Family Business Mein Safalta Kaise Payen? (Hindi Translation of How To Thrive In A Family Business)
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- ISBN13: 9789355622181
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
आपके अनुसार पारिवारिक व्यवसाय क्या है? इसके क्या फायदे हैं? अधिकांश पारिवारिक व्यवसाय तीसरी पीढ़ी तक विफल क्यों हो जाते हैं? क्या इस अभिशाप को बदला जा सकता है और पारिवारिक व्यवसाय को आपके लाभ में बदला जा सकता है ?
भारत में आयुर्वेदिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माता बैद्यनाथ समूह के निदेशक और प्रमोटर अजय शर्मा एक मजबूत पारिवारिक व्यवसाय बनाने और उसका पोषण करने के बारे में अपने अनुभव और टिप्पणियाँ साझा कर रहे हैं। उनका मानना है कि एक व्यवसाय उस पीढ़ी के व्यवहार के अनुसार व्यवहार करता है, जो उसे प्रबंधित करती है। उन्होंने 4 टी का सिद्धांत तैयार किया है, जो एक पीढ़ी के जीवनचक्र के चरणों की व्याख्या करता है।
क्या पारिवारिक व्यवसाय बड़े बेटे के सिंड्रोम से पीड़ित हैं? क्या व्यवसाय का जल्द विभाजन एक बड़े दोष के रूप में देखा जाता है? किसी को उत्तराधिकार की योजना कब बनानी चाहिए और कब स्वामित्व से अलग होना चाहिए? आपस के मुख्य टकराव क्या हैं?
किसी भी पारिवारिक व्यवसाय की समृद्धि और निरंतरता में बाधा डालने वाले तीस ऐसे बड़े दोषों की पहचान करना तथा हर सदस्य व हर पीढ़ी को क्या नहीं करना चाहिए, ऐसे सभी व्यावहारिक बिंदुओं पर अनुभवजन्य प्रकाश डालती यह पुस्तक एक कुशल मार्गदर्शिका के रूप में पारिवारिक व्यावसायिक समूहों का पथ प्रशस्त करेगी।
भारत में आयुर्वेदिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माता बैद्यनाथ समूह के निदेशक और प्रमोटर अजय शर्मा एक मजबूत पारिवारिक व्यवसाय बनाने और उसका पोषण करने के बारे में अपने अनुभव और टिप्पणियाँ साझा कर रहे हैं। उनका मानना है कि एक व्यवसाय उस पीढ़ी के व्यवहार के अनुसार व्यवहार करता है, जो उसे प्रबंधित करती है। उन्होंने 4 टी का सिद्धांत तैयार किया है, जो एक पीढ़ी के जीवनचक्र के चरणों की व्याख्या करता है।
क्या पारिवारिक व्यवसाय बड़े बेटे के सिंड्रोम से पीड़ित हैं? क्या व्यवसाय का जल्द विभाजन एक बड़े दोष के रूप में देखा जाता है? किसी को उत्तराधिकार की योजना कब बनानी चाहिए और कब स्वामित्व से अलग होना चाहिए? आपस के मुख्य टकराव क्या हैं?
किसी भी पारिवारिक व्यवसाय की समृद्धि और निरंतरता में बाधा डालने वाले तीस ऐसे बड़े दोषों की पहचान करना तथा हर सदस्य व हर पीढ़ी को क्या नहीं करना चाहिए, ऐसे सभी व्यावहारिक बिंदुओं पर अनुभवजन्य प्रकाश डालती यह पुस्तक एक कुशल मार्गदर्शिका के रूप में पारिवारिक व्यावसायिक समूहों का पथ प्रशस्त करेगी।
अजय शर्मा भारत में आयुर्वेदिक औषधियों के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और प्रमोटर हैं। आयुर्वेद के प्रथम परिवार बैद्यनाथ की तीसरी पीढ़ी के सर्वाधिक मजबूत स्तंभों में से एक अजय शर्मा कंपनी के विकास को गति प्रदान करने और इसकी सौवीं वर्षगाँठ के मील के पत्थर को पार करने में एक महत्त्वपूर्ण धुरी रहे हैं।
अपनी औपचारिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद 35 साल की आयु में उन्होंने एस.पी. जैन इंस्टीट्यूट, बंबई से फैमिली बिजनेस का अध्ययन किया।
हेल्थकेयर क्षेत्र की एक प्रमुख हस्ती के रूप में अजय शर्मा संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल हॉस्पिटल, जयपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में शामिल हैं; साथ ही चौधरी ब्रह्मप्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान, नई दिल्ली के बोर्ड के संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें आयुर्वेद के क्षेत्र में 'नागार्जुन अवार्ड' से सम्मानित किया गया है और बैद्यनाथ च्यवनप्राश के लिए सुपरब्रांड अवार्ड भी प्रदान किया जा चुका है।
पेंटिंग से गहरा लगाव रखने वाले अजय शर्मा परोपकारी इंसान हैं। वह अपने परिवार के साथ नई दिल्ली में रहते हैं।
अपनी औपचारिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद 35 साल की आयु में उन्होंने एस.पी. जैन इंस्टीट्यूट, बंबई से फैमिली बिजनेस का अध्ययन किया।
हेल्थकेयर क्षेत्र की एक प्रमुख हस्ती के रूप में अजय शर्मा संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल हॉस्पिटल, जयपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में शामिल हैं; साथ ही चौधरी ब्रह्मप्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान, नई दिल्ली के बोर्ड के संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें आयुर्वेद के क्षेत्र में 'नागार्जुन अवार्ड' से सम्मानित किया गया है और बैद्यनाथ च्यवनप्राश के लिए सुपरब्रांड अवार्ड भी प्रदान किया जा चुका है।
पेंटिंग से गहरा लगाव रखने वाले अजय शर्मा परोपकारी इंसान हैं। वह अपने परिवार के साथ नई दिल्ली में रहते हैं।