India Wins Freedom Azad Bharat Hindi Translation | An Autobiographical Narrative by Maulana Abul Kalam Azad

India Wins Freedom Azad Bharat Hindi Translation | An Autobiographical Narrative by Maulana Abul Kalam Azad

by Maulana Abul Kalam Azad

₹500.00 ₹425.00 15% OFF

Ships in 1 - 2 Days

Secure Payment Methods at Checkout

  • ISBN13: 9789349116238
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): History
वर्तमान परिस्थिति के आकलन में एक और मुद्दा उभरकर आया, जिसमें मेरे और गांधीजी के विचारों में मतभेद हो गया। गांधीजी अब ज्यादा-से-ज्यादा विश्वास करने लग गए थे कि मित्र देशों का जीतना कठिन है। उन्हें भय था कि इस युद्ध में कहीं जर्मनी और जापान न जीत जाएँ और यदि जीत न भी पाएँ तो स्थिति में गतिरोध न पैदा हो जाए।

मैंने यह भी नोट किया कि सुभाष चंद्र बोस के देश से पलायन का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा है। पहले उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के अनेक कार्यों पर अपनी असहमति दर्ज की थी, लेकिन अब मैं यह देख रहा था कि उनका रुख बदल रहा है।

अंततः भारत आजाद हुआ, किंतु एकता को अक्षुण्ण नहीं रख पाया। एक नया देश पाकिस्तान बना, जिसका निर्माण मुसलिम लीग ने किया था। लिहाजा स्वाभाविक रूप से वही सत्ता में आई। मैं पहले भी कह चुका हूँ कि मुसलिम लीग की पैदाइश केवल कांग्रेस के विरोध से ही हुई थी। इसलिए उसे न तो राजनीतिक समझ थी और न ही उसके नेताओं ने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था, जो उन्हें राजनीतिक रूप से राज-काज सँभालने का ज्ञान देता। पाकिस्तान के नेताओं में राजनीतिक अनुभव शून्य था।

- इसी पुस्तक से

स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक मौलाना अबुल कलाम आजाद की आत्मकथा, जिसमें उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भारत-विभाजन के विषय में विस्तार से और बेबाकी से लिखा है।
मौलाना अबुल कलाम आजाद
(11 नवंबर, 1888-22 फरवरी, 1958) एक प्रसिद्ध भारतीय मुसलिम विद्वान् थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। 1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने। वे 1940 और 1945 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। आजादी के बाद वे 1952 में उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले से सांसद चुने गए और भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।
उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। मौलाना आजाद को ही 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' अर्थात् 'आई.आई.टी.' और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की, जैसे संगीत नाटक अकादेमी (1953), साहित्य अकादेमी (1954), ललित कला अकादेमी (1954)।

Trusted for over 24 years

Family Owned Company

Secure Payment

All Major Credit Cards/Debit Cards/UPI & More Accepted

New & Authentic Products

India's Largest Distributor

Need Support?

Whatsapp Us

You May Also Like

Recently Viewed