Dakshin-Poorva Asia Ka Praveshdwar Thailand

Dakshin-Poorva Asia Ka Praveshdwar Thailand

by Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

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  • ISBN13: 9789390366132
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Tourism
थाईलैंड, दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश- द्वार है। इस क्षेत्र में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक लुभावने प्राकृतिक सौंदर्य वाले स्थान, अलंकृत मंदिर एवं समृद्ध सांस्कृतिक केंद्र पाए जाते हैं। वास्तविकता में देखा जाए तो थाईलैंड सुंदरता का देश है। आकर्षक और अद्वितीय थाई संस्कृति से स्वादिष्ट व्यंजनों, बौद्ध मंदिरों और जीवंत बाजारों तक थाईलैंड में देखने के लिए बहुत कुछ है। भारतीय पर्यटकों के लिए अच्छी बात यह है कि भारतीय और थाई लोग एक धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई विरासत साझा करते हैं। इसी क्रम में भारतीय संस्कृति ने थाईलैंड के कई पहलुओं को प्रभावित करने में एक अभिन्न भूमिका निभाई है, जिसमें धर्म, शिक्षा, उत्सव, समारोह, भाषा, साहित्य, नृत्य और भोजन शामिल हैं।
थाईलैंड में समृद्ध विरासत एवं परपंराएँ, विश्वविख्यात स्थापत्य कला समेटे भवन, शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र, युद्ध स्मारक, मनमोहक प्राकृतिक छटा के अतिरिक्त यहाँ अत्यंत मैत्रीपूर्ण संबंध वाले लोग हैं।
इस पुस्तक में थाईलैंड की संस्कृति, अर्थव्यस्था, रीति-रिवाज, इतिहास, भूगोल से लेकर वहाँ के पर्यटक स्थलों, शैक्षिक तंत्र, धार्मिक विविधता, भाषा, जैव विविधता, राजनीतिक व्यवस्था की जानकारी उपलब्ध करने का प्रयास किया है। इन विषयों पर कुछ प्रकाश डालने के अतिरिक्त भारत-थाई द्विपक्षीय संबंधों पर भी प्रकाश डाला गया है।
श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का पहला काव्य-संग्रह ‘मुझे विधाता बनना है’ 1984 में प्रकाशित हुआ था। अब तक उनकी कविता, कहानी, उपन्यास, पर्यटन, व्यक्तित्व विकास विषयक 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
श्री ‘निशंक’ के साहित्य पर पच्चीस से अधिक शोध हो चुके हैं और कई अन्य हो रहे हैं। उनके साहित्य का अनुवाद जर्मन, क्रिओल, स्पेनिश, फ्रेंच, नेपाली आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, बांग्ला, संस्कृत, गढ़वाली सहित देश की अनेक भाषाओं में हुआ है। उनकी रचनाएँ मॉरीशस, थाईलैंड, जर्मनी, नॉर्वे आदि देशों सहित भारत के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गई हैं।
उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए भारत के 3 राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मान एवं 12 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों तथा प्रधानमंत्रियों द्वारा अपने देश में आमंत्रित कर सम्मान।
संप्रति : शिक्षा मंत्री, भारत सरकार।

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