Jharokhe Stories Book In Hindi

Jharokhe Stories Book In Hindi

by Garima Sanjay

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  • ISBN13: 9789348957573
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
ये 'झरोखे' हैं अंतर्मन के। जीवन की विविध अनुभूतियों की झलक प्रस्तुत करते विविध आकार-प्रकार के झरोखे। जीवन की इस विविधता का आरंभ मानव मन से होता है। कई बार अनजाने ही मनुष्य अपने भीतर अनेक रंग लिये जीता है-कुछ परिवार के लिए, कुछ समाज के लिए और कुछ स्वयं के लिए। एक ही परिवार के विभिन्न सदस्य एक-दूसरे के साथ होकर भी विविध होते हैं। परिवार की ऐसी ही खट्टी-मीठी विविधता में बँधी है 'झरोखे' की पहली कहानी 'बहनें", जिसमें तीन बहनों के तीन अलग-अलग व्यक्तित्व पिरोए हैं।

इसी प्रकार एक झरोखा है, 'श्याम रंग दे'- त्वचा के रंग के आधार पर प्रेम और विवाह के लिए दो चरित्रों की सोच की विविधता दरशाती है। 'फिर मिल गए', 'चलो भाग चलें', 'मोहे रंग दे', 'नेताजी' और 'नायिका' समाज की विविध किंतु सामान्य परिस्थितियों को दरशाते झरोखे हैं तो कुछ झरोखों से समाज का विद्रूप रूप दिखाई देता है, जिनमें 'डर', 'नशा', 'तेजाब', 'लड़की', 'मोल', 'नंबर का चक्कर' और 'गंदी नहीं' जैसी कहानियाँ हैं।

इन्हीं के बीच कुछ झरोखे पशुपतिनाथ को समर्पित हैं, जिनमें संदेश है, समस्त प्राणियों के साथ सामंजस्य बनाने एवं पर्यावरण संरक्षण का। इनमें सम्मिलित कहानियाँ हैं- 'काली बिल्ली की व्यथा, "एक था जंगल' और 'बिन पंछी जीवन'।

जीवन के ये झरोखे विविध परिस्थितियों के प्रति लेखिका की दृष्टि को भी प्रस्तुत करते हैं-जो कभी प्रश्न बनते हैं तो कभी समाधान प्रस्तुत करते हैं।
गरिमा संजय

लेखिका, उपन्यासकार, शोधकर्ता । सामाजिक विषयों पर चार उपन्यास 'ख्वाहिशें अपनी-अपनी' (वर्ष 2020), 'खट्टे-मीठे से रिश्ते' (वर्ष 2019), 'आतंक के साये में' (वर्ष 2015), 'स्मृतियाँ' (वर्ष 2013)। विभिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकों का लेखन एवं अनुवाद। अनेक कहानियाँ, लघुकथाएँ एवं आलेख प्रकाशित। सामयिक एवं ऐतिहासिक विषयों पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म एवं रेडियो कार्यक्रमों का निर्देशन और लेखन।

संप्रति ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, विकासपरक, राजनीतिक आदि अनेक विषयों पर भारत सरकार के विभिन्न संग्रहालयों, अनुभव केंद्रों एवं प्रोजेक्शन फिल्म के लिए शोध एवं लेखन में संलग्न, जिनमें से कुछ उल्लेखनीय कार्यों में सम्मिलित हैं- प्रधानमंत्री संग्रहालय, स्वतंत्रता संग्राम में आप्रवासी भारतीयों के योगदान-प्रवासी भारतीय दिवस, इंदौर; भारत-लोकतंत्र की जननी, जी-20; प्रोजेक्शन फिल्म स्क्रिप्ट-मेरी माटी, मेरा देश, कुतुब मीनार, आदि।

श्रीराम को समर्पित साझा संकलन 'रोम-रोम में राम' में प्रकाशित आलेख । पर्यावरण को समर्पित मासिक पत्रिका 'प्रकृति दर्शन' के लिए नियमित रूप से लेखन। लेखन क्षेत्र में 'नारी गौरव सम्मान' एवं 'चित्रांश गौरव अवार्ड' से सम्मानित। साहित्यिक सलाहकार, हिंदुस्तानी भाषा अकादमी; सदस्य, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज । garimasanjay.com पर 'अंतर्ध्वनि' नाम से ब्लॉग लेखन ।

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