Ekatma Manavvaad

Ekatma Manavvaad

by Deendayal Upadhyay

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  • ISBN13: 9789351860143
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Biography
दीनदयाल उपाध्याय प्रणीत एकात्म मानववाद के संदर्भ में एक चर्चा होती रहती है कि यह ‘वाद’ है या ‘दर्शन’? ‘वाद’ पाश्चात्य परंपरा का वाहक है, जबकि ‘दर्शन’ भारतीय परंपरा का। ‘एकात्म मानव’ का विचार तत्त्वत: भारतीय विचार है, अत: इसे ‘दर्शन’ कहना चाहिए, कुछ लोगों का यह आग्रह रहता है, जो गलत नहीं है। मा. नानाजी देशमुख ‘दीनदयाल शोध संस्थान’ में ‘दर्शन’ शब्द का ही प्रयोग करते थे।
यह बात ठीक होते हुए भी यह तथ्य है कि दीनदयाल उपाध्याय ने अपने बौद्धिक वर्गों में तथा ‘सिद्धांत एवं नीति’ प्रलेख में इसे ‘एकात्म मानववाद’ कहा है। मुंबई में जो उनके चार भाषण हुए, उनमें भी ‘एकात्म मानववाद’ शब्दपद का ही उपयोग है। पाश्चात्य चिंतन की पृष्ठभूमि में दीनदयालजी ने इस विचार का विवेचन किया है। व्यक्तिवाद व समाजवाद को उन्होंने पृष्ठभूमि में वर्णित किया है, अत: ‘एकात्म मानववाद’ भी एकदम संगत शब्द प्रयोग है। यथा रुचि ‘वाद या दर्शन’ दोनों का ही प्रयोग किया जा सकता है, यह कोई विवाद का मुद्दा नहीं है।
जन्म : 25 सितंबर, 1916 को मथुरा जिले के छोटे से गाँव नगला चंद्रभान में।
पं. दीनदयाल एक प्रखर राष्ट्रवादी, चिंतक, विचारक व लेखक थे। उनका मानना था कि समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास और उन्नयन करने से ही समाज का उत्थान होगा। यही भाव उनके द्वारा प्रणीत ‘एकात्म मानववाद’ के सिद्धांत में निरूपित है।
उन्होंने पिलानी, आगरा तथा प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की। बी.एस-सी., बी.टी. करने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गए। अत: कॉलेज छोड़ने के तुरंत बाद वे संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बनकर राष्ट्रकार्य में प्रवृत्त हो गए।
सन् 1951 में भारतीय जनसंघ का निर्माण होने पर वे उसके मंत्री बनाए गए। दो वर्ष बाद सन् 1953 में भारतीय जनसंघ के महामंत्री निर्वाचित हुए और लगभग 15 वर्ष तक इस पद पर रहकर उन्होंने अपने दल की अमूल्य सेवा की। कालीकट अधिवेशन (दिसंबर 1967) में वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 11 फरवरी, 1968 की रात में रेलयात्रा के दौरान मुगलसराय स्टेशन के आसपास अज्ञात व्यक्तियों ने उनकी हत्या कर दी।
उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं—
• दो योजनाएँ ज़् राजनीतिक डायरी ज़् भारतीय अर्थनीति ज़् सम्राट् चंद्रगुप्त
• जगद्गुरु शंकराचार्य ज़् एकात्म मानववाद।

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