Ghar Ki Murgi | Satire Book
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- ISBN13: 9789355626394
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature & Fiction
महात्मा गांधी ने स्वदेशी का मंत्र दिया था। आज इसमें खास तरक्की हुई है। अब पेप्सी कोला नामक अमेरिकी कंपनी इस देश में कोल्ड ड्रिंक की बोतलों के पहाड़ लगा देगी। बच्चे दूध की बजाय कोल्ड ड्रिंक माँगा करेंगे। चॉकलेट, ब्रेड, हैमबर्गर और कारों से लेकर पंचतारा होटलों तक इस नए स्वदेशी का बोलबाला होगा। अमेरिकी जींस हमारी नई पीढ़ी की राष्ट्रीय पोशाक होगी। स्टार टी.वी., सी.एन.एन. के अंतरराष्ट्रीय प्रोग्राम से हमारे टी.वी. को गांधीजी का स्वदेशी संस्कार दिया जा रहा होगा। कोष (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) का कर्ज स्वदेशी के राम नाम सत्य का समयबद्ध कार्यक्रम चलाता रहेगा।'
हाँ जी, यह स्वदेशी व्यंग्यों का संग्रह है-देखन में छोटे, पर गंभीर घाव करने वाले व्यंग्यों का संग्रह। ये व्यंग्य अपनी लोकप्रियता और प्रासंगिकता के लिए सदाबहार कहे जा सकते हैं।
हाँ जी, यह स्वदेशी व्यंग्यों का संग्रह है-देखन में छोटे, पर गंभीर घाव करने वाले व्यंग्यों का संग्रह। ये व्यंग्य अपनी लोकप्रियता और प्रासंगिकता के लिए सदाबहार कहे जा सकते हैं।
दीनानाथ मिश्र
जन्म : 14 सितंबर, 1937, जोधपुर।
शिक्षा : एम.ए. (गोल्ड मैडल)।
श्री मिश्र पत्रकारिता के क्षेत्र में सन् 1962 में ही आ गए थे। सन् 1967 से लेकर 1974 तक वे 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक से संबद्ध । पहले सहायक संपादक और अंतिम तीन वर्ष प्रधान संपादक। आपातकाल में वे जेल में रहे। 'नवभारत टाइम्स' में डेढ़ दशक तक ब्यूरो चीफ और स्थानीय संपादक आदि रहे। उनके कॉलम देश के पच्चीस समाचार-पत्रों में प्रकाशित होते रहे। उन्होंने 'आर.एस.एस. : मिथ एंड रियलिटी' सहित आधा दर्जन पुस्तकों की रचना की है। सन् 1977 में उन्होंने श्री अटल बिहारी वाजपेयी की आपातकाल में लिखी गई 'कैदी कविराय की कुंडलियाँ' का संपादन किया। आपातकाल में 'गुप्तक्रांति' नामक पुस्तक भी लिखी। 'हर-हर व्यंग्ये', 'घर की मुरगी', 'चापलूसी रेखा' और 'पापी वोट के लिए' नामक चार संकलन प्रकाशित। 1998-2004 तक राज्यसभा सांसद रहे।
स्मृतिशेष : 13 नवंबर, 2013
जन्म : 14 सितंबर, 1937, जोधपुर।
शिक्षा : एम.ए. (गोल्ड मैडल)।
श्री मिश्र पत्रकारिता के क्षेत्र में सन् 1962 में ही आ गए थे। सन् 1967 से लेकर 1974 तक वे 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक से संबद्ध । पहले सहायक संपादक और अंतिम तीन वर्ष प्रधान संपादक। आपातकाल में वे जेल में रहे। 'नवभारत टाइम्स' में डेढ़ दशक तक ब्यूरो चीफ और स्थानीय संपादक आदि रहे। उनके कॉलम देश के पच्चीस समाचार-पत्रों में प्रकाशित होते रहे। उन्होंने 'आर.एस.एस. : मिथ एंड रियलिटी' सहित आधा दर्जन पुस्तकों की रचना की है। सन् 1977 में उन्होंने श्री अटल बिहारी वाजपेयी की आपातकाल में लिखी गई 'कैदी कविराय की कुंडलियाँ' का संपादन किया। आपातकाल में 'गुप्तक्रांति' नामक पुस्तक भी लिखी। 'हर-हर व्यंग्ये', 'घर की मुरगी', 'चापलूसी रेखा' और 'पापी वोट के लिए' नामक चार संकलन प्रकाशित। 1998-2004 तक राज्यसभा सांसद रहे।
स्मृतिशेष : 13 नवंबर, 2013