Gandhiji Hind Swaraj se Nehru Tak

Gandhiji Hind Swaraj se Nehru Tak

by Devendra Swarup

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  • ISBN13: 9789351862277
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature & Fiction
अनेक राजनेता, इतिहासकार और जिज्ञासु एक प्रश्न उठाते रहे हैं। आखिर गांधीजी ने 1946 में सरदार पटेल का नाम वापस करवाकर नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष क्यों बनाया? जबकि 15 में से 13 प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों ने सरदार पटेल का नाम प्रस्तावित किया था और नेहरू का नाम कहीं से नहीं आया था। गांधीजी जानते थे कि जो अभी कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा, वही देश का प्रधानमंत्री भी बनेगा। तब उन्होंने अपने ‘हिंद स्वराज’ के सिद्धांतों से असहमति जतानेवाले नेहरू के हाथों देश की बागडोर सौंपने का निर्णय क्यों लिया? यह भी विचारणीय है कि गांधीजी अपने जीवनकाल में ‘हिंद स्वराज’ में प्रस्तुत अपने सपने को कितनी मात्रा में साकार कर पाए? यदि गांधीजी जैसा महान् व्यक्तित्व वह नहीं कर पाया तो क्या उनके बाद नेहरू से उसकी अपेक्षा की जा सकती थी? इस पुस्तक में इन प्रश्नों के आलोक में गांधीजी के जीवन-दर्शन और उनकी मूल निष्ठाओं को समझने का प्रयास किया गया है।
बिहार के वर्तमान बेगूसराय जिला के नूरपुर गाँव के एक मध्यवर्गीय शिक्षित परिवार में पले-बढ़े डॉ. रज़ी अहमद ने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. किया, फिर वहीं से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। एम.ए. करने के बाद सन् 1960 से ही वह रचनात्मक क्षेत्र में सक्रिय होकर तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की अध्यक्षता में बिहार में गांधी संग्रहालय निर्माण के लिए सन् 1958 में बनी समिति की योजनाओं से संबद्ध रहे। बारह वर्षों तक (1980-1992) राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, नई दिल्ली के मंत्री भी रहे। केंद्रीय गांधी स्मारक निधि, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय समिति, राजेंद्र भवन ट्रस्ट, नई दिल्ली, बिहार विरासत विकास न्यास, बिहार सरकार सहित अनेक शैक्षणिक, रचनात्मक और मानवाधिकार के लिए संघर्षशील संस्थाओं की कार्य समिति और ट्रस्ट से संबद्ध हैं।
डॉ. अहमद की अनेक छोटी पुस्तिकाओं के अतिरिक्त कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनमें ‘सदाकत आश्रम’, ‘सांप्रदायिकता एक चुनौती’, ‘गांधी और मुसलमान’, ‘जयप्रकाश नारायण’, ‘आजादी के पचास वर्ष : क्या खोया, क्या पाया’, ‘गांधी अमंग दी पीजेंट्स’ ने स्कॉलर्स को आकर्षित किया है। इन्होंने 1978 में यू.एन.ओ. की जनरल एसेंबली में हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व किया। देश और विदेशों में मानवाधिकार, अंतरराष्ट्रीय समस्याओं तथा इसलाम और विश्वबंधुत्व जैसे विषयों पर आयोजित विचार-गोष्ठियों में सम्मिलित होते रहे हैं।
संपर्क : 09430246371, 09162535154

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