Devaki Ka Beta Novel By Rangeya Raghav
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- ISBN13: 9789349116948
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
यह उपन्यास अपने समय के सामाजिक, धार्मिक, और राजनीतिक पहलुओं को प्रमुखता से उजागर करता है। लेखक ने इसमें भारतीय समाज की कट्टरता, पाखंड, और अन्य सामाजिक कुरीतियों को खंगालने का प्रयास किया है। इसके साथ ही यह दिखाता है कि एक व्यक्ति अपने सच्चे स्वभाव और नैतिकता के आधार पर खुद को किस प्रकार पहचानता है और समाज में अपने स्थान की तलाश करता है।
कहानी की मुख्य पात्र देवकी नामक महिला है, जो एक ऐसे पुरुष से प्रेम करती है, जो न केवल उसे मानसिक रूप से संघर्ष करने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि उसे उसके अस्तित्व के महत्व को समझाता है। उपन्यास में समाज में व्याप्त असमानता, महिलाओं की स्थिति, और उनका संघर्ष प्रमुख रूप से दिखाया गया है।
कहानी की मुख्य पात्र देवकी नामक महिला है, जो एक ऐसे पुरुष से प्रेम करती है, जो न केवल उसे मानसिक रूप से संघर्ष करने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि उसे उसके अस्तित्व के महत्व को समझाता है। उपन्यास में समाज में व्याप्त असमानता, महिलाओं की स्थिति, और उनका संघर्ष प्रमुख रूप से दिखाया गया है।
रांगेय राघव
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।