Jo Jagate Hain
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- ISBN13: 9788199335660
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Self-Help Groups
भारत ने एक बार फिर पूरे विश्व को बता दिया कि उसकी संस्कृति कितनी महान् है। दुनिया में कहीं भी अन्याय होगा तो पीड़ितों के साथ वह खड़ा होगा, लोकतंत्र एवं मानवाधिकार के लिए आवाज उठाएगा। मानवीय गरिमा उसके लिए सर्वोपरि है।
राम तो करुणा का साकार रूप हैं; सहनशीलता, धैर्य, संयम के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यहाँ उस प्रसंग का उल्लेख उचित होगा, जब अनेक संहारक शस्त्रों से सुसज्जित रावण की विशाल सेना के समक्ष खड़े राम-लक्ष्मण को देख विभीषण व्यथित हो उठते हैं और राम मानवीय मूल्यों, मानवीय गुणों को ही शक्ति का स्रोत बताते हैं। यही रामकथा का सबसे महत्त्वपूर्ण संदेश है।
कुल मिलाकर हम सबको सामूहिक रूप से आत्मचिंतन करना होगा और नए इरादों, नए संकल्पों के साथ विकासशील भारत को विकसित भारत बनाने में जुटना होगा। अब राजतंत्र नहीं है कि राजनीति या निर्णय प्रक्रिया राजमहल तक सीमित हो तथा प्रजा राजमहल के रहमोकरम पर निर्भर हो, वरन् लोकतंत्र है। लोकतंत्र की सफलता के लिए अनिवार्य है कि प्रत्येक भारतवासी अपने कर्तव्यों तथा अधिकारों के प्रति जागरूक हो।
अपने जनप्रतिनिधियों से निरंतर संपर्क बनाकर रखे। स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार के कार्यकलापों पर पैनी नजर रखे और अपनी प्रतिक्रिया दे। जहाँ हमारी संवैधानिक संस्थाओं या राष्ट्रीय संस्थाओं को अपना दायित्व निभाना है, वहीं स्वयंसेवी संस्थाओं, बुद्धिजीवियों, लेखकों, कवियों, पत्रकारों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी अपने-अपने दायित्व सँभालने होंगे।
राम तो करुणा का साकार रूप हैं; सहनशीलता, धैर्य, संयम के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यहाँ उस प्रसंग का उल्लेख उचित होगा, जब अनेक संहारक शस्त्रों से सुसज्जित रावण की विशाल सेना के समक्ष खड़े राम-लक्ष्मण को देख विभीषण व्यथित हो उठते हैं और राम मानवीय मूल्यों, मानवीय गुणों को ही शक्ति का स्रोत बताते हैं। यही रामकथा का सबसे महत्त्वपूर्ण संदेश है।
कुल मिलाकर हम सबको सामूहिक रूप से आत्मचिंतन करना होगा और नए इरादों, नए संकल्पों के साथ विकासशील भारत को विकसित भारत बनाने में जुटना होगा। अब राजतंत्र नहीं है कि राजनीति या निर्णय प्रक्रिया राजमहल तक सीमित हो तथा प्रजा राजमहल के रहमोकरम पर निर्भर हो, वरन् लोकतंत्र है। लोकतंत्र की सफलता के लिए अनिवार्य है कि प्रत्येक भारतवासी अपने कर्तव्यों तथा अधिकारों के प्रति जागरूक हो।
अपने जनप्रतिनिधियों से निरंतर संपर्क बनाकर रखे। स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार के कार्यकलापों पर पैनी नजर रखे और अपनी प्रतिक्रिया दे। जहाँ हमारी संवैधानिक संस्थाओं या राष्ट्रीय संस्थाओं को अपना दायित्व निभाना है, वहीं स्वयंसेवी संस्थाओं, बुद्धिजीवियों, लेखकों, कवियों, पत्रकारों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी अपने-अपने दायित्व सँभालने होंगे।
भारत ने एक बार फिर पूरे विश्व को बता दिया कि उसकी संस्कृति कितनी महान् है। दुनिया में कहीं भी अन्याय होगा तो पीड़ितों के साथ वह खड़ा होगा, लोकतंत्र एवं मानवाधिकार के लिए आवाज उठाएगा। मानवीय गरिमा उसके लिए सर्वोपरि है।
राम तो करुणा का साकार रूप हैं; सहनशीलता, धैर्य, संयम के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यहाँ उस प्रसंग का उल्लेख उचित होगा, जब अनेक संहारक शस्त्रों से सुसज्जित रावण की विशाल सेना के समक्ष खड़े राम-लक्ष्मण को देख विभीषण व्यथित हो उठते हैं और राम मानवीय मूल्यों, मानवीय गुणों को ही शक्ति का स्रोत बताते हैं। यही रामकथा का सबसे महत्त्वपूर्ण संदेश है।
कुल मिलाकर हम सबको सामूहिक रूप से आत्मचिंतन करना होगा और नए इरादों, नए संकल्पों के साथ विकासशील भारत को विकसित भारत बनाने में जुटना होगा। अब राजतंत्र नहीं है कि राजनीति या निर्णय प्रक्रिया राजमहल तक सीमित हो तथा प्रजा राजमहल के रहमोकरम पर निर्भर हो, वरन् लोकतंत्र है। लोकतंत्र की सफलता के लिए अनिवार्य है कि प्रत्येक भारतवासी अपने कर्तव्यों तथा अधिकारों के प्रति जागरूक हो।
अपने जनप्रतिनिधियों से निरंतर संपर्क बनाकर रखे। स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार के कार्यकलापों पर पैनी नजर रखे और अपनी प्रतिक्रिया दे। जहाँ हमारी संवैधानिक संस्थाओं या राष्ट्रीय संस्थाओं को अपना दायित्व निभाना है, वहीं स्वयंसेवी संस्थाओं, बुद्धिजीवियों, लेखकों, कवियों, पत्रकारों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी अपने-अपने दायित्व सँभालने होंगे।
राम तो करुणा का साकार रूप हैं; सहनशीलता, धैर्य, संयम के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यहाँ उस प्रसंग का उल्लेख उचित होगा, जब अनेक संहारक शस्त्रों से सुसज्जित रावण की विशाल सेना के समक्ष खड़े राम-लक्ष्मण को देख विभीषण व्यथित हो उठते हैं और राम मानवीय मूल्यों, मानवीय गुणों को ही शक्ति का स्रोत बताते हैं। यही रामकथा का सबसे महत्त्वपूर्ण संदेश है।
कुल मिलाकर हम सबको सामूहिक रूप से आत्मचिंतन करना होगा और नए इरादों, नए संकल्पों के साथ विकासशील भारत को विकसित भारत बनाने में जुटना होगा। अब राजतंत्र नहीं है कि राजनीति या निर्णय प्रक्रिया राजमहल तक सीमित हो तथा प्रजा राजमहल के रहमोकरम पर निर्भर हो, वरन् लोकतंत्र है। लोकतंत्र की सफलता के लिए अनिवार्य है कि प्रत्येक भारतवासी अपने कर्तव्यों तथा अधिकारों के प्रति जागरूक हो।
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