Gharaunda Novel By Rangeya Raghav
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- ISBN13: 9789349116535
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
घरौंदा एक तरह से परिवार और समाज द्वारा बनाए गए दबावों पर प्रकाश डालता है। कैसे एक व्यक्ति अपने घर और परिवार के भीतर शांति और खुशी की खोज करता है, जबकि बाहरी और आंतरिक दबाव उसे परेशान करते रहते हैं। राघव ने इसमें यह दिखाया है कि एक व्यक्ति को अपने घर और रिश्तों की संरचना को बनाए रखने में कई बार समझौते करने पड़ते हैं, और यह संघर्ष जीवन के हिस्से के रूप में सामने आता है।
रंगेय राघव ने इस उपन्यास में रिश्तों की जटिलता को भी स्पष्ट किया है। जहां एक ओर परिवार का प्रेम और सहारा होता है, वहीं दूसरी ओर रिश्तों में असहमति और तनाव भी दिखाई देता है। यह उपन्यास यह बताता है कि घर का आकार और बाहरी स्थिति केवल भौतिक रूप से ही महत्वपूर्ण नहीं होती, बल्कि भीतर के रिश्तों का सामंजस्य और प्यार भी उतना ही मायने रखता है।
रंगेय राघव ने इस उपन्यास में रिश्तों की जटिलता को भी स्पष्ट किया है। जहां एक ओर परिवार का प्रेम और सहारा होता है, वहीं दूसरी ओर रिश्तों में असहमति और तनाव भी दिखाई देता है। यह उपन्यास यह बताता है कि घर का आकार और बाहरी स्थिति केवल भौतिक रूप से ही महत्वपूर्ण नहीं होती, बल्कि भीतर के रिश्तों का सामंजस्य और प्यार भी उतना ही मायने रखता है।
रांगेय राघव
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।