Fir Aaya Mausam Chunav Ka

Fir Aaya Mausam Chunav Ka

by Sunita Shanoo

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  • ISBN13: 9789383110414
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Political Science
मैं जो हूँ तो हूँ...
जब जिंदगी में तकलीफें इस कदर बढ़ जाएँ कि खुशियाँ मुँह चिढ़ाने लग जाएँ, और लगे कि अब बस आँसुओं को निकलने से कोई रोक नहीं सकता, तो खुद को इतना गुदगुदाओ, हँसाओ कि आँसू निकल आएँ और तुम कह सको—अरे यार! ये तो खुशी के आँसू हैं।...मैं भी ऐसा ही कुछ किया करती हूँ। जब दुःखपरेशानियाँ अपनी हदें पार कर जाती हैं, और क्रांति फिल्म की तरह खुद को कभी उलटा तो कभी सीधा खूँटी पर टँगा पाती हूँ तो आज भी मैं वही गाना गाती हूँ, मेरा चना खा गए गोरे, मारें हमको कोड़े, फिर भी निकला न है दम, चना जोर गरम।
मैं जो हूँ, बस ऐसी ही हूँ, और उम्मीद करती हूँ कि मेरा यह व्यंग्यसंग्रह आपको डिस्प्रीन, क्रोसिन से निजात दिलाएगा।
लेखक, कवि एवं स्वतंत्र पत्रकार।
जन्म :6 अगस्त, 1970 को पिलानी (राजस्थान) में।
शिक्षा :जिंदगी की मार के साथसाथ बी.एससी. (होमसाइंस) और एम.ए. हिंदी में।
प्रकाशन :‘मन पखेरू उड़ चला फिर’ (काव्यसंग्रह) एवं हिंदी पत्रपत्रिकाओं में व्यंग्य, कविता, कहानियाँ आदि प्रकाशित। ‘शुक्रवार’ पत्रिका में ‘क्षणिकाएँ’ कॉलम लेखन; आकाशवाणी से साक्षात्कार एवं अन्य कार्यक्रम प्रसारित।
सम्मानपुरस्कार :स्टार प्लस एवं दैनिक हिंदुस्तान द्वारा ‘विशेष प्रतिभा पुरस्कार’ प्राप्त।
संप्रति :चाय निर्यातक।
संपर्क :206/3, गली नं.5, पद्म नगर, किशनगंज, दिल्ली110007
घुमंतू :8860595937

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