Cancerman To Ironman: A Police Officer’s Journey of Arresting Illness | An Inspiring Journey To Defeat Cancer With Strong Will Power And Courage
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- ISBN13: 9789355629814
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
2020 के अंत में गोवा में अपनी पोस्टिंग को तैयारी करते समय पुलिस अधिकारी निधिन वल्सन को एक रहस्यमय, कष्टदायी दर्द ने जकड़ लिया, जिसने जीवन को बदल देने वाली घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू कर दी। महीनों असहनीय पीड़ा झेलने और कई चिकित्सा परामर्शों के बाद एक ययाक्रांत निदान निकला : स्टेज-4 नॉन हॉजकिन लिंफोमा।
इस आत्मिक व्यक्तिगत संस्मरण में वल्सन ने रोग के सही निदान की तलाश करने की कठिन परीक्षा से लेकर अपने गृह राज्य केरल में भीषण कीमोथेरैपी सत्रों तक तथा पुनर्वास के दौरान अपने महत्त्वपूर्ण निर्णयों के बारे में बताया है: दुनिया की सबसे कठिन चुनौतियों में से एक, आयरनमैन ट्रायथलॉन में प्रतिस्पर्धा करना। बीमारी के फिर से उभरने के डर और व्यक्तिगत बाधाओं के बावजूद वह कठोर प्रशिक्षण से गुजरे, निदान के एक साल के भीतर गोवा में दौड़ में भाग लिया; सभी बाधाओं को पार किया और अंततः एक आयरनमैन बनने की अपनी संकल्प-शक्ति का प्रदर्शन किया।
'कैंसरमैन टु आयरनमैन', एथलेटिक विजय की कहानी से कहीं अधिक है। यह पुस्तक दृढ़ इच्छाशक्ति और जिजीविषा का एक व्यावहारिक उदाहरण है, जिसमें निधिन वल्सन ने संघर्ष करके न केवल स्वयं को नीरोग किया वरन् अपने कर्तृत्व से कैंसर से जूझ रहे अनेक रोगियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया। यह पुस्तक इस संघर्ष-यात्रा में उनके शारीरिक-मानसिक अवसाद को दूर करने में उनके परिजनों, परिचितों और सहयोगियों की प्रशंसनीय भूमिका से भी परिचित करवाती है।
युवराज सिंह क्रिकेकटर द्वारा अनुवाद
इस आत्मिक व्यक्तिगत संस्मरण में वल्सन ने रोग के सही निदान की तलाश करने की कठिन परीक्षा से लेकर अपने गृह राज्य केरल में भीषण कीमोथेरैपी सत्रों तक तथा पुनर्वास के दौरान अपने महत्त्वपूर्ण निर्णयों के बारे में बताया है: दुनिया की सबसे कठिन चुनौतियों में से एक, आयरनमैन ट्रायथलॉन में प्रतिस्पर्धा करना। बीमारी के फिर से उभरने के डर और व्यक्तिगत बाधाओं के बावजूद वह कठोर प्रशिक्षण से गुजरे, निदान के एक साल के भीतर गोवा में दौड़ में भाग लिया; सभी बाधाओं को पार किया और अंततः एक आयरनमैन बनने की अपनी संकल्प-शक्ति का प्रदर्शन किया।
'कैंसरमैन टु आयरनमैन', एथलेटिक विजय की कहानी से कहीं अधिक है। यह पुस्तक दृढ़ इच्छाशक्ति और जिजीविषा का एक व्यावहारिक उदाहरण है, जिसमें निधिन वल्सन ने संघर्ष करके न केवल स्वयं को नीरोग किया वरन् अपने कर्तृत्व से कैंसर से जूझ रहे अनेक रोगियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया। यह पुस्तक इस संघर्ष-यात्रा में उनके शारीरिक-मानसिक अवसाद को दूर करने में उनके परिजनों, परिचितों और सहयोगियों की प्रशंसनीय भूमिका से भी परिचित करवाती है।
युवराज सिंह क्रिकेकटर द्वारा अनुवाद
निधिन वल्सन वर्तमान में दिल्ली में पुलिस उपायुक्त के पद पर कार्यरत हैं। यह उनकी पहली पुस्तक है, जो कैंसर से उनकी लड़ाई और आयरनमैन बनने की उनकी यात्रा का एक सशक्त विवरण प्रस्तुत करती है। आई.पी.एस. 2012 बैच के ए.जी.एम.यू.टी. कैडर के अधिकारी वल्सन मूलतः केरल के रहने वाले हैं। गोवा में उनकी असाधारण सेवा के लिए उन्हें मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पदक और पुलिस महानिदेशक डिस्क से सम्मानित किया गया। एन.आई.टी. कालीकट के पूर्व छात्र वल्सन को उनकी विकास यात्रा, नेतृत्व और योगदान हेतु प्रतिष्ठित 'एल्यूमनी अवॉर्ड फॉर इमर्जिंग एल्यूमनी लीडर' से सम्मानित किया गया।
ए.सी.पी. (दक्षिण पूर्वी दिल्ली) के रूप में उन्होंने असाधारण दक्षता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए चोरी हुए इलेक्ट्रॉनिक्स को बहुत तीव्र गति से बरामद करने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान पाया। लक्षद्वीप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने प्रशासक के सचिव, लक्षद्वीप विकास निगम लिमिटेड के एम.डी. और पुलिस प्रमुख सहित प्रमुख पदों पर कार्य किया। बाद में उन्होंने एस.पी. क्राइम और एस.पी. उत्तरी गोवा के रूप में कार्य किया और गोवा में अपने कार्यकाल के दौरान कानून प्रवर्तन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ए.सी.पी. (दक्षिण पूर्वी दिल्ली) के रूप में उन्होंने असाधारण दक्षता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए चोरी हुए इलेक्ट्रॉनिक्स को बहुत तीव्र गति से बरामद करने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान पाया। लक्षद्वीप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने प्रशासक के सचिव, लक्षद्वीप विकास निगम लिमिटेड के एम.डी. और पुलिस प्रमुख सहित प्रमुख पदों पर कार्य किया। बाद में उन्होंने एस.पी. क्राइम और एस.पी. उत्तरी गोवा के रूप में कार्य किया और गोवा में अपने कार्यकाल के दौरान कानून प्रवर्तन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।