Karma Vigyan
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- ISBN13: 9789392013607
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
कर्म संपूर्ण विश्व और जीवन का मूल है, अतः कर्म को उसके बृहत्तर वैश्विक और सामाजिक संदर्भ में समझने का अर्थ है- जगत् और जीवन को ही समग्रता में समझना। कर्म का स्वरूप क्या है? दुविधा की स्थिति में हम अपने कर्तव्य का निर्धारण कैसे करें ? इस संबंध में धर्म और नैतिकता की भूमिका क्या हो? आधुनिक समय में उनको किस सीमा तक व्यवहार में अपनाया जा सकता है ?
कर्मों के परिणाम बहुधा हमारी अपेक्षा से भिन्न क्यों निकलते हैं? कर्म से कर्मफल तक की यात्रा का रहस्य क्या है? मनुष्य की स्वतंत्र संकल्पशक्ति और नियति क्या है? सभी कर्मों का मूल विचारों में है, पर ये विचार आते कहाँ से हैं? इनका उद्गम स्थल हमारा मन है अथवा अनंत ब्रह्मांड ? मन की गहराइयों में स्थित जन्म-जन्मांतरों के संस्कार और विकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं? अपने वर्तमान और भविष्य को हम आनंददायक एवं सार्थक कैसे बना सकते हैं ? जीवन का उद्देश्य क्या हो? जीवन में अर्थवत्ता कैसे प्राप्त करें ?
यह पुस्तक ऐसे अनेक प्रश्नों से आपको परिचित करवाएगी। विशुद्ध वैज्ञानिक सिद्धांतों के आलोक में अध्यात्म और जीवन से संबंधित कई विषयों का विवेचन कर आपको कर्म, जीवन, भाग्य अथवा नियति के बारे में एक नई दृष्टि से सोचने पर विवश कर देगी।
कर्मों के परिणाम बहुधा हमारी अपेक्षा से भिन्न क्यों निकलते हैं? कर्म से कर्मफल तक की यात्रा का रहस्य क्या है? मनुष्य की स्वतंत्र संकल्पशक्ति और नियति क्या है? सभी कर्मों का मूल विचारों में है, पर ये विचार आते कहाँ से हैं? इनका उद्गम स्थल हमारा मन है अथवा अनंत ब्रह्मांड ? मन की गहराइयों में स्थित जन्म-जन्मांतरों के संस्कार और विकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं? अपने वर्तमान और भविष्य को हम आनंददायक एवं सार्थक कैसे बना सकते हैं ? जीवन का उद्देश्य क्या हो? जीवन में अर्थवत्ता कैसे प्राप्त करें ?
यह पुस्तक ऐसे अनेक प्रश्नों से आपको परिचित करवाएगी। विशुद्ध वैज्ञानिक सिद्धांतों के आलोक में अध्यात्म और जीवन से संबंधित कई विषयों का विवेचन कर आपको कर्म, जीवन, भाग्य अथवा नियति के बारे में एक नई दृष्टि से सोचने पर विवश कर देगी।
मेकैनिकल इंजीनियरिंग और कानून में स्नातक चन्द्रगुप्त कैलाश पूर्व सिविल सेवा अधिकारी हैं। पाँच वर्षों तक कतिपय औद्योगिक उपक्रमों में कार्य करने के उपरांत सन् 1988 में सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण हुए; तत्पश्चात् 33 वर्षों तक सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए अक्तूबर 2021 में निदेशक, रक्षा संपदा, पश्चिमी कमान के पद से सेवानिवृत्त हुए। इतिहास, दर्शन, राजनीति और आध्यात्मिक विज्ञान में गहन रुचि।
भारत की महान् आध्यात्मिक परंपरा में निहित ज्ञान और विवेक के समृद्ध कोष के प्रति युवा वर्ग को जागरूक कर उसे वर्तमान युग की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम बनाना ही लक्ष्य है। इस दिशा में आध्यात्मिक ज्ञान के सिद्धांतों को आधुनिक विज्ञान की अवधारणाओं के आलोक में प्रस्तुत करने में सतत प्रयासरत हैं।
संप्रति विभागीय प्रशिक्षण संस्थान में सैन्य और सिविल सेवाओं के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के अतिरिक्त समसामयिक राष्ट्रीय मुद्दों पर विभिन्न समाचार-पत्रों में लेखन तथा सोशल मीडिया चैनल्स पर नियमित साक्षात्कार। द्वारका, नई दिल्ली में निवास ।
भारत की महान् आध्यात्मिक परंपरा में निहित ज्ञान और विवेक के समृद्ध कोष के प्रति युवा वर्ग को जागरूक कर उसे वर्तमान युग की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम बनाना ही लक्ष्य है। इस दिशा में आध्यात्मिक ज्ञान के सिद्धांतों को आधुनिक विज्ञान की अवधारणाओं के आलोक में प्रस्तुत करने में सतत प्रयासरत हैं।
संप्रति विभागीय प्रशिक्षण संस्थान में सैन्य और सिविल सेवाओं के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के अतिरिक्त समसामयिक राष्ट्रीय मुद्दों पर विभिन्न समाचार-पत्रों में लेखन तथा सोशल मीडिया चैनल्स पर नियमित साक्षात्कार। द्वारका, नई दिल्ली में निवास ।