Kakori Train Dakaiti Ki Ansuni Kahani | Hindi Translation of Destination of Kakori 9 August 1925 | Freedom Fighter of India
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- ISBN13: 9789355621139
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
क्या आपको दस वीरों द्वारा रचित 'काकोरी ट्रेन लूट' याद है?
यह घटना 9 अगस्त, 1925 की है। भारत के बलिदानियों द्वारा रचित एक वास्तविक जीवन का नाटक, जिसके इर्द-गिर्द यह कथा लिखी गई है।
ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारत का असहयोग आंदोलन एक साल के भीतर भारत को स्वतंत्र कराने के वादे के साथ शुरू किया गया था। जब 1922 में इसे अचानक वापस ले लिया गया, तो हजारों युवा स्वतंत्रता सेनानी निराश हो गए। इस धोखे ने बड़ी संख्या में क्रांतिकारियों को जन्म दिया, जिन्होंने भारत में सत्तारूढ़ अंग्रेजों के विरुद्ध अकेले ही अपनी पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी।
इस दिन दस युवा लड़कों की एक टीम ने लखनऊ की बगल में काकोरी रेलवे स्टेशन के पास भारतीय रेल के खजाने को लूट लिया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम इतिहास की एक घटना और इसके इर्द-गिर्द बुनी गई एक काल्पनिक कहानी। यह पुस्तक युवा, साहसी हुतात्माओं व बलिदानियों की वीरता के उन चमकदार क्षणों को जीवंत करती है, जो आज तक हमारे लिए अज्ञात हैं। हमारे देश के नायकों और उनके परिवारों के जीवन में मानसिक पीड़ा, दुविधा और अस्तित्व के मुद्दों का एक शानदार चित्रण काकोरी के वीरों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
यह घटना 9 अगस्त, 1925 की है। भारत के बलिदानियों द्वारा रचित एक वास्तविक जीवन का नाटक, जिसके इर्द-गिर्द यह कथा लिखी गई है।
ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारत का असहयोग आंदोलन एक साल के भीतर भारत को स्वतंत्र कराने के वादे के साथ शुरू किया गया था। जब 1922 में इसे अचानक वापस ले लिया गया, तो हजारों युवा स्वतंत्रता सेनानी निराश हो गए। इस धोखे ने बड़ी संख्या में क्रांतिकारियों को जन्म दिया, जिन्होंने भारत में सत्तारूढ़ अंग्रेजों के विरुद्ध अकेले ही अपनी पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी।
इस दिन दस युवा लड़कों की एक टीम ने लखनऊ की बगल में काकोरी रेलवे स्टेशन के पास भारतीय रेल के खजाने को लूट लिया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम इतिहास की एक घटना और इसके इर्द-गिर्द बुनी गई एक काल्पनिक कहानी। यह पुस्तक युवा, साहसी हुतात्माओं व बलिदानियों की वीरता के उन चमकदार क्षणों को जीवंत करती है, जो आज तक हमारे लिए अज्ञात हैं। हमारे देश के नायकों और उनके परिवारों के जीवन में मानसिक पीड़ा, दुविधा और अस्तित्व के मुद्दों का एक शानदार चित्रण काकोरी के वीरों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
स्मिता ध्रुव को उपनिवेशित भारत के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन की कहानियों को अंग्रेजी और गुजराती में लिखने का विशिष्ट रुचि है। स्मिता की ऐतिहासिक कथा पुस्तक 'डेस्टिनेशन काकोरी ' (अब 'द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ काकोरी') को 'सलिल साहित्य रत्न सम्मान' से सम्मानित किया गया है। उनकी गुजराती में बहुप्रशंसित पुस्तक: ‘ભારતની આઝાદીના અનામી શહીદો का हिंदी में अनुवाद किया गया है।
स्मिता 'दिव्य भास्कर' और 'चंपक' के लिए बच्चों की कहानियाँ लिखती हैं। उनके कई उपन्यास और कविता-संग्रह हिंदी से अंग्रेजी और गुजराती में अनुवादित हैं। उनकी रचनाएँ कई पत्रिकाओं, संकलनों और स्टोरीमिरर जैसी वेबसाइट का हिस्सा हैं। उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से एम.एससी. किया है।का हिंदी में अनुवाद किया गया है।
स्मिता 'दिव्य भास्कर' और 'चंपक' के लिए बच्चों की कहानियाँ लिखती हैं। उनके कई उपन्यास और कविता-संग्रह हिंदी से अंग्रेजी और गुजराती में अनुवादित हैं। उनकी रचनाएँ कई पत्रिकाओं, संकलनों और स्टोरीमिरर जैसी वेबसाइट का हिस्सा हैं। उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से एम.एससी. किया है।का हिंदी में अनुवाद किया गया है।