Dalpati Kallu
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- ISBN13: 9788177213089
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): General
भगिया बोली, ‘हाँ-हाँ, दस बीघा जमीन उस पर रहम करने के लिए ही तो मिली है। बड़ी मोह-माया हो गई है अपनी भतीजी से; अभी मैं जाती हूँ और उस मनहूस को निकाल बाहर करती हूँ।’ इसी बीच पानो देवी सिर का आँचल ठीक करते हुए बोली, ‘दीदी, कहाँ हो दीदी?’ इस बीच एतवरिया खाँसते हुए बाहर निकल गया। फिर दोनों गोतिनी आपस में बातें करने लगीं।
पानो बोली, ‘दीदी! कब चलना है?’
भगिया ने कहा, ‘मैं तो अभी ही कह रही हूँ, लेकिन इन्हें बहुत दया आ रही है, कह रहे हैं, रात में कहाँ जाएगी...।’
पानो बोली, ‘थोड़ा धीरे बोलो दीदी, बस हम दोनों के घर के बीच एक दीवार के बाद ही तो उसका घर है, कहीं सुन
न ले।’
भगिया लापरवाही से उसकी बात काटते हुए कहती है, ‘अरे! सुनकर मेरा क्या कर लेगी महारानी, आज नहीं तो कल, उसे सुनाना ही है। उसका झोंटा पकड़कर और लात मारकर उसे घर से भगा दें, लेकिन देखो न, उन्हें रहम आ
रहा है!’
—इसी उपन्यास से
प्रस्तुत उपन्यास में समाज के विभिन्न पहलुओं पर सहज गति से प्रकाश डाला गया है। खासकर नायक कल्लू दल का प्रधान बनने के बाद समाज के शोषित वर्गों को संगठित कर गुमाश्ता एवं उसका आततायी पुत्र बलराम, जो आगे चलकर बलिया डाकू बन जाता है, आतंक से मुक्ति दिलवाता है।
पानो बोली, ‘दीदी! कब चलना है?’
भगिया ने कहा, ‘मैं तो अभी ही कह रही हूँ, लेकिन इन्हें बहुत दया आ रही है, कह रहे हैं, रात में कहाँ जाएगी...।’
पानो बोली, ‘थोड़ा धीरे बोलो दीदी, बस हम दोनों के घर के बीच एक दीवार के बाद ही तो उसका घर है, कहीं सुन
न ले।’
भगिया लापरवाही से उसकी बात काटते हुए कहती है, ‘अरे! सुनकर मेरा क्या कर लेगी महारानी, आज नहीं तो कल, उसे सुनाना ही है। उसका झोंटा पकड़कर और लात मारकर उसे घर से भगा दें, लेकिन देखो न, उन्हें रहम आ
रहा है!’
—इसी उपन्यास से
प्रस्तुत उपन्यास में समाज के विभिन्न पहलुओं पर सहज गति से प्रकाश डाला गया है। खासकर नायक कल्लू दल का प्रधान बनने के बाद समाज के शोषित वर्गों को संगठित कर गुमाश्ता एवं उसका आततायी पुत्र बलराम, जो आगे चलकर बलिया डाकू बन जाता है, आतंक से मुक्ति दिलवाता है।
उपन्यासकार राजकुमार चौधरी का जन्म 12 फरवरी, 1959 को ग्राम केनासराय, जिला नवादा (बिहार) के एक निर्धन परिवार में हुआ।
स्नातकोत्तर (राजनीति विज्ञान से) की पढ़ाई मगध वि.वि. बोधगया से हुई। इनका पूरा जीवन संघर्षमय रहा है।
वर्ष 1985 में उपसमाहर्ता का पदभार सँभाला। उच्च विद्यालीय शिक्षा के समय ही इन्होंने ‘सात अभिनय’ लिखा था, किंतु इसका प्रकाशन नहीं हो सका। अभी तक इन्होंने तीस पुस्तकों (काव्य, गीत, कहानी तथा उपन्यास) की रचना की है। वर्तमान में झारखंड सरकार के संयुक्त सचिव हैं।
स्नातकोत्तर (राजनीति विज्ञान से) की पढ़ाई मगध वि.वि. बोधगया से हुई। इनका पूरा जीवन संघर्षमय रहा है।
वर्ष 1985 में उपसमाहर्ता का पदभार सँभाला। उच्च विद्यालीय शिक्षा के समय ही इन्होंने ‘सात अभिनय’ लिखा था, किंतु इसका प्रकाशन नहीं हो सका। अभी तक इन्होंने तीस पुस्तकों (काव्य, गीत, कहानी तथा उपन्यास) की रचना की है। वर्तमान में झारखंड सरकार के संयुक्त सचिव हैं।