Gareeb Hone Ke Fayade

Gareeb Hone Ke Fayade

by Ravindranath Tyagi

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  • ISBN13: 9789352665280
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature & Fiction
गरीब होने के फायदे
हिंदी की व्यंग्य-त्रयी में रवींद्रनाथ त्यागी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। त्यागीजी ने अपने दो अन्य सहयात्रियों के साथ हिंदी-व्यंग्य को एक सुनिश्‍च‌ित दिशा प्रदान की और उसे एक विधा के रूप में प्रतिष्‍ठा दिलाने में अप्रतिम योगदान दिया। इस व्यंग्य-त्रयी में रवींद्रनाथ त्यागी की व्यंग्य-दिशा पूर्णत: भिन्न थी। हरिशंकर परसाई का क्षेत्र राजनीतिक था, शरद जोशी में विषय का वैविध्य एवं नए प्रयोगों का कौशल था, जबकि त्यागीजी में साहित्य और लालित्य की प्रधानता थी। त्यागीजी का यह विशिष्‍ट रंग था, अपनी मौलिक सर्जनात्मकता थी और हिंदी-व्यंग्य को शिखर तक ले जाने की प्रतिभा थी। यही कारण है कि हिंदी-व्यंग्य में उनकी अपनी अलग पहचान है तथा व्यंग्य-त्रयी के अंग होने पर भी वे अपने जैसे अकेले ही हैं। हिंदी-व्यंग्य के इतिहास में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान रहेगा और नई पीढ़ी के प्रेरणा-स्रोत बने रहेंगे।
रवींद्रनाथ त्यागी ने विपुल मात्रा में व्यंग्य रचनाएँ कीं। संभव है, आज उनकी संपूर्ण व्यंग्य-कृतियाँ उपलब्ध न हों और पाठक उनकी प्रतिनिधि तथा उच्च कोटि की रचनाओं से वंचित रह जाएँ। इसी को ध्यान में रखकर रवींद्रनाथ त्यागी के संपूर्ण व्यंग्य-साहित्य में से कुछ चुनी हुई रचनाएँ इस पुस्तक में प्रकाशित की गई हैं। इससे पाठकों को उनके व्यंग्य-साहित्य की एक झलक मिल सकेगी और वे अपने इस प्रिय व्यंग्यकार की रचनाओं का रसास्वादन कर सकेंगे।
यशस्वी व्यंग्यकार व प्रतिष्‍ठित कवि रवींद्रनाथ त्यागी का जन्म उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नहटौर कस्बे में 9 मई, 1930 को हुआ। भयंकर गरीबी के कारण उनकी प्रारंभिक शिक्षा मात्र संस्कृत में ही हुई। सन् 1954 में इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय से अर्थशास्‍‍त्र में एम.ए. की परीक्षा पास की और प्रथम स्थान प्राप्‍त किया। उसी वर्ष वे देश की सर्वोच्च सिविल सर्विसेज की प्रतियोगिता-परीक्षा में बैठे और ‘इंडियन डिफेंस एकाउंट्स सर्विस’ के लिए चुने गए। नौकरी के सात वर्ष उन्होंने केंद्रीय सचिवालय में गुजारे। रक्षा मंत्रालय में उपसचिव, ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड एकाउंट्स’ के निदेशक और वायुसेना, थलसेना की उत्तरी कमान व ऑर्डिनेंस फैक्टरीज के ‘कंट्रोलर ऑफ डिफेंस एकाउंट्स’ रहे। सन् 1989 में सरकारी सेवा से निवृत्ति।
अब तक उनके सात कविता-संग्रह, चुनी गई कविताओं का एक संग्रह, चौबीस व्यंग्य-संग्रह, एक उपन्यास, बाल-कथाओं के चार संग्रह और चुनी हुई रचनाओं के नौ संग्रह प्रकाशित। ‘उर्दू-हिंदी हास्य-व्यंग्य’ नामक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ का संपादन। ‘रवींद्रनाथ त्यागी: प्रतिनिधि रचनाएँ’ नामक ग्रंथ डॉ. कमलकिशोर गोयनका द्वारा तथा ‘कवि और व्यंग्यकार : रवींद्रनाथ त्यागी’ नामक ग्रंथ डॉ. आशा रावत द्वारा संपादित एवं प्रकाशित। चुनी हुई सौ-सौ विशिष्‍ट व्यंग्य रचनाओं के दो विशद संग्रह प्रकाशित।
स्मृतिशेष : 4 सितंबर, 2004

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