Ek Kishori Ki Diary (Hindi Translation of The Diary of A Young Girl)

Ek Kishori Ki Diary (Hindi Translation of The Diary of A Young Girl)

by Anne Frank

₹500.00 ₹425.00 15% OFF

Ships in 1 - 2 Days

Secure Payment Methods at Checkout

  • ISBN13: 9789395386319
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Art & Culture
ऐनी फ्रैंक ने जिस अटारी में अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए, वहाँ से मिली उनकी चर्चित डायरी एक विश्वप्रसिद्ध रचना बन गई। यह युद्ध की भयावहता की प्रभावशाली ढंग से याद दिलाती है और इनसानी उत्साह और जिजीविषा का स्पष्ट प्रमाण देती है।

1942 में जब नाजियों ने हॉलैंड पर कब्जा कर लिया, तब तेरह साल की एक यहूदी लडक़ी और उसका परिवार एम्सटर्डम में अपने घर से भागकर कहीं छिप गया। अगले दो वर्षों तक, जब तक धोखे से उनके ठिकाने के बारे में खुफिया नाजी पुलिस को जानकारी नहीं हो गई, तब तक एक अन्य परिवार के साथ वे एक पुराने कार्यालय भवन के गुप्त हिस्से में रहते थे। बाहरी दुनिया से कटे हुए, उन्होंने भूख, ऊब, तंग जगह में रहने की क्रूरता और ढूँढ़ निकाले जाने के साथ ही मौत के हमेशा मँडराते खतरे का सामना किया था।

ऐनी फ्रैंक ने अपनी डायरी में इस अवधि के दौरान अपने अनुभवों को जीवंत रूप में दर्ज किया है। विचारशील, भावपूर्ण और रोचक रूप मेें उनका वर्णन मानवी साहस और कमजोरियों पर विचारवान टिप्पणी है, जो एक संवेदनशील एवं उत्साही युवा महिला के सम्मोहक आत्म-चित्रण को प्रस्तुत करती है, जिससे किया गया वादा दुखद रूप से बहुत जल्दी तोड़ दिया गया।
ऐनी फ्रैंक का जन्म 12 जून, 1929 को यहूदी परिवार में हुआ। वे एक जर्मन-डच डायरी लेखक हैं। यहूदी नरसंहार के सबसे चर्चित यहूदी पीडि़तों में से एक फ्रैंक को मरणोपरांत 1947 में ‘एक युवती की डायरी’ के प्रकाशन द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त हुई। जब वह साढ़े चार साल की थी, तब एडोल्फ हिटलर और नाजी पार्टी के जर्मनी पर नियंत्रण कर लेने के बाद उनका परिवार एमस्टर्डम चला गया। जुलाई 1942 में यहूदी लोगों पर नृशंसता बढ़ती गई, वे सब एक इमारत के पीछे के गुप्त कमरों में छिप गए, जहाँ ऐनी के पिता ओटो फ्रैंक काम किया करते थे। 4 अगस्त, 1944 को गस्टापो द्वारा परिवार की गिरफ्तारी तक ऐनी ने डायरी लिखना जारी रखा, जो उसे जन्मदिन के उपहार के रूप में मिली थी। उसमें ऐनी नियमित रूप से लिखा करती थी।

गिरफ्तारी के पश्चात फ्रैंक परिवार को नाजी बंदी शिविरों में ले जाया गया, जहाँ कुछ महीने बाद उसकी मृत्यु हो गई। रेड क्रॉस द्वारा मूल रूप से मार्च में उसकी मृत्यु होने का अनुमान लगाया गया था, डच अधिकारियों ने इसे 31 मार्च को आधिकारिक तिथि के रूप में निर्धारित किया था।

Trusted for over 24 years

Family Owned Company

Secure Payment

All Major Credit Cards/Debit Cards/UPI & More Accepted

New & Authentic Products

India's Largest Distributor

Need Support?

Whatsapp Us

You May Also Like

Recently Viewed