Gyaneshwari Prasad
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- ISBN13: 9789390378203
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
हम सभी भारतवासी बड़े ही भाग्यशाली हैं कि हमें श्रीमद्भगवद्गीता जैसी श्रेष्ठ चिंतन-संपदा प्राप्त हुई है। हजारों वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश श्रोता-पाठक वर्ग को आज भी उतने ही प्रासंगिक लगते हैं। इस पवित्र ग्रंथ में प्रस्तुत किए गए चिंतन का विश्लेषण कर सुधीजनों हेतु उपलब्ध कराने का श्रेष्ठ कार्य अनेक महानुभावों ने अपनी-अपनी शैली से किया है। इस शृंखला में ज्ञानेश्वरी का अपना विशेष स्थान है। अत्यंत जटिल, कठिन चिंतन को अत्यंत सरल भाषा में, नित्य अनुभव में आनेवाले दृष्टांतों के साथ और तर्कशुद्ध पद्धति से संत ज्ञानेश्वर ने प्रस्तुत किया है। मुख्यतः ज्ञानेश्वरी और पू. स्वामी चिन्मयानंद के व्याख्यानों के संग्रह के आधार पर प्रस्तुत संकलन न विश्लेषण है, न समीक्षात्मक विवेचन। यह अनेकानेक महानुभावों द्वारा प्रस्तुत की गई संकल्पनाओं को, उन्हीं के शब्दों को सरलता से प्रस्तुति का एक प्रयास मात्र है।
सुरेश सदाशिव जोशी
उपाख्य ‘भय्याजी’
मूलतः इंदौर निवासी। शिक्षा मुंबई में हुई।
तदुपरांत 1975 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक जीवन प्रारंभ।
दीर्घकाल तक महाराष्ट्र प्रांत में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। पश्चिम क्षेत्र एवं अखिल भारतीय सेवा प्रमुख रहे। 2003 से 2009 तक मा. सह-सरकार्यवाह रहे।
2009 से मा. सरकार्यवाह के नाते मार्गदर्शन कर रहे हैं।
हिंदू संगठन हेतु विश्व भर में प्रवास करते हैं।
उपाख्य ‘भय्याजी’
मूलतः इंदौर निवासी। शिक्षा मुंबई में हुई।
तदुपरांत 1975 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक जीवन प्रारंभ।
दीर्घकाल तक महाराष्ट्र प्रांत में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। पश्चिम क्षेत्र एवं अखिल भारतीय सेवा प्रमुख रहे। 2003 से 2009 तक मा. सह-सरकार्यवाह रहे।
2009 से मा. सरकार्यवाह के नाते मार्गदर्शन कर रहे हैं।
हिंदू संगठन हेतु विश्व भर में प्रवास करते हैं।