Hindu Sanatan Darshan | According To The Upanishads And Other Religious Texts
₹500.00
₹425.00
15% OFF
Ships in 1 - 2 Days
Secure Payment Methods at Checkout
- ISBN13: 9789355624512
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
धर्मनिर्पेक्षता की आधुनिक व्याख्या का अनुपालन करने के उत्साह में हमने अपने सभी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा संस्थानों में प्राचीन धर्मग्रंथों का अध्ययन वर्जित कर दिया।
स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी के इतिहासकारों ने संस्कृत में लिखे प्राचीन धर्मग्रंथों को भारतीय सभ्यता के इतिहास के रूप में प्रस्तुत किया।
सभ्यता और धर्म के मध्य जो रिक्त स्थान रह गया, उसे भरने के लिए पुजारी समुदाय आगे आया और हिंदू कर्मकांडों को बल मिला।
वर्तमान में हिंदू धर्म तीर्थ करने, पूजा-पाठ करने, उत्सव मनाने तथा रामायण और महाभारत तक ही सीमित रह गया है; परंतु इस सबमें हिंदू धर्म का सार, जो मुख्यतः आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित था, कहीं लुप्त हो गया है।
यह पुस्तक उन सभी सिद्धांतों और अवधारणाओं को संकलित करने का प्रयास है, जो हिंदू धर्म को मूल रूप से परिभाषित करती है। इसमें मुख्य उपनिषदों पर चर्चा की गई है और विभिन्न हिंदू विचारधाराओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
यह पुस्तक उन सभी पाठकों के लिए है, जो बौद्धिक और भावनात्मक रूप से परिपक्व हैं और पूर्वग्रहों से मुक्त हैं-फिर चाहे वे आस्तिक हों, नास्तिक हों या किसी अन्य धर्म से हों।
स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी के इतिहासकारों ने संस्कृत में लिखे प्राचीन धर्मग्रंथों को भारतीय सभ्यता के इतिहास के रूप में प्रस्तुत किया।
सभ्यता और धर्म के मध्य जो रिक्त स्थान रह गया, उसे भरने के लिए पुजारी समुदाय आगे आया और हिंदू कर्मकांडों को बल मिला।
वर्तमान में हिंदू धर्म तीर्थ करने, पूजा-पाठ करने, उत्सव मनाने तथा रामायण और महाभारत तक ही सीमित रह गया है; परंतु इस सबमें हिंदू धर्म का सार, जो मुख्यतः आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित था, कहीं लुप्त हो गया है।
यह पुस्तक उन सभी सिद्धांतों और अवधारणाओं को संकलित करने का प्रयास है, जो हिंदू धर्म को मूल रूप से परिभाषित करती है। इसमें मुख्य उपनिषदों पर चर्चा की गई है और विभिन्न हिंदू विचारधाराओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
यह पुस्तक उन सभी पाठकों के लिए है, जो बौद्धिक और भावनात्मक रूप से परिपक्व हैं और पूर्वग्रहों से मुक्त हैं-फिर चाहे वे आस्तिक हों, नास्तिक हों या किसी अन्य धर्म से हों।
विनीत अग्रवाल अपनी आलोचनात्मक लेखन शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। वे आई.आई.टी. (IIT) दिल्ली से इंजीनियर हैं और प्रबंधन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। कॉर्पोरेट क्षेत्र में कुछ समय काम करने के बाद वे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बने। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) में महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी पथक (ATS) के प्रमुख रहे तथा महाराष्ट्र शासन में प्रधान सचिव, गृह के पद पर कार्यरत रहे। उन्हें विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है।
उनका पहला उपन्यास 'रोमांस ऑफ ए नक्सलाइट' गढ़चिरौली में पुलिस अधीक्षक के रूप में उनके नक्सल विरोधी अभियानों के अनुभवों पर आधारित है। उनकी दूसरी पुस्तक 'कलयुग की पूर्व-संध्या' एक काव्य-नाटक है, जिसे गहन शोध पर आधारित माना जाता है। इस पुस्तक में महाभारत को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक को पोएसिस सोसाइटी द्वारा पुरस्कृत किया गया है और इसे एक लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक में रूपांतरित भी किया गया है।
यह उनकी तीसरी पुस्तक है।
उनका पहला उपन्यास 'रोमांस ऑफ ए नक्सलाइट' गढ़चिरौली में पुलिस अधीक्षक के रूप में उनके नक्सल विरोधी अभियानों के अनुभवों पर आधारित है। उनकी दूसरी पुस्तक 'कलयुग की पूर्व-संध्या' एक काव्य-नाटक है, जिसे गहन शोध पर आधारित माना जाता है। इस पुस्तक में महाभारत को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक को पोएसिस सोसाइटी द्वारा पुरस्कृत किया गया है और इसे एक लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक में रूपांतरित भी किया गया है।
यह उनकी तीसरी पुस्तक है।