Grihapravesh

Grihapravesh

by Smt.Suryabala

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  • ISBN13: 9789386870520
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
“अच्छा, यह इसने बिना किसी सोर्स, पुल के यों ही कर डालो, कहीं कोई खानदानी दुश्मनी तो नहीं?”
“ऐसा तो कोई खानदान या खानदानी जर-जमीन मिल्कियतवाला भी नहीं!”
“तब क्यों करता है ऐसा?”
“सुना, बच्चों की दो बरस की पढ़ाई का नुकसान पहले ही हो चुका, ऐसे ही झमेलों में।”
“बेबात इतना बड़ा बखेड़ा मोल लेना, कुछ समझ में नहीं आता, आखिर क्यों?”
“कुछ नहीं, विनाश काले विपरीत बुद्धि, भइए!”
“सुना, पिछले हलकों के सहकर्मियों में तो मशहूर हो गया था कि जो घर फूँके आपना, जाए अरुण वर्मा के साथ।”
“यानी?”
“यानी ब्लैक लिस्टेड।”
तभी दोहत्थड़ मारकर एक मनचला ठहाका लगाता है—“वाह! जरा सोचो यारो, ईमानदारी और असूलों पर भी बाकायदे ब्लैक लिस्टेड होने लगे न!”
“अमाँ, कहाँ की फिलॉसफी छाँट रहे हो, अभी तुमसे कहें कि जरा आज की जिंदगी से सही और गलत, ईमानदारी और बेईमानी को छोर-छोर कर अलग-अलग खतियाओ, तो कर लोगे क्या? बोलो, कूबत है छाँटने की? मालूम तो होगा बेईमानी, झूठ और फरेब से निकलकर जिंदगी का तर्जुमा करोगे तो क्या होगा?”
—इसी पुस्तक से
सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ. सूर्यबाला की ऐसी मर्मस्पर्शी व संवेदनशील कहानियों का संकलन, जो पाठकों के मन को छू जाएँगी।
Suryabala
जन्म : 25 अक्‍तूबर, 1943 को वाराणसी (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (रीति साहित्य—काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय)।
कृतित्व : अब तक पाँच उपन्यास, ग्यारह कहानी-संग्रह तथा तीन व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित।
टी.वी. धारावाहिकों में ‘पलाश के फूल’, ‘न किन्नी, न’, ‘सौदागर दुआओं के’, ‘एक इंद्रधनुष...’, ‘सबको पता है’, ‘रेस’ तथा ‘निर्वासित’ आदि। अनेक राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय संगोष्‍ठियों में सहभागिता। अनेक कहानियाँ एवं उपन्यास विभिन्न शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित। कोलंबिया विश्‍वविद्यालय (न्यूयॉर्क), वेस्टइंडीज विश्‍वविद्यालय (त्रिनिदाद) तथा नेहरू सेंटर (लंदन) में कहानी एवं व्यंग्य रचनाओं का पाठ।
सम्मान-पुरस्कार : साहित्य में विशिष्‍ट योगदान के लिए अनेक संस्थानों द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत।
प्रसार भारती की इंडियन क्लासिक श्रृंखला (दूरदर्शन) में ‘सजायाफ्ता’ कहानी चयनित एवं वर्ष की सर्वश्रेष्‍ठ फिल्म के रूप में पुरस्कृत।
इ-मेल : suryabala.lal@gmail.com

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