Ek Kadam Hazar Afsane
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- ISBN13: 9789352660490
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): General
दुनिया के सभी बड़े शहरों के व्यक्तित्व में कई पहलू होते हैं और वे केवल उसी पहलू को प्रकट करते हैं, जिन्हें एक दर्शक या यात्री देखना चाहता है। इक्कीसवीं सदी में यात्रा करने का अर्थ सिर्फ चेक-इन करना, सेल्फीज पोस्ट करना या हैशटैग्स के साथ स्टेटस मैसेज लिखना नहीं है। आज इसका अर्थ है—उन स्थानों पर जाना, जिनके बारे में आपने सिर्फ पढ़ा होता है, फिल्मों में देखा होता है या सुना होता है; किसी लैंडमार्क (सीमा चिह्न) पर खड़े होकर कुछ असाधारण महसूस करना, पुरानी यादों को ताजा करना और कुछ नई यादें बनाना।
‘एक कदम हजार अफसाने’ सिर्फ स्मारकों और परिदृश्यों के बारे में एक यात्रा-वृत्तांत ही नहीं है। यह सिर्फ लंदन, पेरिस और रोम जैसे प्रसिद्ध शहरों के बारे में नहीं है, बल्कि अंग्रेजी ग्रामीण इलाके के किसी गाँव की सड़क पर अकेले टहलने के बारे में, गंगा में एक शांत नौका-विहार और अनजान गंतव्यों तक की लंबी ट्रेन-यात्राओं के बारे में भी है। यह बार्सिलोना के एक कैफे में कॉफी की चुस्की लेने के साथ-साथ भारत के किसी दूर-दराज के भूले-बिसरे रेलवे स्टेशन पर कुल्हड़ में चाय का मजा लेने के बारे में भी है।
पार्थ सारथी सेन शर्मा ने दुनिया भर में और साथ ही अपनी मातृभूमि में यात्रा करते हुए सभी घटनाओं, विचारों, स्मृतियों, संस्मरणों और भावनाओं का एक जटिल केलिडोस्कोप तैयार किया है, जो अंततः शब्दों में क्रिस्टलीकृत होकर विभिन्न स्थानों का एक अद्वितीय परिप्रेक्ष्य देता है—ब्रिटेन, कॉण्टिनेंटल यूरोप, तुर्की, मोरक्को और बेशक भारत के।
‘एक कदम हजार अफसाने’ सिर्फ स्मारकों और परिदृश्यों के बारे में एक यात्रा-वृत्तांत ही नहीं है। यह सिर्फ लंदन, पेरिस और रोम जैसे प्रसिद्ध शहरों के बारे में नहीं है, बल्कि अंग्रेजी ग्रामीण इलाके के किसी गाँव की सड़क पर अकेले टहलने के बारे में, गंगा में एक शांत नौका-विहार और अनजान गंतव्यों तक की लंबी ट्रेन-यात्राओं के बारे में भी है। यह बार्सिलोना के एक कैफे में कॉफी की चुस्की लेने के साथ-साथ भारत के किसी दूर-दराज के भूले-बिसरे रेलवे स्टेशन पर कुल्हड़ में चाय का मजा लेने के बारे में भी है।
पार्थ सारथी सेन शर्मा ने दुनिया भर में और साथ ही अपनी मातृभूमि में यात्रा करते हुए सभी घटनाओं, विचारों, स्मृतियों, संस्मरणों और भावनाओं का एक जटिल केलिडोस्कोप तैयार किया है, जो अंततः शब्दों में क्रिस्टलीकृत होकर विभिन्न स्थानों का एक अद्वितीय परिप्रेक्ष्य देता है—ब्रिटेन, कॉण्टिनेंटल यूरोप, तुर्की, मोरक्को और बेशक भारत के।
पार्थ सारथी सेन शर्मा दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं और वर्तमान में लखनऊ में रहते हैं। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में अधिकारी हैं। उन्होंने द टाइम्सऑफइंडिया, दहिंदुस्तानटाइम्स, डिस्कवर इंडिया, स्वागत, रेलबंधुऔर अन्यपत्रिकाओंऔर जर्नल्सकेलिएलेखलिखेहैं, जिनमें से अधिकांश यात्रा संबंधी हैं। वर्ष 2011 में उनका एक यात्रा-वृत्तांत ‘अ पैसेज अक्रॉस यूरोप’ और 2015 में अंग्रेजी उपन्यास ‘लव साइड बाई साइड’ प्रकाशित हो चुका है। हिंदी में प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘हम हैं राही प्यार के’ एवं ‘मुसाफिर हूँ यारो’। अपने काम और लिखने के शौक के अलावा वे अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। उन्हें यात्रा करना बहुत पसंद है। वे करीब 20 देशों की यात्रा कर चुके हैं। उन्हें खेलकूद में बहुत रुचि है और पढ़ने का अत्यधिक शौक है। वे अंग्रेजी, हिंदी और बँगला भाषाओं की पुस्तकें पढ़ते हैं।