Kulli Bhat Novel Book By Suryakant Tripathi Nirala in Hindi

Kulli Bhat Novel Book By Suryakant Tripathi Nirala in Hindi

by Suryakant Tripathi ‘Nirala’

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  • ISBN13: 9789390825486
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Novel
कुल्ली भट सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण उपन्यास है, जो उनके साहित्यिक योगदान में एक विशेष स्थान रखता है। यह उपन्यास उनके गहरे सामाजिक और मानसिक दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है, जिसमें उन्होंने समाज के निचले वर्ग, उनकी समस्याओं और संघर्षों को बड़े प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया है।

कुल्ली भट एक चरित्र-आधारित उपन्यास है, जिसमें कुल्ली भट नामक एक पात्र की जीवन यात्रा को केंद्रित किया गया है। कुल्ली भट एक गरीब और मेहनती व्यक्ति है, जो अपने जीवन में गरीबी, सामाजिक भेदभाव और असमानताओं का सामना करता है। यह उपन्यास उस समय के समाज की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों की गहरी आलोचना करता है। कुल्ली भट के माध्यम से निराला ने समाज की कुरीतियों और असमानताओं को उजागर किया है। उपन्यास की कहानी उस संघर्ष की है जो एक सामान्य आदमी को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए करना पड़ता है।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

जन्म : वसंत पंचमी, 1896। व्यक्तित्व में कबीर जैसा फक्खड़पन, काव्य-चेतना में तुलसी की-सी सांस्कृतिक निष्ठा, सूर की मधुर श्रृंगारिकता, प्रज्ञा में शंकर-विवेकानंद का तत्त्व-मंथन तथा कला-पक्ष में केशव की दुरूहता लेकर पं. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने हिंदी-जगत् में पदार्पण किया। बचपन से ही संकटों से संघर्ष करते हुए निराला ने अपने दृढ़ व्यक्तित्व का निर्माण किया। उनके विद्रोही व्यक्तित्व की भाँति ही उनकी कविताओं का स्वर मानवीय संवेदना से मुखर हुआ।

उनकी कविताओं में निराशा की उदासी, प्यार की बोझिल प्यास, जीवन में किसी से चिर-मिलन की आकांक्षा से टकराकर संगीत के स्वतंत्र आरोहण- अवरोहण के स्वर ध्वनित-प्रतिध्वनित होते हैं, साथ ही प्रकृति, प्रेम-सौंदर्य की वाणी भी गुंजित होती है। निस्संदेह महाप्राण निराला आधुनिक कविता-युग के प्रवर्तक हैं। उनकी रचनाधर्मिता सर्वतोमुखी है। उन्होंने विपुल साहित्य, यानी उपन्यास, कविता, कहानी, निबंध और जीवनियाँ लिखकर हिंदी साहित्यिक जगत् को समृद्ध किया और अपनी प्रखर लेखनी से अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया।

स्मृतिशेष : 15 अक्तूबर, 1961

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