Ek Kahani Adhoori Si

Ek Kahani Adhoori Si

by Vijaya Goyal

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  • ISBN13: 9788177213218
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): General
जैसे-जैसे समझ आती गई, लोगों के चेहरों से झूठ के नकाब उतरते गए। मोह से निकलकर सच का सामना करने का समय आ गया। मैं जड़ से सिमटकर चेतन की ओर बढ़ गई। एकांत अच्छा लगता था। चाँद की घटती-बढ़ती कश्ती और फिर एक बिंदु। उसे देर रात तक ताकना मेरा प्रिय खेल था। आकाश में किसी भी सितारे का टूटकर पक्षी सा उड़कर कहीं और जा बैठना मुझे अचंभित करता। कुछ ऐसे ही, जैसे आत्मा शरीर छोड़कर दूसरे शरीर में जा समाती है। सूर्य की किरणों को पकड़ने की चेष्टा करती, क्योंकि एक विचार कहीं गहरे बाल मन में घर कर गया कि ईश्वर सूर्य पर रहते हैं।
उस रात जब माँ संसार से विदा हुई, मैं मात्र अठारह माह की थी। माँ के बिना जीवन कैसे कटता है, यह वही जानते हैं, जिन्होंने इस त्रासदी को भोगा है। मगर मैं...मैं तो माँ का ही शेष जीवन जी रही हूँ, जो वे मुझे भेंट स्वरूप दे गईं। नहीं कह सकती कि यह भेंट वरदान बनी या अभिशाप।
यह है मेरी अधूरी कहानी।
—लेखिका

प्रसिद्ध लेखिका विजया गोयल की मर्मस्पर्शी व संवेदनशील कहानियों का संकलन, जो पाठक के हृदय को स्पंदित करेंगी व मन-मस्तिष्क में स्थान बना लेंगी। उनकी रचनाओं में समाज के निर्बल वर्ग व नारी उत्पीड़न का अत्यंत सजीव एवं मार्मिक विवरण प्रस्तुत हुआ है। मानवीय रिश्तों का चित्रण उनके द्वारा रचित साहित्य की विशेषता है।

श्रीमती विजया गोयल का जन्म सन् 1948 में पंजाब में बसंत पंचमी के दिन एक संभ्रांत परिवार में हुआ।
साहित्य जगत् में उनकी हिंदी-अंगे्रजी कहानियों, कविताओं व रत्नों पर पुस्तकों का विशिष्ट स्थान है। श्रीमती गोयल की रचनाएँ विभिन्न समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं द्वारा पाठकों तक पहुँचती रहती हैं। आकाशवाणी तथा दूरदर्शन द्वारा प्रायः उन्हें कविता पाठ हेतु आमंत्रित किया जाता है। उनकी रचना ‘वसंतीया’ दूरदर्शन से टेलीफिल्म के रूप में प्रस्तुत की गई। अभिनीत नाटकों पर आलेख और उनके सफल मंचन में व्यस्त रहती हैं। विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं की सदस्या हैं।
1998-1999 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा ‘कच्ची मिट्टी के लोग’ शीर्षक कहानी-संकलन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित।वर्ष 2000मेंउ.प्र. राज्यपाल ने उन्हें ‘प्रदेशरत्न’ से सुशोभित किया। अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीयसं स्थानों द्वाराअलंकृत।
बहुमुखी प्रतिभा की धनी श्रीमती गोयल कला के क्षेत्र में भी सिद्धस्थ हैं। राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेली और स्वर्ण पदक की विजेता होने का गौरव प्राप्त किया।

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