरा प्रस्फुटन है। एक पार्टी से टूटते-बिखरते हुए कई दलों के वजूद में आने की वजह और परिस्थितियों का पुस्तक में विवरण है। जबकि इसी साल दो वामपंथी संगठनों के विलय पर भी सार्थक विवेचना पुस्तक में है।
कालांतर में बैलेट की बजाय बंदूक से सत्ता हासिल करने की नक्सली संगठनों की सनक को भी 'लाल समाधि' में तार्किकता के साथ उकेरा गया है। चारू मजुमदार के नेतृत्व में भाकपा माले का गठन तो कन्हाई चटर्जी के नेतृत्व में अस्तित्व में आए माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर इसी सनक का परिचायक हैं। देश की हिंदी पट्टी, यानी हिंदी भाषा-भाषी क्षेत्रों में वामपंथी संगठनों के उफान से लेकर उतार का विवरण है। साथ ही वाम संगठनों के उतार के कारणों की भी पहचान की गई है। लेखक को दिल्ली से लेकर झारखंड में तीन दशक से अधिक का पत्रकारिता का अनुभव है। 'लाल समाधि' में लेखक का अध्ययन और अनुभव दोनों समन्वित रूप से समाहित हैं।
कालांतर में बैलेट की बजाय बंदूक से सत्ता हासिल करने की नक्सली संगठनों की सनक को भी 'लाल समाधि' में तार्किकता के साथ उकेरा गया है। चारू मजुमदार के नेतृत्व में भाकपा माले का गठन तो कन्हाई चटर्जी के नेतृत्व में अस्तित्व में आए माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर इसी सनक का परिचायक हैं। देश की हिंदी पट्टी, यानी हिंदी भाषा-भाषी क्षेत्रों में वामपंथी संगठनों के उफान से लेकर उतार का विवरण है। साथ ही वाम संगठनों के उतार के कारणों की भी पहचान की गई है। लेखक को दिल्ली से लेकर झारखंड में तीन दशक से अधिक का पत्रकारिता का अनुभव है। 'लाल समाधि' में लेखक का अध्ययन और अनुभव दोनों समन्वित रूप से समाहित हैं।
धर्मवीर सिन्हा की राजनीतिक और समाजार्थिक मसलों पर शुरुआत से पैनी नजर रही है। तीन दशक से अधिक समय से दिल्ली के सियासी गलियारों और लुटियंस से लेकर झारखंड के वन-खंखारों तक पत्रकारिता का अनुभव समेटे धर्मवीर सिन्हा सियासत में वैचारिक क्षरण पर बारीक नजर रखते हैं और उस पर सधी हुई टिप्पणी भी करते रहे हैं। 'लाल समाधि' वाम राजनीति के वैचारिक धरातल को नापती और सियासी सुलह-समझौतों को बयाँ करने वाला एक आख्यान है।
धर्मवीर सिन्हा 1996 में 'आज तक' में एस.पी., यानी सुरेंद्र प्रताप सिंह के जमाने में जुड़े और झारखंड गठन के दौरान झारखंड पहुँचे। झारखंड में वर्ष 2020 तक 'आज तक' के ब्यूरो चीफ के बतौर काम करने के बाद राँची में 'सन्मार्ग' और 'मॉर्निंग इंडिया' के ग्रुप एडिटर तथा सी.ई.ओ. रहे। 'राँची एक्सप्रेस' में भी बतौर सी.ई.ओ. कार्यभार सँभाला। बाद में 'इंडिया न्यूज' के बिहार-झारखंड एडिटर रहे।
संप्रति स्वतंत्र लेखन तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म 'न्यूज हॉकर' के साथ सक्रिय ।
धर्मवीर सिन्हा 1996 में 'आज तक' में एस.पी., यानी सुरेंद्र प्रताप सिंह के जमाने में जुड़े और झारखंड गठन के दौरान झारखंड पहुँचे। झारखंड में वर्ष 2020 तक 'आज तक' के ब्यूरो चीफ के बतौर काम करने के बाद राँची में 'सन्मार्ग' और 'मॉर्निंग इंडिया' के ग्रुप एडिटर तथा सी.ई.ओ. रहे। 'राँची एक्सप्रेस' में भी बतौर सी.ई.ओ. कार्यभार सँभाला। बाद में 'इंडिया न्यूज' के बिहार-झारखंड एडिटर रहे।
संप्रति स्वतंत्र लेखन तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म 'न्यूज हॉकर' के साथ सक्रिय ।