Ekatma ManavDarshan ke 60 Varsh
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- ISBN13: 9788199232297
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
यह पुस्तक पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानवदर्शन के परिवर्तनकारी विचारों की 60वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में 31 मई और 1 जून, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्मृति सम्मेलन से मिली अंतर्दृष्टियों को प्रस्तुत करती है। यह सम्मेलन डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी रिसर्च फाउंडेशन, लोक नीति शोध केंद्र, एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान और प्रभात प्रकाशन के तत्त्वावधान में संपन्न हुआ।
पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानवदर्शन का सिद्धांत भौतिक समृद्धि को आध्यात्मिक पूर्ति के साथ मिलाकर मानवता के समग्र विकास को पुष्ट करता है। इस खंड में प्रमुख अंतर्दृष्टियों का संकलन किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे दीनदयालजी के विचार 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाते हुए एक मार्गदर्शक प्रकाश पुंज बने हुए हैं। सम्मेलन में अर्थव्यवस्था, शिक्षा, संस्कृति, अक्षय विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तीकरण आदि विषयों को शामिल किया गया था, जिसमें देशभर से आए विचारकों, विद्वानों और नीति-निर्माताओं के प्रतिष्ठित समूह ने एक साथ विचार-विमर्श किया।
पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानवदर्शन का सिद्धांत भौतिक समृद्धि को आध्यात्मिक पूर्ति के साथ मिलाकर मानवता के समग्र विकास को पुष्ट करता है। इस खंड में प्रमुख अंतर्दृष्टियों का संकलन किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे दीनदयालजी के विचार 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाते हुए एक मार्गदर्शक प्रकाश पुंज बने हुए हैं। सम्मेलन में अर्थव्यवस्था, शिक्षा, संस्कृति, अक्षय विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तीकरण आदि विषयों को शामिल किया गया था, जिसमें देशभर से आए विचारकों, विद्वानों और नीति-निर्माताओं के प्रतिष्ठित समूह ने एक साथ विचार-विमर्श किया।
बिनय कुमार सिंह डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक हैं। वे एक प्रख्यात लेखक, शोधकर्ता और स्तंभकार हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा और नीतियों पर उनकी यथार्थपरक दृष्टि उन्हें मीडिया और बौद्धिक विमर्श में एक अलग पहचान देती है। आंतरिक सुरक्षा पर उनके लेख हिंदी, अंग्रेजी और तेलुगु सहित कई भाषाओं में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। वे पाँच पुस्तकों के लेखक हैं एवं नीति-शोध के क्षेत्र में युवाओं को मार्गदर्शन देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा पर नई सोच और दृष्टिकोण विकसित करने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।