Hindutva Ki Punarvyakhya | An Original Thought Towards The ReEstablishment of Hindu Rashtra Book In Hindi
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- ISBN13: 9789355621016
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Political Science
आज देश में ही नहीं, अपितु संपूर्ण संसार में हिंदू और हिंदुत्व को समझ लेने की लोगों में प्रबल उत्कंठा है। हिंदुस्थान की परंपरागत संस्कृति और सभ्यता को मानवहित में एक बार पुनः समझने का प्रयास हो रहा है। राजनीतिक अथवा वैयक्तिक हितों की पूर्ति के लिए सनातन हिंदू जीवन के मानवीय एवं कल्याणकारी मूल्यों के साथ होने वाली छेड़छाड़, उपहास तथा कुप्रचार पर तीव्र गति से मंथन चल रहा है।
आक्रांताओं के अत्याचार, मारकाट, लूटपाट तथा भयंकर नरसंहार को झेलते हुए आज भी हिंदू अपने धर्म, संस्कृति एवं जीवन पद्धति की रक्षा में सफल है। वर्चस्व की लड़ाई में परमाणु विध्वंस, भूसीमा के लिए विस्तारवाद, उग्रवाद एवं आतंकवाद का सहारा, अनावश्यक वैश्विक इसलामिक जेहाद के आधार पर भयानक नरसंहार तथा ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मपरिवर्तन कराकर जनसंख्या के आधार पर संपूर्ण विश्व पर शासन करने की कुचेष्टा ने अब मानव को कहाँसेकहाँ पहुँचा दिया है? ऐसे में आज हिंदुओं के अस्तित्व की रक्षा एवं हिंदुस्थान के प्राचीन राष्ट्रीय मिशन को ध्यान देना आवश्यक है। हिंदुस्थान का राष्ट्रीय मिशन विश्व शांति, पर्यावरण सुरक्षा, वसुधैव कुटुम्बकम् तथा विश्व का मार्गदर्शन करना है, तभी भारत 'विश्वगुरु' कहलाएगा।
प्रस्तुत पुस्तक अत्यंत सारगर्भित रूप में हिंदुत्व की पुनर्व्याख्या कर मौलिक चिंतन तथा बौद्धिक बल देने का एक सशक्त माध्यम है।
आक्रांताओं के अत्याचार, मारकाट, लूटपाट तथा भयंकर नरसंहार को झेलते हुए आज भी हिंदू अपने धर्म, संस्कृति एवं जीवन पद्धति की रक्षा में सफल है। वर्चस्व की लड़ाई में परमाणु विध्वंस, भूसीमा के लिए विस्तारवाद, उग्रवाद एवं आतंकवाद का सहारा, अनावश्यक वैश्विक इसलामिक जेहाद के आधार पर भयानक नरसंहार तथा ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मपरिवर्तन कराकर जनसंख्या के आधार पर संपूर्ण विश्व पर शासन करने की कुचेष्टा ने अब मानव को कहाँसेकहाँ पहुँचा दिया है? ऐसे में आज हिंदुओं के अस्तित्व की रक्षा एवं हिंदुस्थान के प्राचीन राष्ट्रीय मिशन को ध्यान देना आवश्यक है। हिंदुस्थान का राष्ट्रीय मिशन विश्व शांति, पर्यावरण सुरक्षा, वसुधैव कुटुम्बकम् तथा विश्व का मार्गदर्शन करना है, तभी भारत 'विश्वगुरु' कहलाएगा।
प्रस्तुत पुस्तक अत्यंत सारगर्भित रूप में हिंदुत्व की पुनर्व्याख्या कर मौलिक चिंतन तथा बौद्धिक बल देने का एक सशक्त माध्यम है।
डॉ. विजय सोनकर
शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में हुआ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से बी.ए., एम.बी.ए. एवं पीएच.डी. (प्रबंध शास्त्र) के साथ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। बाल्यकाल से ही संघ की शाखाओं में राष्ट्रोत्थान तथा परमवैभव के भाव से परिचित डॉ. शास्त्री की संपूर्ण शिक्षादीक्षा काशी में हुई। तीन जानलेवा बीमारियों के उपरांत पूर्णरूपेण स्वस्थ हुए डॉ. शास्त्री ने प्रकृति के संदेश को समझा। हिंदू वैचारिकी और हिंदू संस्कृति को आत्मसात् कर राजनीति में प्रवेश किया और लोकसभा सदस्य बने। सामाजिक न्याय एवं सामाजिक समरसता के पक्षधर डॉ. सोनकर शास्त्री को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग (भारत सरकार) का चेयरमैन भी नियुक्त किया गया।
देश एवं विदेश की अनेक यात्राएँ कर डॉ. शास्त्री ने हिंदुत्व के प्रचारप्रसार में अपनी भूमिका सुनिश्चित की तथा मानवाधिकार, हिंदू वैचारिकी, दलित हिंदू की अग्निपरीक्षा, सामाजिक समरसता दर्शन, दलितमुसलिम गठजोड़ (स्वार्थपरक राजनीति की पराकाष्ठा) इत्यादि दर्जनों पुस्तकों का लेखन किया।' श्रीकृष्ण चरितमानस' नामक महाग्रंथ का संपादन डॉ. विजय सोनकर शास्त्री के जीवन की सबसे विशिष्ट उपलब्धि है।
विश्वमानव के सर्वोत्तम कल्याण की भारतीय संकल्पना को चरितार्थ करने का संकल्प लेकर डॉ. शास्त्री व्यवस्था के सभी मोरचों पर सतत सक्रिय हैं। हिंदू 'राष्ट्र का ब्लू प्रिंट' लिखने एवं 'सामाजिक समरसता शास्त्र' नामक एक नूतन विषय को अध्ययनअध्यापन हेतु वैश्विक स्तर पर संसार के समक्ष प्रस्तुत करने के चुनौतीपूर्ण कार्य में लगे डॉ. विजय सोनकर शास्त्री भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के दायित्त्व का निर्वहन कर रहे हैं।
शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में हुआ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से बी.ए., एम.बी.ए. एवं पीएच.डी. (प्रबंध शास्त्र) के साथ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। बाल्यकाल से ही संघ की शाखाओं में राष्ट्रोत्थान तथा परमवैभव के भाव से परिचित डॉ. शास्त्री की संपूर्ण शिक्षादीक्षा काशी में हुई। तीन जानलेवा बीमारियों के उपरांत पूर्णरूपेण स्वस्थ हुए डॉ. शास्त्री ने प्रकृति के संदेश को समझा। हिंदू वैचारिकी और हिंदू संस्कृति को आत्मसात् कर राजनीति में प्रवेश किया और लोकसभा सदस्य बने। सामाजिक न्याय एवं सामाजिक समरसता के पक्षधर डॉ. सोनकर शास्त्री को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग (भारत सरकार) का चेयरमैन भी नियुक्त किया गया।
देश एवं विदेश की अनेक यात्राएँ कर डॉ. शास्त्री ने हिंदुत्व के प्रचारप्रसार में अपनी भूमिका सुनिश्चित की तथा मानवाधिकार, हिंदू वैचारिकी, दलित हिंदू की अग्निपरीक्षा, सामाजिक समरसता दर्शन, दलितमुसलिम गठजोड़ (स्वार्थपरक राजनीति की पराकाष्ठा) इत्यादि दर्जनों पुस्तकों का लेखन किया।' श्रीकृष्ण चरितमानस' नामक महाग्रंथ का संपादन डॉ. विजय सोनकर शास्त्री के जीवन की सबसे विशिष्ट उपलब्धि है।
विश्वमानव के सर्वोत्तम कल्याण की भारतीय संकल्पना को चरितार्थ करने का संकल्प लेकर डॉ. शास्त्री व्यवस्था के सभी मोरचों पर सतत सक्रिय हैं। हिंदू 'राष्ट्र का ब्लू प्रिंट' लिखने एवं 'सामाजिक समरसता शास्त्र' नामक एक नूतन विषय को अध्ययनअध्यापन हेतु वैश्विक स्तर पर संसार के समक्ष प्रस्तुत करने के चुनौतीपूर्ण कार्य में लगे डॉ. विजय सोनकर शास्त्री भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के दायित्त्व का निर्वहन कर रहे हैं।