Godan Kavya Roopantaran: Poetic Adaptation of Premchand's Novel Godaan Book in Hindi
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- ISBN13: 9789355626837
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
उपन्यास सम्राट् मुंशी प्रेमचंद की विश्व-विश्रुत रचना 'गोदान' ग्रामांचल के नैसर्गिक किसान जीवन की पृष्ठभूमि में गद्य में होने के बावजूद कम काव्यमय नहीं है। इसीलिए इसे 'ग्रामीण जीवन का महाकाव्य' कहा जाता है। रचनाकार ने इसकी मूल आत्मा से बिना छेड़छाड़ किए इसे काव्य-कलेवर का एक नव्य रूप प्रदान किया है।
छंदबद्ध कविता लयात्मकता और तुकांतता के कारण सरलता से कंठस्थ और हृदयस्थ हो जाती है। संभवतः इसलिए वेद, उपनिषद्, पुराण, आयुर्वेद, अध्यात्म, दर्शन आदि को मुख्यतः छंदबद्ध कविता में निबद्ध किया गया है। गोदान (काव्य-रूपांतरण) हिंदी साहित्य के इतिहास में किसी संपूर्ण औपन्यासिक कृति का प्रथम छंदबद्ध काव्य-रूपांतरण है। कथा के सभी 36 दृश्यखंडों को उसके मूल स्वरूप में ही अपनाया गया है।
संपूर्ण उपन्यास में मुख्य व गौण पात्रों की संख्या 65 है, पाठकगण काव्य-रूपांतरण में अधिकांश पात्रों से परिचित हो पाएँगे। रूपांतरण में पात्र-परिचय, पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ, घटनाओं की तारतम्यता और संवाद की शैली को यथासंभव अक्षुण्ण रखने का प्रयास किया गया है।
छंदबद्ध कविता लयात्मकता और तुकांतता के कारण सरलता से कंठस्थ और हृदयस्थ हो जाती है। संभवतः इसलिए वेद, उपनिषद्, पुराण, आयुर्वेद, अध्यात्म, दर्शन आदि को मुख्यतः छंदबद्ध कविता में निबद्ध किया गया है। गोदान (काव्य-रूपांतरण) हिंदी साहित्य के इतिहास में किसी संपूर्ण औपन्यासिक कृति का प्रथम छंदबद्ध काव्य-रूपांतरण है। कथा के सभी 36 दृश्यखंडों को उसके मूल स्वरूप में ही अपनाया गया है।
संपूर्ण उपन्यास में मुख्य व गौण पात्रों की संख्या 65 है, पाठकगण काव्य-रूपांतरण में अधिकांश पात्रों से परिचित हो पाएँगे। रूपांतरण में पात्र-परिचय, पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ, घटनाओं की तारतम्यता और संवाद की शैली को यथासंभव अक्षुण्ण रखने का प्रयास किया गया है।
राकेश कुमार
जन्म : 16 जनवरी, 1973 को पीपरा कला, पाँकी, पलामू (झारखंड) । शिक्षा : मेकैनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, एम.ए. (हिंदी एवं इतिहास) ।
कृतित्व : 'कण्वाश्रम के फूल', 'सुमन सरोवर' और 'क्यों है कोयल काली'।
संपादित पुस्तकें : 'फूले विपिन पलाश', 'गीतिका पंचामृत', 'मुक्तक पंचामृत' और 'कुण्डलिया पंचामृत'।
सह-संपादित : 'चित्रा दर्पण', 'समकालीन जवाबदेही (संस्मरण अंक 2024)' व स्मारिका 'आए अवध श्रीराम'। आकाशवाणी, डालटनगंज व दूरदर्शन झारखंड से नियमित काव्य-प्रसारण।
संप्रति : अध्यापक, पलामू (झारखंड) ।
संपर्क : 'कण्वाश्रम', ग्राम पनेरीबांध, पोस्ट-झरीवा (शाहपुर), थाना-चैनपुर, जिला-पलामू, झारखंड, पिन : 822110
मो.: 9431555151, 8002326929
इ-मेल : rkpbandh@gmail.com
जन्म : 16 जनवरी, 1973 को पीपरा कला, पाँकी, पलामू (झारखंड) । शिक्षा : मेकैनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, एम.ए. (हिंदी एवं इतिहास) ।
कृतित्व : 'कण्वाश्रम के फूल', 'सुमन सरोवर' और 'क्यों है कोयल काली'।
संपादित पुस्तकें : 'फूले विपिन पलाश', 'गीतिका पंचामृत', 'मुक्तक पंचामृत' और 'कुण्डलिया पंचामृत'।
सह-संपादित : 'चित्रा दर्पण', 'समकालीन जवाबदेही (संस्मरण अंक 2024)' व स्मारिका 'आए अवध श्रीराम'। आकाशवाणी, डालटनगंज व दूरदर्शन झारखंड से नियमित काव्य-प्रसारण।
संप्रति : अध्यापक, पलामू (झारखंड) ।
संपर्क : 'कण्वाश्रम', ग्राम पनेरीबांध, पोस्ट-झरीवा (शाहपुर), थाना-चैनपुर, जिला-पलामू, झारखंड, पिन : 822110
मो.: 9431555151, 8002326929
इ-मेल : rkpbandh@gmail.com