Ek Aur Chhava | The Epic Story 1689-1707 Of The Maratha Freedom Struggle | Chaava Indian Revolutionaries Book In Hindi
₹450.00
₹383.00
14% OFF
Ships in 1 - 2 Days
Secure Payment Methods at Checkout
- ISBN13: 9788197344428
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
तेजी और सावधानी सबसे बड़े हथियार थे। ये पचास वीर झपटते हुए औरंगजेब के खेमे में प्रवेश कर गए। पहले ही झटके में अनेक मुगल पहरेदारों को हताहत कर दिया गया। मुगल पहरेदारों ने भी तुरंत तलवारें खींच लीं और तुमुल युद्ध आरंभ हो गया। इस बीच संताजी ने औरंगजेब के खेमे की रस्सियाँ तलवार से काट दीं। आधार को गिरा दिया। विशालकाय वजनदार खेमा भर-भराकर नीचे ढह गया। खेमे के नीचे कुछ लोग दब गए, जिनकी चीखें सुनाई दीं।
मराठों ने समझा कि औरंगजेब भी खेमे के भीतर ही दब गया है और मारा गया है। खेमे के गिरते ही खेमे के ऊपर सजावट के लिए लगे विशाल स्वर्ण कलश तेज आवाज करते हुए नीचे गिर गए। संताजी ने तुरंत आगे बढ़कर इन स्वर्ण कलशों को खेमे से काटकर अलग कर दिया। अपनी विजय की निशानी इन स्वर्ण ट्रॉफियों को लेकर संताजी और दूसरे मराठा तुरंत सुरक्षित दिशा की ओर निकल गए, जिधर उनकी टुकड़ी के शेष सैनिक इंतजार कर रहे थे।
औरंगजेब की किस्मत उसके साथ थी। औरंगजेब उस समय अपनी पुत्री के खेमे में था। शोर-शराबा सुनकर वह जल्दी से बाहर आया और उसने गिरे हुए खेमे का नजारा देखा। उसकी तेज नजरों ने यह भी देख लिया कि स्वर्ण कलश गायब हैं।
- इसी पुस्तक से
मराठों ने समझा कि औरंगजेब भी खेमे के भीतर ही दब गया है और मारा गया है। खेमे के गिरते ही खेमे के ऊपर सजावट के लिए लगे विशाल स्वर्ण कलश तेज आवाज करते हुए नीचे गिर गए। संताजी ने तुरंत आगे बढ़कर इन स्वर्ण कलशों को खेमे से काटकर अलग कर दिया। अपनी विजय की निशानी इन स्वर्ण ट्रॉफियों को लेकर संताजी और दूसरे मराठा तुरंत सुरक्षित दिशा की ओर निकल गए, जिधर उनकी टुकड़ी के शेष सैनिक इंतजार कर रहे थे।
औरंगजेब की किस्मत उसके साथ थी। औरंगजेब उस समय अपनी पुत्री के खेमे में था। शोर-शराबा सुनकर वह जल्दी से बाहर आया और उसने गिरे हुए खेमे का नजारा देखा। उसकी तेज नजरों ने यह भी देख लिया कि स्वर्ण कलश गायब हैं।
- इसी पुस्तक से
कुमार सुरेश
लोक सेवा आयोग से चयनित होकर मध्य प्रदेश में 'नायब तहसीलदार' एवं सहकारिता विभाग में वरिष्ठ अधिकारी रहे। उप-आयुक्त सहकारिता पद से सेवानिवृत्त । साहित्य, दर्शन एवं इतिहास में महत्त्वपूर्ण योगदान ।
तीन कविता-संग्रह 'शब्द तुम कहो', 'आवाज एक पुल है' एवं 'भाषा साँस लेती है'; एक व्यंग्य उपन्यास 'तंत्र-कथा'; एक व्यंग्य-संग्रह 'व्यंग्य राग' गीता दर्शन पर पुस्तक 'युवाओं के लिए भगवत गीता'; विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध भारत के संघर्ष को रेखांकित करती पुस्तक 'संभवामि युगे युगे' प्रकाशित। 250 से अधिक कविताएँ हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाओं, अनेक व्यंग्य लेख नई दुनिया के 'अधबीच' एवं अन्य प्रमुख समाचार-पत्रों के व्यंग्य कॉलमों में, वैचारिक एवं समीक्षात्मक आलेख, विज्ञान कहानियाँ, लेख एवं कविताएँ प्रकाशित ।
कविता के लिए सुप्रसिद्ध 'रज़ा पुरस्कार' 2005, व्यंग्य के लिए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का शरद जोशी सम्मान 2020 एवं अन्य सम्मान।
लोक सेवा आयोग से चयनित होकर मध्य प्रदेश में 'नायब तहसीलदार' एवं सहकारिता विभाग में वरिष्ठ अधिकारी रहे। उप-आयुक्त सहकारिता पद से सेवानिवृत्त । साहित्य, दर्शन एवं इतिहास में महत्त्वपूर्ण योगदान ।
तीन कविता-संग्रह 'शब्द तुम कहो', 'आवाज एक पुल है' एवं 'भाषा साँस लेती है'; एक व्यंग्य उपन्यास 'तंत्र-कथा'; एक व्यंग्य-संग्रह 'व्यंग्य राग' गीता दर्शन पर पुस्तक 'युवाओं के लिए भगवत गीता'; विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध भारत के संघर्ष को रेखांकित करती पुस्तक 'संभवामि युगे युगे' प्रकाशित। 250 से अधिक कविताएँ हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाओं, अनेक व्यंग्य लेख नई दुनिया के 'अधबीच' एवं अन्य प्रमुख समाचार-पत्रों के व्यंग्य कॉलमों में, वैचारिक एवं समीक्षात्मक आलेख, विज्ञान कहानियाँ, लेख एवं कविताएँ प्रकाशित ।
कविता के लिए सुप्रसिद्ध 'रज़ा पुरस्कार' 2005, व्यंग्य के लिए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का शरद जोशी सम्मान 2020 एवं अन्य सम्मान।